विधान : सभा क्षेत्र में तो लोकतंत्र के महापर्व में मतदान करने वालों की होड़ लगी ही थी. वहीं नि:शक्त मतदाता के जोश में भी कोई कमी देखने को नहीं मिली.
रामपुर गांव के नि:शक्त देवो साह का कहना है कि लोकतंत्र के महापर्व में मैं हर बार मतदान करने आता हूं. इसके लिए थोड़ी बहुत परेशानी तो होती ही है, लेकिन वोट डालने के बाद सारा कष्ट मतदान की खुशी के सामने छोटा पड़ जाता है.
वहीं सुमित्रा देवी का कहना है कि नि:शक्तता के बावजूद मैं लगभग 50 वर्षों से मतदान करती आ रही हूं. मतदान का वक्त आते ही मैं अपने आप को नहीं रोक पाती हूं.