– जीएनएम करती हैं सीजीरिएन. जर्जर भवन को बनाने का नहीं हैं प्रस्ताव बरारी प्रखंड का रेफरल अस्पताल जो अनुमंडलीय स्तरीय अस्पताल होने के बावजूद स्वास्थ विभाग चिरनिन्द्रा में सोया हुआ है. रेफरल में स्पेसलिस्ट चिकित्सक का चार पद स्वीकृत है. सृजित चिकित्सक के पद जिसमें दंत चिकित्सक, गायनकोलोजिस्ट, आर्थोपेडिक्स, सर्जरी के एक भी चिकित्सक अस्पताल में नहीं है. रेफरल में चार जीएनएम पदस्थापित है. लैब टेक्नीनिशयन, फर्मासिस्ट, ओरो असिस्टेन्ट एवं परिधापक का पद खाली पड़ा है. स्वास्थ्य कर्मी फोर्थ ग्रेड के नौ कर्मी पदस्थापित हैं. ओपीडी सेवा चालू है. आउट सोर्सिंग चालू है. एसआईएस गार्ड पदस्थापित है. प्रसव कार्य जीएनएम के द्वारा कराया जाता है. चिकित्सक की कमी के कारण बड़ा अस्पताल में सुविधा नदारत है. यह आसपास के कई प्रखंडों एवं बरारी प्रखंड की चार लाख की आबादी रेफरल अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ लेती रही मरीजों की संख्या में थोड़ी कमी आई है. 15 जून 1986 को बिहार सरकार के पूर्व मंत्री दिनेश कुमार सिंह ने 38 वर्ष पूर्व रेफरल अस्पताल में मरीजो की सेवा शुरू की गयी. वर्ष 2019 से हीं अस्पताल की जर्जर भवन को बनाने का मामला विधायक नीरज यादव ने विधान सभा में उठाया था. वर्तमान विधायक विजय सिंह ने भी रेफरल अस्पताल की जर्जर भवन का मामला सदन में उठाया. स्वास्थ्य विभाग से बीएमएसआईसीएल की टीम ने आकर अस्पताल के भवन को तोडने की बात सामने आयी. अस्पताल भवन तोड़ने के बाद अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था का संचालन किस भवन में होगी. इस को लेकर स्वास्थ्य टीम चुप्पी साध ली. जबकि रेफरल का नया भवन बनाने का कई बार प्रस्ताव विभाग को भेजा गया. आज तक स्वीकृति नहीं मिली. आखिर मरीजों का उपचार कहां होगा. अस्पताल का भवन बनाया जाय तभी पुराने भवन को तोड़ा जाय. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मुशर्रफ हुसैन बताते हैं स्वीकृत पद एवं जर्जर भवन के सामने नये भवन बनाने को प्रस्ताव भेजा गया है. जो संसाधन है उसे हीं उपयोग किया जा रहा है. जबकि रेफरल में रोजाना पांच सौ मरीज की जांच एवं दवाई की व्यवस्था होती रही. लेकिन चिकित्सक की कमी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. सीएस का ध्यान इस ओर नहीं है.
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