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न्याय नहीं मिलने पर जूता पॉलिस कर जताया विरोध

किशनगंज : विगत चार वर्षों से न्याय की उम्मीद लगा कर जिले के वरीय पदाधिकारी के दफ्तरों का चक्कर लगाते-लागते थक चुके व्यक्ति ने मंगलवार को अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने क लिए गांधीगिरी का रास्ता अख्तियार कर लिया तथा स्थानीय समाहरणालय के मुख्य द्वार पर बैठ बाबुओं के जूते पॉलिश करने लगा़ व्यक्ति की […]

किशनगंज : विगत चार वर्षों से न्याय की उम्मीद लगा कर जिले के वरीय पदाधिकारी के दफ्तरों का चक्कर लगाते-लागते थक चुके व्यक्ति ने मंगलवार को अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करने क लिए गांधीगिरी का रास्ता अख्तियार कर लिया तथा स्थानीय समाहरणालय के मुख्य द्वार पर बैठ बाबुओं के जूते पॉलिश करने लगा़ व्यक्ति की इस हरकत को देखते ही देखते घटनास्थल पर स्थानीय लोगों के साथ-साथ समाहरणालय कर्मियों की भारी भीड़ इकट्ठी हो गयी़ स्थानीय प्रशासन भी फौरन हरकत में आ गया. एडीएम रामजी साह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आंदोलनकारी युवक को फौरन अपने दफ्तर में बुलाया और जल्द से जल्द समस्या के समाधान का भरोसा भी दिया़

उन्होंने जिलाधिकारी के विधि प्रशाखा का हवाला देते हुए टेढ़ागाछ अंचलाधिकारी को मामले की जांच कर अविलंब जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया़ घटना के संबंध में पूछे जाने पर अंदोलनकारी युवक विद्यानंद चौधरी बकरपुर, रजौली, दरभंगा निवासी ने बताया कि टेढ़ागाछ निवासी स्वतंत्रता सेनानी जहान अली मस्तान ने टेढ़ागाछ प्रखंड में सरकारी अस्पताल के निर्माण के लिए नेहरू लाल शर्मा से एक एकड़ पांच डिसमिल जमीन दान में दी थी़, जिसके एवज में जहान अली ने उसी जमीन के ठीक पीछे की 35 डिसमिल सरकारी जमीन उन्हें मौखिक रूप से भरण पोषण का दे दिया था,
परंतु कुछ ही वर्षों बाद तत्कालीन अंचलाधिकारी ने एक अन्य महिला अनीता देवी के नाम उस जमीन की बंदोबस्त कर दी. कालांतर में अनिता ने नेगरू लाल शर्मा व उसके परिवार को जमीन से बेदखल कर दिया़ तब से खानाबदोश जीवन व्यतीत कर रहे नेगरू लाल शर्मा व उसके परिवार के सदस्यों ने स्थानीय प्रशासन के समक्ष काफी गुहार लगायी परंतु उनकी गुहार अंतत: नक्कार खाने में तूती बोल कर रह गयी़
इधर नेगरू लाल शर्मा व उसके परिवार की दयनीय अवस्था को देख समाजसेवी विद्यानंद चौधरी ने उन्हें इंसाफ दिलाने का बीड़ा उठा लिया़ परंतु विद्यानंद द्वारा लाख कोशिश किये जाने के बाद भी वह नेगरू लाल को इंसाफ दिलाने में नाकामयाब रहने के बाद आखिरकार उसने मंगलवार को स्थानीय प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए गांधीगिरी का रास्ता अख्तियार कर लिया़ उसने बताया कि सरकारी नियमों के अनुसार पीड़ित परिवार ने अपनी बेशकीमती जमीन समाज के हित के लिए अस्पताल के नामकर दान दे दी थी़
उन्होंने बताया कि नेगरू लाल शर्मा व उनका परिवार उस जमीन पर खेती कर अपना भरण-पोषण किया करता था परंतु दान के एवज में मिली जमीन के भी छिन जाने से अब नेगरू लाल व उसके पूरे परिवार के समक्ष भूखों मरने नौबत आ गयी है़ नेगरू लाल के इस त्याग व बलिदान के बावजूद उनका आज भी फाकाकशी के दौर से गुजरना पूरे प्रशासनिक महकमे की पोल खोलने के लिए काफी है़ इस मौके पर विद्यानंद चौधरी ने बताया कि जब तक पीड़ित नेगरू लावल को इंसाफ नहीं मिल जाता उनका आंदोलन जारी रहेगा़ वहीं प्रभारी जिलाधिकारी व अपर समाहर्ता रामजी साह ने युवक को कार्यालय में बुलाकर इस मामले में जांच किये जाने की बात कही.

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