शिवरात्रि में दो माह शेष, पर अधूरी है शिवगंगा फोटो – मधेपुरा 01 कैप्शन – अधूरा पड़ा है शिवगंगा तालाब का कार्य – हिलाहवाली . सिंहेश्वर मंदिर स्थित शिवगंगा तालाब का निर्माण अब तक है अधूरा – 2.65 करोड़ खर्च होने के बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने से विभाग की कार्यशैली पर सवाल – अब तक न्यास समिति को नहीं किया गया है हैंड ओवर ——-शिवगंगा परियोजना की मुख्य बातें— -तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर पर्यटन विभाग ने छह जून 2013 को शुरू किया था काम- काम समाप्त करने की निर्धारित 18 महीने की अवधि वर्ष 2014 के दिसंबर में ही हो चुकी है समाप्त- विभाग के अनुसार दो करोड़ पैंसठ लाख खर्च करने के बाद काम हो चुका है पूरा प्रतिनिधि, सिंहेश्वरमहाशिवरात्रि पर्व सात मार्च को है. केवल दो महीने ही इस दिन में शेष रह गये हैं. इसके बावजूद शिवगंगा तालाब का काम अब तक न पूर्ण हुआ है और न पूरा करने की नीयत दिखाई दे रही है. मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. इधर न्यास समिति भी इस मामले में पत्राचार कर अपनी औपचारिकता पूरी कर रही है.— महत्वपूर्ण है शिवरात्रि — सिंहेश्वर स्थान में सैकड़ों वर्ष से महाशिवरात्रि के अवसर पर भव्य मेला का आयोजन किया जाता है. इसमें कोसी क्षेत्र के सभी आठ जिलों के अलावा मधुबनी, दरभंगा, भागलपुर सहित नेपाल से भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु यहीं मंदिर परिसर के आसपास डेरा डालते हैं. वे लोग भोजन का प्रबंध भी खुद ही करते हैं. चौठारी तक प्रवास के बाद ही वापस लौटते हैं. — सीएम ने दी सौगात लेकिन विभाग लापरवाह — वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब सिंहेश्वर नाथ के दर्शन के लिए यहां आये तो उन्होंने पर्यटन विभाग की ओर से शिवगंगा निर्माण सहित अन्य सौंदर्यीकरण योजनाओं के निर्माण की घोषणा की. उन्होंने अपनी घोषणा को अमलीजामा देते हुए राशि का आवंटन कर दिया. — 2013 में शुरू हुआ था निर्माण– शिवगंगा सौंदर्यीकरण कार्य का शिलान्यास छह जून 2013 को हुआ था. 18 महीने में दो करोड़ 65 लाख एक हजार की राशि की लागत से इस निर्माण कार्य को युद्ध स्तर पर पूरा किया जाना था. शिवगंगा निर्माण कार्य को कई हिस्सों में बांटा गया था. पहले चरण में तालाब के चारो ओर टो वाल बनाया जाना था ताकि किनारे की मिट्टी पानी में न गिरे. इसे 56 लाख 53 हजार की राशि से पूरा किया जाना था. इसके बाद 33 लाख 20 हजार की लागत से तालाब के चारो ओर सैंड स्टुम पाथ वे बनाया जाना था. घाट बनाने में 87 लाख आठ हजार खर्च किया जाना था और 78 लाख 16 हजार में तालाब का शेड बनाया जायेगा. साइट डेवलपमेंट वर्क करने में नौ लाख चार हजार खर्च का प्रावधान था.– लेकिन हुआ क्या — काम शुरू हुआ तो इसके प्राक्कलन में बदलाव कर दिया गया. इसके बावजूद काम चलने लगा. तालाब के चारो ओर फर्श पर लाल पत्थर लगाया जाना था. करीब एक तिहाई भाग में ही पत्थर लगाया जा सका है. तालाब के चारो ओर लगायी गयी 19 सोलर लाइट में से केवल नौ सोलर लाइट ही जल रही है. शेष खराब हो चुकी है. — प्राक्कलन में बदलाव का हुआ था विरोध– जब काम शुरू हुआ तो एक तरफ ही सीढ़ी बनाये जाने पर स्थानीय लोगों ने एतराज जताया. कई बार आला अधिकारियों से मिल कर शिवगंगा तालाब के चारो ओर सीढ़ी घाट के निर्माण की गुहार लगायी थी. लोगों की मानें तो एस्टीमेट में पहले तालाब के चारो ओर घाट का प्रावधान किया गया था लेकिन बाद में बदल दिया गया. नये एस्टीमेट के अनुसार केवल पश्चिमी तरफ ही घाट का निर्माण किया गया. वहीं इसी तरफ दो छतदार चबूतरा बनाया गया. शेष घाट पर एक -एक चबूतरा यानी कुल पांच शेड बनाये गये. तालाब के तीन ओर बनाये गये टो – वाल पर लगे पत्थर के स्लैब धीरे-धीरे उखड़ने लगे हैं. लोग अब भी चोरो ओर घाट बनने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. सैकड़ों वर्ष से इस तालाब में होते आ रहे छठ पर्व के दौरान तो स्थानीय लोग खुद को ठगा महसूस करते हैं.– ढाई वर्ष में भी नहीं बना दूसरे चरण का एस्टीमेट –ढाई वर्ष पहले विभाग के अधिकारियों ने दूसरे चरण के कार्य के लिए एस्टीमेट बनाने का कार्य प्रक्रियाधीन होने की जानकारी दी थी. हैरत है कि दूसरे चरण के कार्य का एस्टीमेट विभाग अब तक नहीं बना सका है. दूसरे चरण में मंदिर परिसर में सौर उर्जा का पांच पावर हाउस बनाया जाना था. मंदिर से पर्यटन विभाग के रेस्ट हाउस तक सड़क निर्माण और एक बहुत बड़े आकार का सभा कक्ष का निर्माण किया जाना था. दोनों चरणों का काम हर हाल में 18 महीने में पूरा होना था. — विभाग के अनुसार पहले चरण का कार्य पूरा — विभागीय अधिकारियों की मानें तो शिवगंगा तालाब में पहले चरण का कार्य पूर्ण हो चुका है. इस काम में दो करोड़ पैंसठ लाख रूपये खर्च हो चुके हैं. लेकिन तालाब की स्थिति देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि काम पूरा नहीं किया गया है. तालाब के तल की को बराबर नहीं किया गया है. घाट की सीढ़ियों के नीचे ठोस सतह नहीं दिये जाने के कारण मिट्टी हट गयी है. — वर्जन — ‘पहले चरण का काम पूरा हो चुका है. दूसरे चरण के कार्य के लिए आर्किटेक्ट को एस्टीमेट तैयार करने के लिए लिखा गया है.’ – कमलेश कुमार पांडे, कनीय अभियंता, बिहार राज्य पर्यटन विभाग —- ‘ पहले चरण का काम लगभग पूरा हो चुका है. केवल बोर्ड वगैरह लगना बांकी है. वह काम भी हो जायेगा. हालांकि अब यह जिम्मेदारी मेरी नहीं है.’ – देवेंद्र मिश्र, कनीय अभियंता, बिहार राज्य पर्यटन विभाग— ‘ विभाग को काम पूरा कर जल्द से जल्द न्यास समिति को हैंडओवर करने के लिए लिखा गया है. लेकिन विभाग की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है.’ – महेश्वर सिंह, व्यवस्थापक, सिंहेश्वर न्यास समिति, सिंहेश्वर
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शिवरात्रि में दो माह शेष, पर अधूरी है शिवगंगा
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