आश्चर्य. प्रोन्नति के बाद विद्यालयों में नहीं दे रहे योगदान
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बीआरसी, सीआरसी पद पर कई एचएम
आश्चर्य. प्रोन्नति के बाद विद्यालयों में नहीं दे रहे योगदान आधा दर्जन ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नत किया गया परन्तु इनका बीआरसीसी और सीआरसीसी पद का मोह नहीं छूट रहा है़ प्रोन्नति के बाद इन सभी ने स्थानांतरित विद्यालयों में योगदान भी कर दिया लेकिन प्रभार ग्रहण नहीं कर बीआरसीसी और सीआरसीसी […]
आधा दर्जन ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नत किया गया परन्तु इनका बीआरसीसी और सीआरसीसी पद का मोह नहीं छूट रहा है़ प्रोन्नति के बाद इन सभी ने स्थानांतरित विद्यालयों में योगदान भी कर दिया लेकिन प्रभार ग्रहण नहीं कर बीआरसीसी और सीआरसीसी जैसे पद पर बने हुए है़ं
ठाकुरगंज : राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद् पटना के द्वारा बीआरसीसी और सीआरसीसी पदों पर चयन हेतु जारी मापदंड के अनुसार कोई भी प्रधानाध्यापक बीआरसी और सीआरसीसी पद पर प्रतिनियुक्त नहीं हो सकते़ बावजूद ठाकुरगंज प्रखंड में यह खेल चालू है़ प्रखंड के आला अधिकारियों के मनमाने रवैये के कारण प्रखंड में लगभग आधा दर्जन ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नत किया गया परन्तु इनका बीआरसीसी और सीआरसीसी पद का मोह नहीं छूट रहा है़ हालांकि डीइओ मो ग्यासूदीन इस बात को गलत बताते हैं.
इस मामले के बाबत सवाल पूछे जाने के बाद उन्होंने कहा की इस मामले में तुरंत संज्ञान लेकर उन्हें विरमित कर दिया जाएगा़ बताते चलें कि हाल ही में किशनगंज जिले के 136 प्राथमिक शिक्षकों को एमए प्रशिक्षित पद पर प्रोन्नत कर विभिन्न मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक पद पर पदस्थापित किया गया़
इसके पूर्व इन विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाध्यापक से ही काम चलाया जा रहा था़ इन प्रोन्नत शिक्षको में से दर्जनों शिक्षक प्रोन्नति के पूर्व से ही बीआरसीसी (बीआरपी) और सीआरसी सी पद पर प्रतिनियुक्त है़ प्रोन्नती के बाद इन सभी ने स्थानांतरित विद्यालयों में योगदान भी कर दिया लेकिन विद्यालय प्रभार ग्रहण नहीं करके पूर्व की भांति अपने बीआरसीसी (बीआरपी) और सीआरसीसी जैसे पद पर बने हुए है़ं
सबसे बड़ा सवाल जिले के डीपीओ दो एवं प्राचार्य डाइट पर उठ रहे है प्रोन्नति के एक माह हो गए़ अब तक इनके द्वारा इन शिक्षकों को विद्यालय में योगदान का आदेश क्यों नहीं दिया जा रहा और इस विभागीय लापरवाही और एनसीईआरटी के गाइड लाइन का खुला उल्लंघन के कारण प्रोन्नति के उपरान्त बढ़े हुए वेतन का भी लाभ इन्हें मिल रहा है़ जबकि ऐसे शिक्षकों द्वारा बीआरसीसी (बीआरपी) और सीआरसीसी पद से इस्तीफा के बाद ही इन्हें प्रोन्नत वेतन का लाभ दिया जाना है़ इस मामले में जानकार कहते हैं की डीपीओ दो और प्राचार्य डाइट द्वारा इन शिक्षकों को बीआरसीसी (बीआरपी) और सीआरसीसी पदों से मुक्त करने सम्बंधित आदेश निर्गत कर रिक्त होने वाले पदों पर निदेशक एससीईआरटी द्वारा जारी दिशा निर्देश के तहत नए सिरे से इन पदों पर चयन की प्रक्रिया आरम्भ की जानी चाहिए ,
लेकिन इस जिले में अब तक एक ही सीआरसीसी पर दो दो सीआरसी का प्रभार छोड़ दिया गया है तो नए चयन में शिथिलता की बात समझी जा सकती है़ परन्तु इस शिथिलता के कारण गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का मिशन प्रभावित होता दिख रहा है़ बताते चले प्रधानाचार्य का पद पूर्णकालिक होता है और हेडमास्टर के चार्ज का आदान प्रदान सुनिश्चत करने का काम प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी का है़
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