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Madhubani News : हत्या मामले में एक को आजीवन कारावास की सजा

लौकही थाना क्षेत्र में शंभु साह की हुई हत्या मामले के जिला अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम सह विशेष चिल्ड्रेन न्यायाधीश सैयद मो. फजलूल बारी की न्यायालय में सजा की बिंदु पर शनिवार को सुनवाई हुई.

मधुबनी. लौकही थाना क्षेत्र में शंभु साह की हुई हत्या मामले के जिला अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम सह विशेष चिल्ड्रेन न्यायाधीश सैयद मो. फजलूल बारी की न्यायालय में सजा की बिंदु पर शनिवार को सुनवाई हुई. न्यायालय ने दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद लौकही थाना क्षेत्र के गोट नरहिया निवासी प्रवीण कुमार को दफा 302 भादवि में आजीवन कारावास की सजा सुनायी. साथ ही न्यायालय ने दोषी पर 75 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की राशि नहीं देने पर दोषी को 2 वर्ष अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. साथ ही न्यायालय ने अन्य दफा 27 आर्म्स एक्ट में भी 10 वर्ष कारावास व 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया है. सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी. न्यायालय में सरकार की ओर से बहस करते हुए अपर लोक अभियोजक मिश्रीलाल यादव ने दोषी को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की थी .वहीं बचाव पक्ष से अधिवक्ता कृष्णदेव यादव एवं अमलेश कापड़ ने बहस करते हुए कम से कम सजा देने की मांग की थी. अपर लोक अभियोजक के अनुसार घटना 25 जुलाई 2018 की है . सूचिका अपने पुत्र के साथ दरवाजे पर थी. सूचिका अपने आंगन गयी और उनका पुत्र शंभु साह दरवाजे पर टहलने लगा . इसी दौरान आपसी रंजीश में दोषी ने शंभु साह को गोली मार दी. जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया. परिजंनो ने जख्मी को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल दरभंगा ले गये. जहां डॉक्टर ने शंभु साह को मृत घोषित कर दिया. मृतक कि मां सुमित्रा देवी के बयान पर लौकही थाना में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. अपर लोक अभियोजक के अनुसार घटना के समय आरोपी नाबालिग था, लेकिन गंभीर अपराध के आरोप के कारण इसका विचारण विशेष चिल्ड्रेन न्यायालय में हुई. जहां न्यायालय ने आजीवन कारावास के साथ पेरोल का भी आदेश दिया है. आरोपी जेल में रहने के दौरान आवश्यकतानुसार न्यायालय के आदेश पर कुछ दिनों के लिए पेरोल पर बाहर आ सकता है . आठ वर्ष में आया फैसला घटना की 26 जुलाई 2018 को प्राथमिकी दर्ज हुई थी. अनुसंधानकर्ता ने 26 अक्टूबर 2018 को न्यायालय में आरोप पत्र जमा कर दिया था. न्यायालय ने आरोपी के विरुद्ध संज्ञान लेते हुए 10 जनवरी 2019 को आरोप गठन किया था. इसके बाद विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से 11 साक्षियों को न्यायालय में पेश कर गवाही दिलायी गयी थी. सभी गवाहों ने घटना का समर्थन किया था. 6 दिसंबर को न्यायालय ने फैसला सुनाया.

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