किशनगंज जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुशांत कुमार की अदालत ने शुक्रवार को दहेज हत्या मामले के अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने बहादुरगंज खासडांगी निवासी रब्बानी आलम को दहेज अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं में अलग अलग सजा सुनाई है. साथ ही दस हजार रुपए जुर्माना लगाया है. इस वाद में सजा के बिंदु पर लोक अभियोजक प्रणव कुमार ने दलीलें पेश की जिस कारण उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त को सजा सुनाई जा सकी. अदालत ने धारा 302 के अंतर्गत अभियुक्त को आजीवन कारावास व दस हजार रुपए अर्थदंड, धारा 201 के अंतर्गत तीन वर्ष के कठोर कारावास व दो हजार रुपए आर्थिक दंड, धारा 498 ए के अंतर्गत तीन वर्ष एवं दो हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई. सभी सजाएं एक साथ चलेगी. मिली जानकारी के अनुसार तीन वर्ष पूर्व मां अंजुमा खातून ने सदर थाना में कांड संख्या 432/22 के तहत अपनी पुत्री निसरत जहां की दहेज के लिए हत्या का मामला दर्ज करवाया था. मामले में सत्र वाद संख्या 49/2023 के तहत जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में इस केस की सुनवाई चल रही थी. मामला 1 नवंबर 2022 का है. मृतका निसरत जहां (22) की शादी अभियुक्त रब्बानी आलम से हुई थी. शादी के कुछ दिन बाद ही ससुराल वालों ने मोटरसाइकिल और तीन लाख रुपये दहेज की मांग शुरू कर दी. मांग पूरी न होने पर निसरत को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा. महिला अक्सर रोते हुए मायके आती और परिजनों को अपनी आपबीती सुनाती थी. 1 नवंबर 2022 की रात को पति रब्बानी आलम ने अपनी पत्नी निसरत जहां की गला दबाकर हत्या कर दी. सबूत मिटाने के लिए शव को घर से करीब 8 किमी दूर सिंथिया-कुलामनी नहर में फेंक दिया. कई दिनों तक निसरत के न लौटने पर परिजनों ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई. बाद में नहर से मिले शव की शिनाख्त निसरत के रूप में हुई. पोस्टमार्टम में मौत का कारण गला घोंटना पाया गया था. मामले में लोक अभियोजक प्रणव कुमार ने 12 गवाह पेश किए.
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