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श्रद्धापूर्वक की गयी लेखनी के देवता की पूजा

श्रद्धापूर्वक की गयी लेखनी के देवता की पूजा फोटो – मधेपुरा 24,25,26कैप्शन- सिंहेश्वर में भगवान चित्र गुप्त की पूजा करते भक्त, पूजा में शामिल श्रद्धालुगण, सिंहेश्वर रामजानकी ठाकुरबाड़ी में स्थापित भगवान चित्र गुप्त की प्रतिमा – सिंहेश्वर राम जानकी ठाकुरबाड़ी में चित्रगुप्त पूजा समिति ने की भगवान चित्रगुप्त की पूजा प्रतिनिधि, सिंहेश्वरप्रखंड मुख्यालय स्थित रामजानकी […]

श्रद्धापूर्वक की गयी लेखनी के देवता की पूजा फोटो – मधेपुरा 24,25,26कैप्शन- सिंहेश्वर में भगवान चित्र गुप्त की पूजा करते भक्त, पूजा में शामिल श्रद्धालुगण, सिंहेश्वर रामजानकी ठाकुरबाड़ी में स्थापित भगवान चित्र गुप्त की प्रतिमा – सिंहेश्वर राम जानकी ठाकुरबाड़ी में चित्रगुप्त पूजा समिति ने की भगवान चित्रगुप्त की पूजा प्रतिनिधि, सिंहेश्वरप्रखंड मुख्यालय स्थित रामजानकी ठाकुरबाड़ी में शुक्रवार को लेखनी के देवता भगवान चित्रगुप्त की पूजा श्रद्धापूर्वक और धूमधाम से की गयी़ चित्रुगप्त पूजा समिति की ओर से आयोजित पूजन समारोह में चित्रांष परिवार सहित अन्य श्रद्धालु भी मौजूद रहे़ पूजा समिति के अध्यक्ष कौशल किशोर वर्मा ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा विधिपूर्वक की जाती है़ चित्रांष परिवार के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण दिन है़ इस दिन कलम-दवात की पूजा करने और अपना लेखा जोखा भगवान चित्रगुप्त को सौंपने की परंपरा रही है़ उपाध्यक्ष शंभु नाथ मल्लिक ने बताया कि सिंहेश्वर में वर्षों से सार्वजनिक तौर पर चित्रगुप्त पूजा होती रही है़ विगत तीन वर्ष से भव्य रूप से पूजा का आयोजन किया जा रहा है़ संरक्षक नागेंद्र श्रीवास्तव और मोती लाल दास ने बताया कि भगवान के चित्रगुप्त के सात संतानों के वंशज ही चित्रांष परिवार कहे जाते हैं. लेकिन कालांतर में समाज के अन्य बुद्धिजीवी वर्ग भी बढ चढ़ कर इस पूजा में शामिल होते रहे हैं. प्रमोद बिहारी ने बताया कि लेखनी के जरिये आजीविका पाने वाले सभी लोगों को भगवान चित्रगुप्त की आराधना करनी चाहिए़ आयोजन मंडल के सुरेंद्र वर्मा, सुधीर वर्मा, अमर श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष राजू वर्मा ने बताया कि शनिवार को भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा़ इसके बाद पारंपरिक तौर पर सामूहिक भोज का आयोजन किया जायेगा. जिसमें चित्रांष परिवार के सदस्य शामिल होंगे़ पूजा आयोजन में सचिव रूपेश रूपक, मुकुल वर्मा, नरेश श्रीवास्तव, सुनील वर्मा, मनोज घोष, राजेश श्रीवास्तव, शेखर श्रीवास्तव, मिट्ठू मल्लिक, प्रभाष मल्लिक आदि सहित अन्य कई सदस्य शामिल रहे़ सिंहेश्वर मंदिर से कहां गयी भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा ?-सिंहेश्वर मंदिर में दशकों पूर्व स्थापित की गयी थी भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा – मंदिर भवन निर्माण के दौरान प्रतिमा हटाने के बाद नहीं किया गया पुनर्स्थापितप्रतिनिधि, सिंहेश्वरजिले की प्रसिद्ध धार्मिक नगरी सिंहेश्वर स्थित शिव मंदिर की पौराणिकता की कई गाथाएं प्रसिद्ध हैं. मंदिर में मनोकामना लिंग के अतिरिक्त मां पार्वती, भगवान गणेश, भगवान राम, सीता माता, भैरव, कार्तिकेय और हनुमान जी की मूर्ति स्थापित हैं. लेकिन जानकार बताते हैं कि मंदिर में पहले भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा भी स्थापित थी़ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्घितीया तिथि को यहां धूमधाम से भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती थी़ लेकिन बाद में मंदिर के भवन निर्माण के दौरान इन प्रतिमाओं को हटा दिया गया़ इसके बाद ये प्रतिमा कहां गयी किसी को पता नहीं. और तो और बाद में भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा को मंदिर में कहीं स्थापित भी नहीं की गयी. चित्रगुप्त पूजा समिति के अध्यक्ष कौशल किशोर कहते हैं कि मंदिर में पूर्व- दक्षिण दिशा की ओर से बने छोटे से भवन में कई प्रतिमाएं स्थापित थी़ इनमें भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा भी थी़ अब तो मंदिर में भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा कहीं नहीं है़ पंडित कलानंद ठाकुर कहते हैं कि भगवान चित्रगुप्त का कार्य इस लौकिक संसार में मनुष्य के काम का लेखा जोखा रखना है़ इसी के आधार पर धर्मराज किस मनुष्य को स्वर्ग और किसे नर्क, इसका निर्धारण करते हैं. इसलिए मंदिर में भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा तो होनी ही चाहिए़ मंदिर न्यास समिति के सदस्य धर्मनारायण ठाकुर कहते हैं कि भगवान चित्रगुप्त की भूमिका काफी अहम है़ अगर पहले से मंदिर में भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित थी और अब नहीं है तो उनकी प्रतिमा का मंदिर में पुनर्स्थापन होना चाहिए़ न्यास समिति के ही सदस्य सरोज सिंह कहते हैं कि भगवान चित्रगुप्त लेखन कार्य करने वाले सभी मनुष्य के देवता हैं़ मनुष्य के पाप पुण्य का लेखा जोखा करने वाले भगवान की प्रतिमा मंदिर में होनी ही चाहिए़ वे न्यास की बैठक में इस बात को जरूर उठायेंगे़ कहते हैं न्यास के प्रबंधक सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति के प्रबंधक महेष्वर सिंह कहते हैं कि मंदिर में वर्षों पहले पूर्व-दक्षिण हिस्से की ओर से बने एक गलियारेनुमा भवन में भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित थी़ मंदिर में पूर्व की ओर से बरांडा निर्माण कराने के लिए इस भवन को ही हटा दिया गया था़ बाद में इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया़ प्रतिमा पुनर्स्थापना का निर्णय न्यास समिति ही ले सकती है़

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