कटिहार.रेलवे की पहली दूरसंचार अनुरक्षण अध्ययन समूह (एमएसजी) बैठक पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्यालय में हुई. यह बैठक रेलवे बोर्ड के अपर सदस्य (दूरसंचार) और अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ), लखनऊ के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था. जो रेलवे के अधीन आधुनिक संचार प्रणालियों के विकास में एक उल्लेखनीय माइलस्टोन दर्ज हुआ. इस दो दिवसीय सम्मेलन ने रेलवे में दूरसंचार अनुरक्षण में सर्वोत्तम प्रथाओं, नवीन पद्धतियों और उभरती प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान के लिए एक व्यापक मंच प्रदान किया. चर्चा कई प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित थी. जिसमें दूरसंचार उपकरणों के लिए स्वचालित समस्या टिकटिंग प्रणाली, इंटरैक्टिव डैशबोर्ड के माध्यम से परिसंपत्तियों की निगरानी, मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (एमटीआरसी) ओएसएस का अनुरक्षण और जोनल एवं मंडल दोनों स्तरों पर डेटा सेंटर संचालन शामिल हैं. प्रदर्शन मेट्रिक्स जैसे कि मरम्मत का औसत समय और विफलताओं के बीच औसत समय पर भी नज़र रखने पर जोर दिया गया, जो परिचालन दक्षता का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, दूरसंचार टावर, वीडियो निगरानी प्रणाली (वीएसएस), आईपी-एमपीएलएस नेटवर्क और एकीकृत यात्री सूचना प्रणाली (आईपीआईएस) जैसी प्रमुख दूरसंचार परिसंपत्तियों के लिए अनुरक्षण रणनीतियों पर लक्षित सत्र आयोजित किए गये. जिनमें से सभी संचार बुनियादी संरचना के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. बैठक में आरडीएसओ के प्रधान कार्यकारी निदेशक (एसएंडटी) के साथ-साथ उनकी तकनीकी टीम और सभी जोनल रेलवे के प्रधान मुख्य सिग्नल और दूरसंचार इंजीनियर (पीसीएसटीई) और मुख्य संचार इंजीनियर (सीसीई) सहित प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया. बैठक में स्टेकधारकों के बीच विचारों, अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं के व्यापक आदान-प्रदान के लिए एक मंच मिला. इसके अलावा, विभिन्न दूरसंचार प्रणालियों के मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के प्रतिनिधियों ने नवीनतम तकनीकों का प्रदर्शन कर अपने-अपने उत्पादों की कार्यक्षमता, विश्वसनीयता और विशेष विशेषताओं के बारे में बताया. .
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