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20 साल से डीआरडीए नहीं कर रहा किराये का भुगतान

सालों से सरकारी आवास का किराया तय नहींे मधुबनी : ला परिषद के जमीन पर सालों से मकान बना कर रह रहे हैं पर किराये का भुगतान नहीं कर रहे. यह काम कोई आम आदमी नहीं कर रहा बल्कि जिले के आला अधिकारी के द्वारा किया जा रहा है. कई ऐसे मामले हैं जिसमें जिला […]

सालों से सरकारी आवास का किराया तय नहींे

मधुबनी : ला परिषद के जमीन पर सालों से मकान बना कर रह रहे हैं पर किराये का भुगतान नहीं कर रहे. यह काम कोई आम आदमी नहीं कर रहा बल्कि जिले के आला अधिकारी के द्वारा किया जा रहा है. कई ऐसे मामले हैं जिसमें जिला परिषद के जमीन पर बने मकान का सालों से किराया नहीं दिया जा रहा है. अब तो यह किराया लाखों में हो चुका है.
केस एक :
डीआरडीए पर 21 साल से बकाया है किराया
जिला परिषद के जमीन पर ही डीआरडीए है. जिला परिषद सूत्रों की मानें तो साल 1995 – 96 में डीआरडीए का भवन बना. उस समय करीब 35 लाख रुपये के करीब डीआरडीए का भवन बनाने पर खर्च आया था. अधिकारियों और जिप अध्यक्ष में यह तय हुआ था कि डीआरडीए को बनाने में जितनी राशि खर्च होगी वह राशि भाड़े में समायोजन किया जायेगा.
इसके बाद से सालाना जिला परिषद का बतौर 40 हजार रूपये की दर से किराया भुगतान किया जायेगा. पर इस बात पर अब तक पहल नहीं हो सका है. ना तो जिप प्रशासन बकाये राशि की मांग करती है और ना ही डीआरडीए प्रशासन राशि का हिसाब कर भुगतान के दिशा में कोई पहल कर रही है.
करीब 96 लाख बकाया : 21 सालों का 40 हजार रूपये के दर से हिसाब किया जाय तो करीब 96 लाख रूपये होते हैं. तय बातों के हिसाब से यदि डीआरडीए को बनाने में लगे लागत 35 लाख का समायोजन भी कर दिया जाय तो भी करीब 60 लाख से अधिक किराया होता है.
केस दो :
बेनीपट्टी एसडीओ कार्यालय करीब डेढ एकड़ में फैला है. यह भी जिला परिषद के जमीन पर ही बना है. पर आज तक इस भवन का किराया जिला परिषद प्रशासन को भुगतान नहीं किया गया. हालांकि इस मामले में जिला परिषद प्रशासन भी लापरवाही बरत रही है.
अब तक विभागीय कर्मी को या फिर अध्यक्ष को यह बात ही पता नहीं है कि बेनीपट्टी एसडीओ का किराया कितना निर्धारित है.
नहीं हो रहा मूल्य का निर्धारण : जिला परिषद के जमीन पर बने सरकारी मकान के मूल्य निर्धारण में जिप प्रशासन लापरवाही बरत रही है.
एक ओर जहां दुकानों का तीन साल पर मूल्य का पुनर्निधारण किया जाता है वहीं सरकारी भवन या कार्यालय का सालों से मूल्य निर्धारण नहीं किया गया है.
होगी पहल : अध्यक्ष : इधर जिला परिषद अध्यक्ष शीला मंडल ने कहा है कि इस मामलो में जल्द ही पहल होगी. नियम हर किसी के लिये एक ही होता है. सरकारी या प्राइवेट संगठन के लिये अलग अलग नियम नहीं होगा. जल्द ही बकाये राशि की मांग की जायेगी और किराये का पुनर्निधारण भी होगा.

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