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फलका के कमला घाट पर पुल नहीं रहने पर जान जोखिम में डाल लोग कर रहे नदी पार

फलका के कमला घाट पर पुल नहीं रहने पर जान जोखिम में डाल लोग कर रहे नदी पार

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– क्षेत्र के लोगों का कमला घाट पर पुल बनाने की है वर्षों पुरानी मांग फलका फलका प्रखंड के मोरसंडा गांव के बरंडी नदी के कमला घाट पर आजादी के 78 वर्ष बीत जाने के बावजूद पुल नही बनने पर लोगों में गुस्सा पनपने लगा है. क्षेत्र के लोग पुल की मांग मुद्दतो से कर रहे है. कोई सुनने वाला नहीं है. पुल नहीं रहने के कारण क्षेत्र के लोग अपनी जोन जोखिम में डाल कर चचरी पुल व नाव के सहारे आवागमन करते हैं. निश्चय ही यह जोखिम भरा है. चचरी पूल व नाव के कारण कई जिंदगियां मौत के आगोश में समा चुकी है. गौरतलब हो कि मोरसंडा पंचायत के कामलाघाट मुसहरी व रहटा पंचायत के बांध टोला वासियों के लिए यह कमला घाट मुख्य रास्ता है. जिस कारण प्रत्येक वर्ष किसी न किसी व्यक्ति का पुल और नाव के अभाव के कारण असमय मौत हो जाती है. जबकि स्थानीय आमजन, मुखिया, जनप्रतिनिधि, क्षेत्रीय सांसद व विधायक से कई बार इस पर पुल निर्माण की गुहार लगा चुकी है. लेकिन अब तक स्थानीय ग्रामीणों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है. जबकि दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत चचरी और नाव से नदी पार करने के दौरान हो चुकी है. कहते हैं मुखिया मोरसंडा पंचायत के मुखिया अजहरुद्दीन उर्फ राजू नायक का कहना है कि कमला घाट में पुल नहीं होने के कारण लोगों को आवागमन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. बरंडी नदी के कमला घाट पर चचरी पुल और डेंगी नाव से हर साल मासूमों की जान जा रही है. कई बार स्थानीय ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक और सांसद से पुल समस्या से निजात की मांग की है. पर पुल निर्माण को लेकर सांसद या विधायक से सिर्फ आश्वासनों का लॉलीपॉप मिला. क्या कहते हैं ग्रामीण स्थानीय ग्रामीण, उपप्रमुख प्रतिनिधि इरसाद आलम, उप मुखिया सेरुद्दीन, राजू चौधरी, विनय मंडल, शंभू साह, असजद आलम, जफर, बंटी झा, परवेज आलम, शब्बो, नौशाद आलम, टिट्टू उर्फ़ राजा सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि अब तक पुल के अभाव में दर्जनों लोगों की निर्मम मौत हो चुकी है. हर साल चचरी पुल व डेंगी नाव से लोग मौत के शिकार हो रहे है. पुल निर्माण अति आवश्यक है. चुनाव के समय नेताजी आश्वासन देकर जाते हैं. जीतने के बाद वादा भूल जाते हैं. जबकि इस पुल से मोरसंडा और रहटा पंचायत के करीब 20 हजार आबादी प्रभावित है. साथ ही करीब पांच हजार महादलित का आवाजाही का एक मात्र रास्ता चचरी पुल है. फिर भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है. लोगों का यह भी कहना है कि देश को आजादी तो मिल गई लेकिन आज भी हमलोगों को लगता है कि मानो गुलामी में जिंदगी जीने को विवश हैं. हालांकि इसको लेकर पिछले दिनों कोढ़ा विधायक कविता पासवान ने विधान सभा में कमला घाट पर सरकार से पुल बनाने की मांग की है.

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