सत्तर के दशक में बिहार सरकार ने इस क्षेत्र के किसानों को सस्ती दर पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए कोसी नहर सिंचाई योजना के तहत नहरों का जाल बिछाया. इन नहरों की देख-रेख के लिए बेलदौर में कई एकड़ जमीन अधिगृहित कर सिंचाई योजना को मुक्त रूप देने के लिए अनुमंडल स्तरीय कार्यालय की स्थापना की गयी. किसानों के मुताबिक इस व्यवस्था की देख-रेख करने के लिए सरकार ने अधिकारियों एवं कर्मियों को रहने के लिए एक हेक्टेयर जमीन में चहारदीवारी बना कर कार्यालय, आवास के अलावा एक निरीक्षण भवन का निर्माण करवाया. इस कार्यालय के उत्तरी भाग में एक गोदाम का निर्माण विभागीय स्तर पर करवाया गया. भू-माफियाओं ने विभागीय अधिकारियों के साथ ही स्थानीय प्रशासन को प्रभाव में लेकर इस गोदाम को तोड़ कर सामान अपने घर ले गये. तबसे इस प्रोजेक्ट के लिए अधिगृहित की गई भूमि की बिक्री जोर पकड़ ली. इस गोदाम के हटने के साथ ही भू माफिया इस बेशकीमती जमीन को टुकड़ों में महंगी कीमत में बेच कर निकलने में कामयाब रहे. अब प्रोजेक्ट की भूमि पर कई लोगों ने कब्जा कर रात में कर उस पर फूस के घर बना दिये हैं. सूत्रों के मुताबिक भू-माफियाओं ने इसे तब बेचना प्रारंभ किया, जब वर्ष 1987 में आयी कोसी के बाढ़ में यह व्यवस्था क्षतिग्रस्त होकर मृत प्राय हो गयी.
विभाग के द्वारा बाढ़ में क्षतिग्रस्त होने के दो दशकों तक इस व्यवस्था को पुर्नजीवित नहीं किये जाने से इसका नाजायज लाभ भू माफियाओं ने उठाया एवं प्रोजेक्ट के लिए अधिगृहित की गयी आधे से अधिक जमीन की बिक्री कर दी. बिक्री के क्रम में क्रेताओं को यह कह कर बरगलाया गया कि यह प्रोजेक्ट अब बंद हो गया है. हमने अपनी अधिगृहित जमीन का मुआवजा सरकार से नहीं लिया है. इस वजह से यह जमीन अब प्रोजेक्ट की नहीं बल्कि उनकी है.