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सड़क दुर्घटना में चुनाव कर्मी की मौत

मधेपुरा : चुनाव में ड्यूटी कर लौट रहे एक शिक्षक मधुकर शर्मा (35) की बृहस्पतिवार देर रात सड़क हादसे में मौत हो गयी. दुर्घटना मधेपुरा-उदाकिशुनगंज मुख्य पथ एनएच 106 पर रेशना गांव के समीप हुई. दुर्घटना के समय बाइक पर पीछे बैठे शिक्षक संतोष कुमार चौधरी इस घटना में बाल-बाल बच गये. मधुकर शर्मा बिहारीगंज […]

मधेपुरा : चुनाव में ड्यूटी कर लौट रहे एक शिक्षक मधुकर शर्मा (35) की बृहस्पतिवार देर रात सड़क हादसे में मौत हो गयी. दुर्घटना मधेपुरा-उदाकिशुनगंज मुख्य पथ एनएच 106 पर रेशना गांव के समीप हुई. दुर्घटना के समय बाइक पर पीछे बैठे शिक्षक संतोष कुमार चौधरी इस घटना में बाल-बाल बच गये.

मधुकर शर्मा बिहारीगंज प्रखंड के लक्ष्मीपुर लालचंद गांव के वार्ड नंबर चार के निवासी थे और वह अपने ही गांव में उत्क्रमित मध्य विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक थे. विधान सभा चुनाव में सदर प्रखंड के मधुबन गांव स्थित मतदान केंद्र संख्या 205 पर प्रतिनियुक्त् किये गये थे. मतदान संपन्न करवाने के बाद मधुकर अपने साथी शिक्षक संतोष के साथ बाइक पर सवार हो कर लौट रहे थे. बृहस्पतिवार को देर रात को अर्द्धसैनिक बल की टुकड़ी मधुकर के शव को लेकर सदर अस्पताल पहुंची.

जिलाधिकारी मो सोहैल सदर अस्पताल पहुंचे. शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया. साइड स्टोरीअगर तुरंत निकाल लिया जाता तो बच जाती जान गड्ढे के पानी में एक घंटा तक डूबा रहा था मधुकरमधेपुरा. चुनाव में ड्यूटी कर लौट रहे एक शिक्षक मधुकर शर्मा को देर रात सड़क हादसे के बाद अगर जल्दी ही निकाल लिया जाता तो शायद उनकी जान बच सकती थी.

मधेपुरा-उदाकिशुनगंज मुख्य पथ एनएच 106 पर रेशना गांव के समीप हुई इस घटना के बाद मधुकर पानी में एक घंटा भी अधिक समय तक डूबे रहे. हादसे के कारण बदहवास संतोष गड्ढे के बगल में बैठा रहा. इस दौरान सड़क से गुजर रहे अर्द्ध सैनिक बल के जवान रूके और टॉर्च और वाहन की लाइट की रोशनी में मधुकर को गड्ढे से निकाला.

तब तक मधुकर की मौत हो चुकी थी. अर्द्ध सैनिक बल के जवानों ने मधुकर के शव और बदहवास संतोष को देर रात सदर अस्पताल पहुंचाया. रेशना पुल पर हुआ हादसा घटना के समय मृत शिक्षक के साथ बाइक पर सवार शिक्षक संतोष चौधरी ने बताया कि मधेपुरा जाने के दौरान ग्वालपाड़ा प्रखंड स्थित रेशना गांव के समीप पुल पर सामने से आ रही थी बड़ी गाड़ी के तेज रफ्तार को देख कर मधुकर बाइक को साइड करना चाहा तो बाइक सड़क से नीचे उतर गयी और सड़क किनारे स्थित पानी के गड्ढे में समा गयी. गहरा गडढा रहने के कारण मधुकर फंस गया और नहीं निकल सका.

इस दौरान संतोष किसी तरह गडढे से निकलने में कामयाब रहा. दुर्घटना के समय मधुकर ने हेलमेट भी लगाया हुआ था. डीएम पहुंचे सदर अस्पताल घटना की सूचना मिलते ही शुक्रवार को अहले सुबह जिला पदाधिकारी मो सोहैल सदर अस्पताल पहुंचे और परिजनों को ढांढस बढाया. डीएम ने कहा कि मतदान कर्मी के मौत की सूचना राज्य निर्वाचन आयोग को दी गयी है.

प्रावधान के अनुसार मिलने वाले सभी प्रकार के मुआवजे परिजनों को ससमय उपलब्ध करवाया जायेगा. शिक्षक संघ ने जताया शोक शिक्षक की मौत की सूचना मिलते ही शुक्रवार की सुबह शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू, रणधीर कुमार सदर अस्पताल पहुंचे और शोक व्यक्त किया.

नेता द्वय ने कहा कि निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार से पर्याप्त मुआवजा दिलवाने और अनुकंपा के आधार पर परिजन की नियुक्ति के लिये संघ मजबूत प्रयास करेगा. मौके पर संघ के प्रदेश सलाहकार सह जिलाध्यक्ष रंधीर कुमार ने कहा कि संघ के तरफ से परिजनों को आर्थिक मदद भी किया जायेगा. मौके पर संघ के शैलेस कुमार चौरसिया, विनोद कुमार, रामविलास कुमार, रविशंकर रवि, मुकेश कुमार, प्रेम शंकर, अमित कुमार, मो अताउल्लाह, शंभु कुमार आदि उपस्थित थे.

यो साहेब हमर घर लुटा गैलचुनाव में ड्यूटी कर लौट रहे शिक्षक मधुकर शर्मा की मौत की सूचना मिलते ही बिहारीगंज प्रखंड के लक्ष्मीपुर लालचंद गांव में सन्नाटा पसर गया है. पहले तो लोगों को सहज रूप से मिलनसार और हंसमुख स्वभाव के मधुकर की मौत की खबर पर विश्वास भी नहीं हो रहा था. शुक्रवार की रात से ही वार्ड नंबर चार स्थित मधुकर के घर से उठते विलाप के स्वर से पूरे गांव का माहौल गमगीन था. मधुकर की पत्नी शोभा देवी बार-बार अपने बच्चों को पकड़ कर… यो साहेब.. हमर घर लुटा गैल .. की रट लगाती और बेहोश हो जाती थी.

अगल – बगल के महिलायें पानी का छींटा मार कर फिर शोभा को होश में ला रहीं थीं. वृद्ध माता विलाप करते – करते सदमे में चली गयी है. पड़ोसियों ने बताया कि मधुकर गांव में आदर्श शिक्षक के रूप में जाना जाता था. बेटे आशीष और बिट्टू अपने दरवाजे पर लगी भीड़ को निहार रहे थे.

वहीं दो बिटिया प्रीति और सुरूचि मूर्छित मां को होश में लाने की कोशिश में जुटी महिलाओं की मदद कर रही थी. जब दोपहर मधुकर का शव गांव पहुंचा तो सभी ग्रामीणों की आंखें नम हो गयी. गांव वाले और परिजन किसी तरह पत्नी, बच्चों और मां के शव से अलग कर दाह संस्कार के लिए ले जा सके.

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