मधुबनी : नेपाल के हालात मधेसी आंदोलन को लेकर नाजुक बने हुए हैं. नेपाल में मानवाधिकार को लेकर विश्व समुदाय को इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए जल्द कोई ठोस कदम उठाने चाहिए. ये बातें अवकाश प्राप्त अंगेजी के प्रख्यात प्रध्यापक चंद्रशेखर झा आजाद ने जिला मुख्यालय स्थित डॉ प्रभात दास फाउंडेशन के द्वारा आयोजित एक दिवसीय परिचर्चा मधेसी आंदोलन व मानवाधिकार पर बोल रहे थे.
श्री आजाद ने कहा कि भारत सरकार को नेपाल की नाजूक घड़ी में गंभीरता पूर्वक चिंतन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में मानवाधिकार के हनन एक अहम मुद्दा बनता जा रहा है. गाहे बगाहे देश और दुनिया में इसको लेकर परिचर्चा होती रहती है. पर समय के साथ कानून में बदलाव कर ही लोगों को संवैधानिक अधिकार दिलाया जा सकता है. इस अवसर पर परिचर्चा प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया.
जिसमें 40 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान जहां अभिषेक कुमारथाने में कामयाब रहा. वहीं द्वितीय स्थान व तृतीय स्थान पर क्रमश: पल्लवी कुमार एवं कृष्णा कुमारी ने बाजी मारी. इन विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप मेडल सहित नकद इनाम दिया गया. इस मौके पर दिलीप झा, भवेश झा, उदय कांत झा, ऋषि झा ने अपने विचार व्यक्त किये. मंच का संचालन राम कुमार ने किया.