फलका त्याग व बलिदान का त्योहार बकरीद है. अल्लह के नाम पर कुर्बानी ओर ईदगाहों मस्जिदों में अकीदत के साथ नमाज अदा कर दुनिया में अमन व शांति के लिए दुआ करते है. सालेपुर महेशपुर के नेहरी मस्जिद के इमाम शब्बीर अहमद कासमी ने तकरीर के दौरान कही. इब्राहीम अलैय सलाम एक पैगंबर गुजरे हैं. जिन्हें ख्वाब में अल्लाह का हुक्म हुआ कि वे अपने प्यारे बेटे इस्माईल जो बाद में पैगंबर हुए को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दें. यह इब्राहीम अलैह सलाम के लिए एक इम्तिहान था.एक तरफ थी अपने बेटे से मुहब्बत और एक तरफ था अल्लाह का हुक्म. इब्राहीम अलैह सलाम ने सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के हुक्म को पूरा किया और अल्लाह को राजी करने की नीयत से अपने लख्ते जिगर इस्माईल अलैय सलाम की कुर्बानी देने को तैयार हो गये. बकरीद को लेकर ईदगाह व मस्जिदों में सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है.
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