मधेपुरा : जिला जहां एक तरफ देश का सबसे शक्तिशाली रेलवे इंजन प्रदान करने वाला फैक्ट्री के कारण इन दिनों पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय से लगभग छह किमी दूर ‘मिठाई’ रेलवे हॉल्ट पुराने जमाने के फिल्मों में दिखाई जाने वाली रेलवे स्टेशनों की याद ताजा करा देता है.
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बगैर सिग्नल ही ट्रेनों का होता है परिचालन
मधेपुरा : जिला जहां एक तरफ देश का सबसे शक्तिशाली रेलवे इंजन प्रदान करने वाला फैक्ट्री के कारण इन दिनों पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय से लगभग छह किमी दूर ‘मिठाई’ रेलवे हॉल्ट पुराने जमाने के फिल्मों में दिखाई जाने वाली रेलवे स्टेशनों की याद ताजा […]
मिठाई रेलवे हॉल्ट पर रेलवे विभाग का उदासीन रवैया व अव्यवस्था साफ दिखाई देता है. इस बाबत रेलवे कर्मचारी व पदाधिकारी कुछ भी बताने में परहेज करते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि मिठाई रेलवे हॉल्ट अंग्रेजों के शासन काल में स्टेशन हुआ करता था. जहां से देश के विभिन्न हिस्सों के लिए गाड़िया खुलती थी, लेकिन बाद में इसे बदल कर हॉल्ट में तब्दील कर दिया गया.
वहीं कुछ साल पूर्व इस हॉल्ट का निजीकरण किया गया. इससे लोगों में एक आस जगी थी कि हॉल्ट की स्थिति में कुछ सुधार आयेगी, लेकिन स्थिति में सुधार आना तो दूर, दिन प्रतिदिन इसकी स्थिति दयनीय होती जा रही है. वहीं इन चीजों को लेकर विभाग लापरवाह बना हुआ है.
मधेपुरा से टिकट लाकर किया जाता है वितरण: लोगों ने बताया कि स्टेशन पर टिकट काटने की व्यवस्था नहीं हैं.
टिकट वितरण के लिए एक व्यक्ति नियुक्त है, जो कि रोज दौरम मधेपुरा से गाड़ी आने से पहले टिकट कटवा कर ले जाता है, जिसका वितरण स्टेशन पर किया जाता है. लोगों ने कहा कि न तो बिजली की संपूर्ण व्यवस्था है, न ही इंटरनेट का कोई साधन है. इस कारण हर जगह का टिकट उपलब्ध नहीं हो पाता है.
शौचालय की भी नहीं है व्यवस्था: हॉल्ट पर एक भी शौचालय नहीं है, न ही स्वच्छ जल का कोई व्यवस्था है.
एक जगह से दूसरे जगह रेल मार्ग से आवाजाही करने वाले यात्रियों की संख्या हजारों में है. इसके बावजूद मिठाई हॉल्ट को जनसुविधाओं से वंचित रखा गया है. स्थानीय रेल यात्री बताते हैं कि स्टेशन पर शौचालय की सुविधा नहीं रहने की वजह से प्रेशर आने पर लोग खेत की तरफ भागते है. खासकर महिलाओं को मिठाई में ट्रेन का इंतजार करना महंगा पड़ता है.
निजी मोबाइल से लेते हैं गाड़ी आने-जाने की सूचना
मिठाई स्टेशन पर बगैर सिग्नल के ही ट्रेन आती और जाती है. आश्चर्य की बात यह है कि स्टेशन पर ट्रेन परिचालित करने के लिए तैनात कर्मियों को एक अदद टेलीफोन की भी सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी है. स्टेशन मास्टर ट्रेन परिचालन व विभागीय सूचना का आदान-प्रदान निजी मोबाइल से करते है. गाड़ी आने और जाने की सूचना तैनात कर्मी को हमेशा सहरसा व मधेपुरा स्टेशन से लेनी होती है.
यू कहिए की इलेक्ट्रिक इंजन बनाने को लेकर देशभर में चर्चित मधेपुरा मिठाई रेलवे हॉल्ट की कुव्यवस्था को नजर अंदाज कर रेलवे लाइन पर बड़ी दुर्घटना को आमंत्रित कर रही है. बगैर सिग्नल के स्टेशन से होकर लंबी दूरी की रेलगाड़ियों को गुजारना यात्रियों की जान को जोखिम में डालने जैसा है.
कई बार हो चुका है आंदोलन
मिठाई में रेलवे लाइन पर सिग्नल लगाने की मांग कई बार स्थानीय लोग व जनप्रतिनिधि द्वारा रेलवे के वरीय अधिकारियों से की जा चुकी है. इसके बावजूद रेलवे यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ी इन समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है. स्थानीय लोग बताते है कि स्थानीय रेल अधिकारी के अलावा समस्तीपुर मंडल के डीआरएम तक से गुहार लगायी जा चुकी है.
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