– सात विधानसभा में छह पर एनडीए ने जमाया कब्जा, मनिहारी विधानसभा सीट पर महागठबंधन का रहा कब्जा राज किशोर, कटिहार कटिहार के सात विधानसभा सीटों में छह पर एनडीए प्रत्याशियों की जीत ने सभी पूर्व अनुमानों को झुठला दिया है. एनडीए की इस एतिहासिक जीत का रास्ता मतदान के दिन बंफर वोटिंग ने खोल दिया था. जानकारों का कहना है कि इस जीत में मुख्य भूमिका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से चुनाव से कुछ दिन पूर्व जीविका दीदियों के खाते में भेजे गये 10-10 हजार, 125 यूनिट मुफ्त बिजली, वृद्धा पेंशन में बढ़ायी गयी राशि को भी मान रहे हैं. यही वजह है कि कटिहार जिले के सात विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं के वोटिंग का प्रतिशत 84.14 तक पहुंच गया. जबकि पुरूषों का वोटिंग प्रतिशत 74.57 प्रतिशत तक ही रहा. आजादी के 75 वर्ष बाद पहली बार कटिहार में इतने बड़े पैमाने पर वोटिंग का प्रतिशत बढ़ा. इससे पहले इस तरह की वोटिंग देखने को नहीं मिला था. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जदयू का जमीनी स्तर पर भले ही संगठन मजबूत नहीं हो, पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला का बड़ा वोट बैंक अपने पार्टी के लिए तैयार कर लिया है. यहीं वजह है कि कटिहार ही नहीं सूबे में लगभग एक तरफा एनडीए का रिजल्ट जीत के साथ देखने को मिला है. राजनीतिक के दिग्गजों के किये गये विश्लेषण पूरी तरह से धाराशाही हुए हैं. कटिहार विधानसभा में सुशासन व विकास के नाम पर पड़े वोट कटिहार विधानसभा से लगातार पांचवीं बार पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने जीत दर्ज की है. लोगों का कहना है कि उनकी जीत में मुख्य भूमिका सुशासन व विकास कार्यों को जाता है. गौरतलब हो कि कटिहार सीट से भाजपा ने अपने चार बार से जीते पुराने चेहरे पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद पर भरोसा जताया था. जबकि महागठबंधन की ओर से पहली बार वीआइपी को यह सीट मिली थी. इस सीट से वीआइपी ने अपना उम्मीदवार भाजपा एमएलसी अशोक अग्रवाल के पुत्र सौरव अग्रवाल को बनाया था. राजनीतिक विश्लेषक कड़ी लड़ाई मान कर चल रहे थे. इस सीट से लगातार पांचवीं बार जीत दर्ज कर तारकिशोर प्रसाद ने इतिहास रचने का काम किया है. बलरामपुर विधानसभा में भाकपा माले की हार का कारण एआइएमआइएम बना बलरामपुर विधानसभा क्षेत्र में अपनी गहरी पैठ रखने वाले भाकपा माले विधायक महबूब आलम की हार का मुख्य कारण एआइएमआइएम के प्रत्याशी आदिल हसन का पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरना है. पहली बार एआइएमआइएम ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार को यहां से बनाया था. पहली ही बार में एआइएमआइएम प्रत्याशी का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा. बलरामुपर विधानसभा में मुसलिम वोटरों की निर्णायक भूमिका रहती है. इस बार के चुनाव में भाकपा माले के विधायक महबूब आलम की हार की मुख्य वजह एआइएमआइएम का लड़ना है. यही वजह रहा कि एनडीए के लोजपा प्रत्याशी संगीता देवी ने जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया है. प्राणपुर में कांग्रेस से अलग होकर एआइएमआइएम से लड़े आफताब की वजह से राजद हारी प्राणपुर विधानसभा में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज आफताब आलम ने एआइएमआइएम पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ने की वजह से महागठबंधन के राजद प्रत्याशी इशरत प्रवीण के हार की मुख्य वजह बनी. जानकारों का कहना है कि इस सीट पर एआइएमआइएम के प्रत्याशी ने पहली बार चुनाव लड़ा और अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी. महागठबंधन का वोट राजद व एआइएमआइएम के बीच बंटने की वजह से भाजपा प्रत्याशी निशा सिंह को जबरदस्त लाभ मिला और जीत दर्ज की. कदवा में कांग्रेस ने पुराने चेहरे पर जताया था भरोसा कदवा विधानसभा में अंदरूणी विवाद का सिधा फायदा जदयू प्रत्याशी डॉ दुलाल चंद्र गोस्वामी को मिला है. इस सीट पर कांग्रेस विधायक डॉ शकील अहमद खान के कार्यशैली से लोगों में खासी नाराजगी थी. स्थानीय कार्यकर्ता व आमलोग कांग्रेस प्रत्याशी को बदलने की मांग कर रहे थे. पर कांग्रेस आलाकामान ने लोगों की भावना को दरकिनार कर दिया. जिसका खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में हार कर भुगतना पड़ा. जबकि जदयू ने लोगों की भावना को समझते हुए पूर्व सांसद डॉ दुलाल चंद्र गोस्वामी को अपना उम्मीदवार बनाया था. जिसका लाभ उन्हें जीत दर्ज कराकर जनता ने दी है. इसके आलावा यहां भी एआइएमआइएम फैक्टर बहुत हद तक रहने की बात कहीं जा रही है. कोढ़ा विधानसभा में स्थानीय उम्मीदवार पर नहीं दिया गया ध्यान कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र में हर पांच साल पर विधायक को बदल देने का प्रचलन पर इस बार रोक लगाया है. यहां का रेकार्ड रहा है कि हर पांच साल पर लोग अपने विधायक को बदल देते हैं. पर इस बार ऐसा नहीं हुआ. इसकी मुख्य वजह स्थानीय उम्मीदवार को प्राथमिकता नहीं देना माना जा रहा है. कांग्रेस में इस बार गुटबाजी चरम पर शुरू से रही. वहां के कार्यकर्ताओं की मांग थी कि कोढ़ा के स्थानीय को पार्टी टिकट दे. पर पार्टी हाइकमान ने इस बात की अनदेखी की और पुराने चेहरे पर भरोसा किया गया. जिसका परिणाम यह रहा कि भाजपा विधायक कविता पासवान को लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल हुई है. मनिहारी में कांग्रेस प्रत्याशी के जीत के अलग हैं माइने मनिहारी में कांग्रेस विधायक मनोहर प्रसाद सिंह ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज कर कृतिमान स्थापित कर दिया है. जिले से महागठबंधन के एक मात्र कांग्रेस प्रत्याशी मनोहर प्रसाद सिंह ने इस सीट को बचाकर महागठबंधन को संजीवनी देने का काम किया है. इस सीट से कांग्रेस के जीत के माइने अलग बताये जा रहे हैं. स्वच्छ व ईमानदार छवी के साथ विकास के किये गये कार्यों पर वोट देकर लोगों ने लगातार चौथी बार विधानसभा भेजने का काम किया है. बरारी सीट से जीत के माइने बरारी सीट से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर जदयू विधायक विजय सिंह विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए हैं. उनके जीत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के किए गये विकास कार्यों के साथ महिलाओं को दिये गये दस-दस हजार, 125 यूनिकट मुफ्त बिजली, वृद्धा पेशन में बढ़ोतरी का योगदान है. जबकि अतिपिछड़ा वोट एक मुस्त साथ रहने का जबरदस्त फायदा मिला.
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