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मधुबनी : भूिमहीनों को िदया केसीसी

मधुबनी : कपिलेश्वर स्थान ग्रामीण बैंक ने ऐसे लोगों को भी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर कर्ज दे दिया, जिनके पास खेती लायक जमीन नहीं थे. बसौली पंचायत में ही करीब दो सौ से अधिक वैसे लोगों को केसीसी ऋण दिया गया, जिनके पास घरारी लेकर दस धूर जमीन ही है. अब सालों बाद उन […]

मधुबनी : कपिलेश्वर स्थान ग्रामीण बैंक ने ऐसे लोगों को भी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर कर्ज दे दिया, जिनके पास खेती लायक जमीन नहीं थे. बसौली पंचायत में ही करीब दो सौ से अधिक वैसे लोगों को केसीसी ऋण दिया गया, जिनके पास घरारी लेकर दस धूर जमीन ही है. अब सालों बाद उन लोगों से वसूली की जा रही है. जिनके नाम पर कर्ज दिये गये, वे कह रहे कि उनके पास चुकता करने को पैसे नहीं हैं. इतना ही नहीं आरोप तो यह भी है कि तीन बिचौलियों ने मिलकर कुल कर्ज की राशि का आधा भाग खुद रख लिया.

जानकारी के अनुसार उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक, कपिलेश्वर स्थान के द्वारा साल 2008 से 2014 तक किसान के नाम पर लोगों को ऋण दिया गया. यह राशि 20 हजार रुपये से लेकर 35 हजार रुपये तक की थी. जिन लोगों ने ऋण लिया उनके पास न तो उस समय खेत था और न ही वर्तमान में. वह मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं. कई ऐसे परिवार हैं जिसमें पिता को भी ऋण दिया गया और पुत्र को भी. जबकि इन लोगों के पास महज पांच धूर जमीन ही है.

बिचौलिये हुए हावी. इन लोगों को ऋण दिये जाने के मामले में बैंक प्रबंधन कटघरे में है. पर इन लोगों को ऋण दिलाने के पीछे इलाके के तीन बिचौलिये का नाम सामने आ रहा है. ग्रामीण नागेश्वर राय, उत्तीम यादव, शिव नंदन दास, राम कुमारी देवी, शीला देवी सहित अन्य लोगों ने बताया कि कुछ साल पहले गांव के ही तीन व्यक्ति आये और कहा कि बैंक अभी लोन दे रहा है. यह लोन चुकता नहीं
मधुबनी : भूिमहीनों को
करना होगा. कथित तौर पर लोन की आधी रकम इन तीनों ने हर किसी से ली. इसके बाद गांव के करीब दो सौ से अधिक लोगों को ऋण दिलाया.
लाखों रुपये लोन देने के सालों बाद अब बैंक प्रबंधन इन भूमिहीन परिवार से ऋण वसूली की तैयारी कर रहा है. बार-बार गांव में जाकर ऋण लेने वालों से सूद सहित ऋण वापस करने को कहा जाता है.
इन किसानों की समस्या के निदान को लेकर भारतीय मित्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष धनेश्वर महतो ने अपने आवास पर चौपाल लगाया. इसमें किसान के इस समस्या को लेकर जिलाधिकारी से मिलने व समस्या का निदान नहीं होने पर आंदोलन किये जाने का निर्णय लिया गया. चौपाल में हर किसान ने अपने अपने ऋण संबंधी ब्योरा सौंपा.
साल 2008 से 2014 तक दिये गये कर्ज
की वसूली को बैंक दे रहा दबाव
पीड़ित लोग कह रहे, कहां से करें ऋण चुकता
नागेश्वर राय बताते हैं कि उनके पास तीन भाइयों के बीच दस धूर जमीन है. 20 हजार लोन लिया था. घर बेच दें तो भी ऋण चुकता नहीं हो सकेगा. उत्तीम पासवान के पास पांच धूर धरारी है. खेतिहर जमीन नहीं है. इन्हें भी 25 हजार का केसीसी दिया गया.

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