जमुई/ चकाई : पाकिस्तान के जेल में बंद नरेश के जिंदा होने की सूचना पाकर उसके झलक देखने को लेकर परिजन आतुर हैं. चकाई थाना क्षेत्र के जमुनी निवासी सत्तर वर्षीय नरेश के पिता नुनुलाल शर्मा फफकते हुए बताते हैं कि चार भाई में नरेश तीसरा अर्थात संझला था. उसका बड़ा भाई का नाम अनिल शर्मा, बाजो शर्मा तथा उससे छोटे भाई का नाम उपेन्द्र शर्मा है.
नरेश वर्ष 2006 में अपनी बड़ी बहन प्रमिला देवी के रिश्तेदार के साथ महज 16 वर्ष की उम्र में मजदूरी करने गुजरात प्रदेश के सूरत शहर गया था. जाने के एक सप्ताह के बाद ही उसकी बहन प्रमिला ने सूचना दिया कि वह अपने साथियों के साथ समुद्र में मछली पकड़ने गया था. लेकिन वापस नहीं लौटा है.
हमलोग बेबस हो कर रह गये थे.भाई बाजो राणा उर्फ बाजो शर्मा ने बताया कि रांची में रह रहे मेरा बड़ा भाई अनिल ने बीते एक अक्तूबर को रांची के अखबार में छपे इश्तेहार में नरेश का फोटो देखा तो तुरंत पहचान गया और घर आकर परिजनों को इसकी सूचना दिया है. खोया बेटा को पाने को लेकर घर में है खुशी का माहौलपिछले नो साल से बिछड़े बेटा के जिंदा होने की खबर सुनते ही घर में खुशी का माहौल देखा गया.
नरेश की 65 वर्षीय मां मिरची देवी आंसू भरे आंखों से कहती हैं कि देवी देवता को मांगी मन्नत आज सार्थक हुआ प्रतीत हो रहा है. सामाचार संकलन करने गये संवाददाताओं की ओर मुखातिब होते हुए कहती है कि बाबू हमर बेटवा पाकिस्तान से कहिया छुट कर ऐते, ओकर आवे के आस हमनी के सदा लगल रहले, जेकरा भगवान सुन लेलके.
वृद्ध पिता ने बताया कि दसवीं क्लास में चकाई उच्च विद्यालय में पढ़ाई कर रहा नरेश घर की माली हालात के कारण परीक्षा देने के पूर्व ही प्रदेश काम करने चला गया था. उसका विद्यालय का नाम राकेश शर्मा तथा घर का नाम नरेश शर्मा उर्फ नरेश राणा है.