पांचवें चरण में मुश्किल से खुलेगा एनडीए का खाता : शरद फोटो – मधेपुरा 16कैप्शन – जिला मुख्यालय स्थित अपने आवास पर प्रेस वार्ता करते जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव- जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कोसी में संभाली पांचवें चरण के चुनाव की कमानप्रतिनिधि, मधेपुराबिहार के विधानसभा चुनाव में एनडीए को गंठबंधन से नहीं, बल्कि जनता से चुनाव लड़ना पड़ रहा है. जनता ने गंठबंधन की जिम्मेदारी संभाल ली है. पांचवें चरण के चुनाव में भाजपा का सफाया हो जायेगा. गुरुवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद शरद यादव जिला मुख्यालय स्थित अपने आवास पर प्रेस वार्ता में न केवल अपनी उपलब्धियां गिनायी, बल्कि एनडीए को भी कठघरे में खड़ा किया. देश में हालात ठीक नहीं शरद यादव ने एनडीए की सरकार को लोकतंत्राकि मूल्यों का ह्रास करने वाली बताया. उन्होंने कहा कि देश में हालात ठीक नहीं हैं. देश की अगुवाई करने वाला सृजनकारी वर्ग अपने खिताब वापस कर रहे हैं. ऐसा 68 वर्ष में कभी नहीं हुआ. इतिहास गवाह है कि देश के बदलाव में लेखकों का बड़ा योगदान रहा है. नागार्जुन और फणीश्वर नाथ इसके उदाहरण हैं. सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना पर चोट पहुंचायी जा रही है. पुरस्कार वापस करने वालों का मजाक उड़ाया जा रहा है. देश में बेचैनी की स्थिति है. गरीबों की योजनाओं पर ग्रहणकभी आरक्षण पर तो कभी संविधान पर विचार करने की बात चल रही है. संविधान की संचालक जनता है. पूना पैक्ट में देश के सभी बड़े नेता मौजूद थे. सबने दस्तखत किये थे. इसमें हिंदुओं की 80 फीसदी आबादी को आरक्षण के बारे में विचार किया गया था. हाल यह है कि गरीबों के लिए मनरेगा और इंदिरा आवास जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं को जाम कर दिया गया है. बोली और करनी एक रखेंजदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चुनावी सभा में चल रही बयानबाजी के बारे में कहा कि वह इतने वर्षों से राजनीति में हैं, उन पर कभी ऐसा आरोप नहीं लगा. संविधान के दायरे से बाहर बयान देना गलत है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में नेताओं की बोली और करनी एक होना चाहिए. ऐसे सपने न दिखाएं कि पूरा नहीं हो सके. गरीब लोगों के खाते खोले गये लेकिन क्या हुआ. मेक इन इंडिया के लिए विदेश घूम रहे मोदी बतायें कि देश के लिए कितनी पूंजी लाने में सफल रहे हैं. सच यह है कि भारत में खुद में बड़ा पुरूषार्थ है. यहां के प्राकृतिक और मानव संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने की जरूरत है. मधेपुरा से संभालेंगे कमान अंतिम चरण के चुनाव के बारे में शरद यादव ने कहा कि यह एनडीए के लिए चुनौती बन गयी है. प्रधानमंत्री देश में कम बिहार में ज्यादा समय दे रहे हैं. पांचवें चरण में सबसे ज्यादा सीटें हैं. शरद ने कहा कि उन्होंने भी मधेपुरा को केंद्र बना लिया है. यहीं से वह चुनाव की कमान संभालेंगे. पार्टी से बागी हो कर चुनाव लड़ने वालों के बारे में उन्होंने कहा कि जो बागी हुए हैं वे पछतायेंगे. गरीबों की आवाज बनने वालों का साथ छोड़ना ठीक नहीं. वे पार्टी का साथ दें. दस साल