घर-घर दे रही स्तनपान, पोषण और साफ-सफाई की जानकारी एमसीपी कार्ड से विकास की निगरानी, कम वजन वाले बच्चों पर विशेष ध्यान मधुबनी . जिले में नवजात शिशुओं की सुरक्षित शुरुआत सुनिश्चित करने के लिए होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर कार्यक्रम को मजबूत किया गया है. गांव–गांव आशा कार्यकर्ताओं की सक्रियता, माताओं से लगातार संवाद और नियमित गृह-भ्रमण के कारण नवजातों में होने वाली जटिलताओं की पहचान समय पर हो रही है. पहले जहां ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म के बाद शुरुआती देखभाल में कमी दिखती थी, वहीं अब स्वास्थ्य विभाग के निरंतर प्रयास से स्थिति तेजी से बदल रही है. नवजात शिशुओं के जीवन का पहला 42 दिन अत्यंत संवेदनशील होता है. इसी अवधि में संक्रमण, डायरिया, निमोनिया तथा कम वजन जैसी परिस्थितियां जीवन के लिए खतरा बन जाती है. एचबीएनसी कार्यक्रम का उद्देश्य इस जोखिमों को कम करना है. आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर न सिर्फ बच्चे की सेहत देखती हैं, बल्कि परिवार को यह भी समझाती हैं कि कुछ एहतियातों को अपनाकर कैसे नवजात की ज़िंदगी बचाया सकता हैं. छह चरणों में विजिट, नवजातों गतिविधि पर नजर सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि जिले में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर यह सुनिश्चित किया गया है कि नवजात शिशु के जन्म से लेकर 42 वें दिन तक नियमित अंतराल पर छह विजिट हो. विजिट के दौरान नवजात की सांस लेने की गति, दूध पीने की क्षमता, शरीर का तापमान, वजन, साफ-सफाई और संक्रमण के जोखिम की जांच की जाती है. डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने बताया कि कोई भी नवजात जोखिम में नहीं रहे यह हमारी प्राथमिकता में शामिल है. आशा कार्यकर्ता माताओं को शुरुआती छह माह तक केवल स्तनपान, नवजात के गर्माहट बनाए रखने और हाथ धोने जैसी महत्वपूर्ण बातें समझा रही है. यह बदलाव जमीनी स्तर पर असर डाल रहा है. सीएस ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ने के साथ लोगों की जागरूकता भी बढ़ी है. पिछले वर्ष की तुलना में माता आशा कार्यकर्ताओं के सुझावों का अधिक पालन कर रही है. एमसीपी कार्ड से बच्चे के हर विकास पर निगरानी जिले में नवजात के विकास का दस्तावेजी रिकॉर्ड पहले की तुलना में अब अधिक व्यवस्थित हो गया है. एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ता मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन कार्ड के माध्यम से बच्चे की वृद्धि को ध्यानपूर्वक मॉनिटरिंग कर रही है. कम वजन में जन्मे शिशुओं के लिए यह प्रक्रिया और खास हो जाती है, क्योंकि उसे संक्रमण और कमजोरी का खतरा अधिक होता है. डॉक्टर कुणाल आनंद ने बताया कि एमसीपी कार्ड सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि नवजात की वृद्धि और स्वास्थ्य का पूरा इतिहास है. इससे पता चलता है कि बच्चे का वजन उम्र के अनुसार बढ़ रहा है या नहीं, टीकाकरण पूरा हुआ या नहीं और क्या किसी संकेत पर तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता है. आंगनबाड़ी द्वारा तैयार किए जाने वाले वृद्धि एवं विकास चार्ट में बच्चे की लंबाई और वजन का नियमित अंकन किया जाता है. आशा कार्यकर्ता इन आंकड़ों को देखकर तय करती हैं कि नवजात को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता है या नहीं. माता को दी जा रही महत्वपूर्ण सीख आशा कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान नवजात की माता को जरूरी बातें समझाती हैं, जो बच्चे की सेहत में निर्णायक भूमिका निभाती है. आशा कार्यकर्ता माताओं को सिखाती हैं कि किन संकेतों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसमें बच्चा स्तनपान नहीं कर रहा, सांस लेने में कठिनाई, अत्यधिक ठंड या गर्मी, बच्चा सुस्त या असामान्य रूप से शांत हो तो इन संकेतों की पहचान समय पर होने से पिछले एक वर्ष में कई गंभीर स्थितियों को टाला जा चुका है. सीएस ने कहा कि जिले का हर बच्चा स्वस्थ जीवन की शुरुआत करे यह पहली प्राथमिकता है. एचबीएनसी कार्यक्रम जिले में नवजात मृत्यु को कम करने में प्रभावी माध्यम सावित हो रहा है.
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