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डॉ अरुण पर कसा शिकंजा, हटाने की तैयारी

डॉ अरुण पर कसा शिकंजा, हटाने की तैयारी फोटो::::::::::::::::नहीं है-कार्रवाई . लापरवाही, दुर्व्यवहार, महिलाओं को अपशब्द कहने जैसे आरोप का मामला -गोगरी के पूर्व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरुण सिन्हा को हटाने की होगी अनुशंसा -सीएस ने कहा, डीएम के छुट्टी से लौटते ही मंत्रणा कर सरकार को भेजी जायेगी रिपोर्ट -जांच के बाद गोगरी […]

डॉ अरुण पर कसा शिकंजा, हटाने की तैयारी फोटो::::::::::::::::नहीं है-कार्रवाई . लापरवाही, दुर्व्यवहार, महिलाओं को अपशब्द कहने जैसे आरोप का मामला -गोगरी के पूर्व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अरुण सिन्हा को हटाने की होगी अनुशंसा -सीएस ने कहा, डीएम के छुट्टी से लौटते ही मंत्रणा कर सरकार को भेजी जायेगी रिपोर्ट -जांच के बाद गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी पद से सीएस ने हटाया -चौथम पीएचसी में आशा व डॉ अरुण प्रकरण में जांच रिपोर्ट से सीएस संतुष्ट नहीं -तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर दिसंबर 2011 में गिरी थी गाज ड्यूटी से गायब रहने, कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार, महिलाओं के साथ अपशब्द का प्रयोग करने जैसे कई आरोप जांच में सच पाये जाने के बाद डॉ अरुण कुमार सिन्हा को गोगरी व चौथम के प्रभार से हटा दिया गया है. जल्द ही पूरी जांच रिपोर्ट मुख्यालय भेज कर हटाने की अनुशंसा की जायेगी. – डॉ रासबिहारी सिंह, सिविल सर्जन, खगड़िया आशा कार्यकर्ताओं द्वारा क्षेत्र में हुए प्रसव को अस्पताल की रजिस्ट्रर में इंट्री के लिये दबाव दिया जा रहा था. जिसे मानने से इनकार करने पर साजिश के तहत हो हंगामा किया गया. भ्रष्टाचार रोकने के कारण तरह-तरह के बकवास आरोप लगा कर बदनाम किया जा रहा है. सारे आरोप बेबुनियाद हैं. – डॉ अरुण कुमार सिन्हा, पूर्व चिकित्सा प्रभारी, गोगरीप्रतिनिधि, खगड़ियाड्यूटी से गायब रहने सहित दूसरी लापरवाही डॉ अरुण कुमार सिन्हा को भारी पड़ने वाली है. सिविल सर्जन डॉ रासबिहारी सिंह ने जांच में आरोप सच पाये जाने के बाद अब हटाने के लिये अनुशंसा करने के संकेत दिये हैं. बताया जाता है कि डीएम के छुट्टी से लौटने का इंतजार है. इसके बाद गोगरी के पूर्व चिकित्सा पदाधिकारी की करतूत पर मंत्रणा कर हटाने के लिये अनुशंसा किया जा सकता है. बता दें कि कई बार मिली शिकायत के आधार पर सिविल सर्जन ने स्वयं गोगरी रेफरल अस्पताल पहुंच कर जांच की. इससे पूर्व आम्रपाली रेल हादसा मामले में घटनास्थल पर पहुंचने के लिए कई बार फोन करने के बाद भी रिसीव नहीं किया गया. इसके बाद सीएस ने तुरंत एक्शन लेते हुए डॉ अरुण कुमार सिन्हा को गोगरी चिकित्सा प्रभारी से हटा दिया. उनकी जगह डॉ अरविंद कुमार को तैनात किया गया है. इसी तरह चौथम के प्रभारी से भी मुक्त कर डॉ एनपी मेहरा को उनके स्थान पर भेजा गया है. सीएस रिंग करते रहे, पर मोबाइल नहीं उठाया बीते दिनों पसराहा के समीप आम्रपाली एक्सप्रेस के आधा दर्जन डिब्बे पटरी से उतरने वाली रात में सूचना मिलने पर सीएस रासबिहारी सिंह ने गोगरी के चिकित्सा प्रभारी डॉ अरुण कुमार सिन्हा की मोबाइल पर कई बार रिंग किया. घंटी बजती रही लेकिन दूसरी तरफ से रिसीव नहीं किया गया. इधर, विधि व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका को देखते हुए मौके पर दूसरे चिकित्सक को भेजा गया. सीएस श्री सिंह ने बताया कि दूसरे दिन गोगरी रेफरल अस्पताल पहुंचने पर डॉ अरुण कुमार सिन्हा गायब मिले. इस दौरान अस्पताल में तैनात कर्मियों ने कई गंभीर आरोप लगाये. अवैध उगाही के लिए करते हैं प्रताड़ित 21 दिसंबर को सिविल सर्जन डॉ रासबिहारी सिंह के समक्ष लिखित रूप से कार्यालय संगणक व लेखापालन ने कहा कि डॉ अरुण कुमार सिन्हा (पूर्व चिकित्सा पदाधिकारी) अवैध उगाही के लिए तरह तरह से प्रताडि़त करते हैं. नहीं देने पर परेशान किया जाता है. महिला कर्मियों के साथ बदसलूकी, अपमानित करते हुए अपशब्दों का इस्तेमाल किये जाने की भी बात सामने आयी. सीएस ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तुरंत ही प्रभारी पद से डॉ सिन्हा को हटा दिया. स्वास्थ्य मंत्री ने भी कार्रवाई का दिया था निर्देश चार दिसंबर 2011 को खगडि़या भ्रमण के दौरान तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी कर्मियों व आमलोगों व जनप्रतिनिधियों द्वारा शिकायत किये जाने के बाद गोगरी में तैनात डॉ अरुण कुमार सिन्हा पर कार्रवाई का निर्देश दिया था. जिसके बाद 22 दिसंबर 2011 को डॉ अरुण कुमार सिन्हा को गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी पद से हटाते हुए सारे वित्तीय प्रभार छीन लिये गये थे. उनकी जगह डॉ संतोष कुमार डोकानिया को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बनाया गया था. आशा-डॉ सिन्हा प्रकरण में जांच से सीएस संतुष्ट नहीं बीते दिनों चौथम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आशा कार्यकर्ताओं ने घंटों डॉ अरुण कुमार सिन्हा को बंधक बनाये रखा था. इस मामले की जांच के लिये तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया. जिसकी जांच रिपोर्ट सीएस को सौंपी जा चुकी है. जिसमें आशा कार्यकर्ताओं द्वारा लगाये गये आरोपों पर कोई जांच नहीं हुई है. सिविल सर्जन डॉ सिंह ने बताया कि विस्तृत जांच नहीं की गयी. इस रिपोर्ट से वह संतुष्ट नहीं है. आशा कार्यकर्ताओं द्वारा लिखित रूप से लगाये गये आरोपों की फिर से जांच की जायेगी. बता दें कि दर्जनों आशा कार्यकर्ताओं के हस्ताक्षरयुक्त आवेदन में डॉ सिन्हा पर कई आरोप लगाये गये हैं. जिसमें प्रोत्साहन राशि में कमीशन, बिना अवैध उगाही के चेक पर हस्ताक्षर नहीं करने, फंड में पैसा रहने के बाद भी प्रोत्साहन राशि के भुगतान में कमीशन मांगे जाने, प्रत्येक डिलिवरी पर 50 रुपये अवैध उगाही करने जैसे आरोप शामिल हैं.

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