मेदनीचौकी : सूर्यगढ़ा प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर उत्तर किऊल नदी तट पर अवस्थित नंदपुर गांव विकास की मुख्य धारा से अलग-थलग पड़ गया है.
करीब 16 सौ की आबादी वाले इस गांव को एनएच 80 से जोड़नेवाली सड़क बुरी तरह जर्जर हो चुकी है. इसके बावजूद मिर्च, मसाला, दलहन, तेलहन, सब्जी आदि फसलों का उत्पादन कर किसानों ने प्रखंड में अपनी पहचान बनायी है. क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा नहीं रहने के कारण खेती घाटे का सौदा बन कर रह गया है.
गांव के किसानों ने करीब 200 बीघे में सब्जी की खेती कर रखी है. सब्जियों में कद्दू, करैला, नेनुआ, भिंडी, गोभी, टमाटर, परवल आदि शामिल हैं. किसानों को सब्जी की खेती के लिए प्रखंड कृषि कार्यालय से कोई लाभ नहीं मिला, जिससे किसानों की लागत काफी बढ़ गयी. मौसम ने साथ नहीं दिया. गांव के पंकज कुमार ने अपने 15 कट्ठे खेत में करैला व कद्दू की खेती कर रखी है. इसका 13 हजार रुपये लागत है.
वह कहते हैं कि प्रखंड कृषि कार्यालय से न तो बीज मिली, न खाद और न ही दवा मिली. डीजल अनुदान भी नहीं मिला. 150 रुपये प्रति घंटा की दर से आठ घंटा पानी पटाना पड़ा. इस खेती से लागत भी हाथ नही लगेगी. विनय सिंह बटाई पर सब्जी की खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि 10 कट्ठा में मिर्च की खेती कर रखी है. स्थिति अच्छी नहीं है.
मकई भी हाथ नहीं लगी. पटवन करके रबी फसल की बुआई कर रहे हैं. नमी की कमी के कारण धनिया अभी तक अंकुरित नहीं हुआ है. शंभु सिंह ने तीन बीघे में कद्दू, परोल, करैला, भिंडी की खेती कर रखी है. बीज, खाद, दवा, पानी, डोरी, बांस बत्ती, जुताई, मजदूरी में कुल 60 हजार रुपये खर्च हो गये.
हल्की बारिश के बाद कड़ी धूप होने के वजह से कद्दू व करैला की लतें मर गयी. दिलीप सिंह ने बताया कि हमलोग सब्जी की खेती करते हैं. सरकार हमें बढ़ावा नहीं देती है. उदय शंकर कुमार, भूषण सिंह, राजेंद्र सिंह, विपिन सिंह, देवकी सिंह, परमानंद सिंह आदि ने भी सब्जी की खेती कर रखी है.