दहशत . दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है मेची नदी का खतरा
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कटाव से भयाक्रांत हैं कई गांवों के लोग
दहशत . दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है मेची नदी का खतरा मेची का खतरा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है रूपादह में मंदिर व सरकारी विद्यालय सहित महादलितों बस्ती इसके निशाने पर है करीब 30-40 मीटर तटबंध का हिस्सा और बचा हुआ है यदि इसे तत्काल नही बांधा गया तो रूपादह गांव का नक्शा […]
मेची का खतरा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है रूपादह में मंदिर व सरकारी विद्यालय सहित महादलितों बस्ती इसके निशाने पर है करीब 30-40 मीटर तटबंध का हिस्सा और बचा हुआ है यदि इसे तत्काल नही बांधा गया तो रूपादह गांव का नक्शा ही पंचायत से गायब हो जायेगा
पौआखाली : ठाकुरगंज प्रखंड के भौलमारा पंचायत में जिले की सबसे दो बड़ी नदी मेची और महानंदा का कहर कभी भी माखनपुर, रूपादह, भोलाबस्ती पर टूट सकता है. इन दोनों नदियों के जल स्तर में लगातार वृद्धि से इन गांवों के पास तटबंधों पर दबाव बना हुआ है. रविवार के दिन कटाव स्थलों का जायजा लेने पहुचे पंचायत के मुखिया गुफरान अहमद, सरपंच परवाज आलम, प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि महेंद्र गणेश, वार्ड के वार्ड सदस्य उमेश हरिजन आदि ने बारी बारी से पंचायत के तीनों गांव माखनपुर,
रूपादह, भोलाबस्ती में हो रहे कटाव पर बेहद चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मेची का खतरा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है रूपादह में मंदिर और सरकारी विधालय सहित महादलितों के बस्ती इसके निशाने पर है करीब 30-40 मीटर तटबंध का हिस्सा और बचा हुआ है यदि इसे तत्काल नही बांधा गया तो रूपादह गाँव का नक्सा ही पंचायत से गायब हो जायेगा. इसलिए इनलोगों ने जिले के डीएम से वरीय अधिकारीयों की एक टीम भेजकर कटाव का जायजा लेने और सकारात्मक कार्रवाई का आग्रह किया है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
इस गांव के निवासी छट्टू पासवान,गोपाल पासवान, कलपु पासवान,रामा सहनी सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि हम गांववाले रोजाना ही दहशत में जी रहे है ना जाने कब नदी की धारा हमारे गांव को अपनी आगोश में समा ले यह कोई नही जानता. महादलितों ने कहा कि गांव का मंदिर और विद्यालय सबसे पहले नदी के निशाने पर है अगर इसे नहीं बचाया गया तो महादलितों के बच्चें विधालय से विहीन होकर शिक्षा से विमुख होकर रह जायेंगे. गांव की आबादी का मुख्य पेशा खेतीबारी,
मजदूरी और मछली पकड़ना है जो बेहद गरीब लोग है.उधर मुखिया गुफरान अहमद व अन्य ने बताया कि नदी की धारा माखनपुर और रूपादह दोनों गांव के नजदीक से बह रही है और जिन जगहों पर कटाव का सिलसिला जारी है वहां से गांव की दुरी बहुत कम है. मुखिया,सरपंच व अन्य गांववालों के मुताबिक़ इस इलाके को नदियों से सुरक्षित रखने के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर तटबंधों का निर्माण कराना होगा करीब 2 किमी के दायरे में तटबंधों का निर्माण होने पर ही ये गांव सुरक्षित रह पाएंगे.इन लोगों ने कहा कि वर्षों से इस पंचायत में नदी का कहर लोग झेलने को विवश है सैकड़ो एकड़ कृषि योग्य भूमि,घर-बार आदि नदी में समा चुके है. कई घर आज भी वर्षों से विस्थापित है
उनमे वह लोग शामील है जो कभी निश्चिंत होकर यहां जीवन यापन करते थे. जनप्रतिनिधियों के मुताबिक मेची और महानंदा ने कइयों को अर्श से फर्श पर पंहुचा दिया और कइयों को बेघर कर छोड़ दिया है. गरीब भूमिहीन प्रभावित लोग आज भी दूसरे की जमीन पर एक छोटा सा फूस का घर बनाकर अपनी जिंदगी गुजारने पर मजबूर है. इन गांववालों ने कहा कि सरकार तक हमारी दर्द और दुर्दशा को रखने में विधायक, सांसद का प्रयास विफल है.
जिला प्रशासन से आग्रह है कि नदी के कहर से हमारे गांव और सरकारी विद्यालय को बचा लें.इधर गांव वालों ने बताया कि एक दिन पूर्व प्रखंड से विभागीय अभियंता ने आकर स्थिति का जायजा लेकर गये है. वही थानाध्यक्ष महफूज़ आलम ने भी बताया कि उन्होंने भी इन प्रभावित गांवों के अलावे बरचौन्दी, खारुदह गांव पंचायतों के कटाव प्रभावित इलाकों की सूची जिले में जमा कराया है़
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