फलका त्याग व बलिदान वाला पर्व ईद-उल-अजहा के अवसर पर प्रखंड क्षेत्र के शालेहपुर ग्राम में एक दिवसीय खूबसूरत मुशायरा सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मुमताज इशाती ने की. जबकि मंच संचालन बिहार के जाने-माने कहे जाने वाले शायर शम्स तबरेज़ सालेहपुरी ने किया. मुशायरा का आगाज़ 9 बजे से शुरू हुआ फिर थमने का नाम ही नहीं लिया. आयोजित मुशायरे में शेरों-शायरी व ग़ज़ल की बरसती फुहार से काफी संख्या में मौजूद दर्शक झूमते रहे. वक्त की सुई रफ्ता-रफ्ता चलती रही और शेरो-शायरी का दौर चलता रहा. आयोजित मुशायरा में मुख्य रूप से इंजमाम कटिहारी जो कई मुशायरा में कामयाबी की जीनत बना है. उन्होंने- देखो मेरे शहर में वह क्या काम कर दिया. नौजवान शायर के ग़ज़ल के ये शेर पर हमारी मोहब्बत अटूट है ये न टूटेगा कभी/इसे तोड़ने के फ़िराक में वक्त जाया न करो खूब दाद मिला. दर्शकों के दिल जीतने में सफल रहे. भीषण गर्मी के वावजूद सैकड़ों की संख्या में श्रोता अंतिम तक जमे रहे. इसके अलावा उमेश कुमार की शेर वो चांदनी रात फिर से सजाने निकले हैं. पेश कर श्रोताओं से खूब वाहवाई लूटी. जावेद रज़ी के को हर शेर पर दाद मिला. इसके अलावा जाहिद अख़्तर, फहीमुद्दीन नदवी, शाकिर वाहिदी, इम्तियाज रंगीला, कैशर नदीम, गुलाम सरवर, सबा कोशर आदि ने अपने-अपने जज्बाती, शेर-शायरी, ग़ज़ल,कलाम व खूबसूरत नज़्म आदि पेश कर दर्शकों का मन मोहने में सफल रहे.
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