में बने 66 हजार पांच सौ पुल शरद ने कहा कि महंगाई सीमाएं तोड़ रही हैं. गरीब की थाली से चटनी और प्याज पहले ही छीन ली गयी थी, अब दाल भी छीन ली गयी है. इलजाम बिहार सरकार पर लगाया जा रहा है. अगर ऐसा है तो गुजरात में दाल क्यों महंगी है. सौ दिन में महंगाई घटाने के वादे का क्या हुआ? हमसे हिसाब मांग रहे हैं कि हमने क्या किया है. जबकि उपलब्धियां इतनी हैं कि जिसे गिनाना कठिन होगा. उन्होंने कहा कि बिहार में विगत दस साल में 66,500 किलोमीटर सड़क का निर्माण कराया गया है. पुल बना कर कई इलाकों को जोड़ा गया. विजय घाट और बलुआहा जैसे 50 बड़े पुल बनाये गये. जब सरकार बनी थी तो 52 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे थे. अब यह घट कर 32 फीसदी हो गयी है. एक भी बच्चा ड्रॉप आउट नहीं बच्चे स्कूल नहीं जाते थे. अब एक भी बच्चा ऐसा नहीं है जो स्कूल नहीं जाता. छात्राओं और छात्रों के लिए साइकिल योजना, पोशाक योजना चलायी गयी. ताकि बच्चे किसी हीन भावना के बगैर दूर के स्कूलों तक भी पहंुच सकें. अस्पतालों की संवरी सूरत उन्होंने कहा कि अस्पताल जर्जर थे. लेकिन आज उनकी सूरत बदली हुई है. जरूरी दवाएं निशुल्क मुहैया हैं. गरीबों और आम आदमी को काफी राहत मिली है. डाक्टर और एंबुलेंस मौजूद हैं. हालांकि अस्पतालों में अब भी काफी सुधार की जरूरत है. लेकिन काम चरणबद्ध तरीके से ही होता है. स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने के काफी प्रयास किये गये हैं. न्याय के साथ हुआ विकास सामाजिक न्याय की दिशा में कमजोर तबकों के लोगों को मुख्य धारा में लाने के भी काफी प्रयास किये गये. पूरे देश में महिलाओं को पचास फीसदी आरक्षण का प्रावधान सबसे पहले यहीं शुरू किया गया. न्याय के साथ समुचित विकास इसे ही तो कहते हैं. सांसद शरद ने कहा कि इस क्षेत्र में दियारा का बहुत बड़ा इलाका है. उनके प्रयास से यहां विजय घाट और बलुआ पुल बना. एनएच 106 और 107 के निर्माण को स्वीकृति दिलाने का काम किया. हर तीस किलोमीटर के भीतर मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज हों इसका प्रयास किया. अपने फंड से 32 करोड़ रुपये ट्रांसफारमर के लिए दिये. ममता बनर्जी ने मधेपुरा तक ही बड़ी लाइन की स्वीकृति दी थी, इसे बनमनखी तक कराया. मधेपुरा में रेल कारखाना को लेकर बातचीत चल ही रही थी. शरद यादव ने कहा कि वह भले ही मधेपुरा के सांसद नहीं रहे लेकिन उन्होंने क्षेत्र के विकास को लेकर अपना प्रयास नहीं छोड़ा है. हालांकि थोड़ी बाधा जरूर उत्पन्न हुई है. नहरों से गाद निकाले सात सौ करोड़ की लागत से सिंचाई के लिए पहली बार कोसी के नहरों को साफ किया गया. अब एक बड़ा इलाका नहरों से सिंचित हो रहा है. कोसी के तटबंध को मजबूत किया गया. तटबंध पर सड़क का निर्माण चल रहा है. सहरसा में रेडियो स्टेशन बनाया गया. राज्य में बिजली की स्थिति में काफी सुधार है. छह घंटे बिजली रहती थी वहां 18 से 22 घंटे बिजली मौजूद है. एक साल के भीतर गांव, खेत और खलिहान तक बिजली पहुंच जायेगी.
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पांचवें चरण में मुश्किल से खुलेगा एनडीए का खाता : शरद
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