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बाल विवाह जैसी कुप्रथा के प्रति छात्राओं को किया जागरूक

जामिया आयेशा अल इस्लामिया शैक्षणिक संस्थान में राहत संस्था के तत्वावधान में बाल विवाह की रोकथाम को लेकर मुस्लिम छात्राओं के बीच एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया.

किशनगंज.शहर के हलीम चौक स्थित जामिया आयेशा अल इस्लामिया शैक्षणिक संस्थान में राहत संस्था के तत्वावधान में बाल विवाह की रोकथाम को लेकर मुस्लिम छात्राओं के बीच एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें छात्राओं को जागरूक किया गया. कार्यक्रम में बाल संरक्षण पदाधिकारी रवि शंकर तिवारी के द्वारा छात्राओं को बाल विवाह और उसके अधिकार के प्रति जागरूक किया गया. उन्होंने कहा कि बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप है. साथ ही बताया कि एक लड़की अगर पढ़ती है तो उसकी सात पीढ़ी तक बच्चे पढ़ता है. बच्चों को पढ़ाने लिखने व खेलने की आजादी मिलनी चाहिए. उन्होंने बताया कि बाल विवाह करना जुर्म है. राहत संस्था की निदेशिका डॉ फरजाना बेगम ne कहा कि शादी की उम्र लड़की के लिए 18 वर्ष व लड़का के लिए 21 वर्ष निर्धारित किया गया है. इस उम्र में शादी करने पर उसे उसके होने बाले बच्चे स्वस्थ और तंदुरुस्त होता है. जो व्यक्ति अपनी लड़की कि शादी 18 वर्ष से कम उम्र में शादी करता है उसे दो साल का जेल या एक लाख रुपए जुर्माना देना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि आप सभी आपने माता पिता को समझाएं कि कम उम्र में शादी ना करें और बच्चों को पढ़ाने लिखने का अवसर प्रदान करें ताकि बच्चे पढ़ लिखकर आगे बढ़े. इस मौके पर जामिया आइशा इस्लामिया के प्रिसिंपल मौलाना मुजम्मिल हक मदनी ने राहत संस्थान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्थान डाॅक्टर फरज़ाना बेगम के नेतृत्व में दशकों से सीमांचल के सामाजिक उत्थान के लिए कार्य करती आ रही है. इस कार्यक्रम में महिला थाना प्रभारी सुनीता कुमारी, संस्थान की शिक्षिकाएं व छात्राएं मौजूद थे.

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