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प्रत्याशियों के पक्ष में ताबड़तोड़ हो रहीं हैं चुनावी सभाएं

राज किशोर, कटिहार : लोकसभा चुनावी प्रचार-प्रसार व सभाओं का दौर कटिहार में 16 अप्रैल को समाप्त हो जायेगा. यहां दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होना है. एनडीए प्रत्याशी दुलाल चंद्र गोस्वामी व महागठबंधन प्रत्याशी तारिक अनवर के बीच कांटे की सीधी टक्कर होती दिख रही है. दोनों उम्मीदवारों के पक्ष में बड़े-बड़े […]

राज किशोर, कटिहार : लोकसभा चुनावी प्रचार-प्रसार व सभाओं का दौर कटिहार में 16 अप्रैल को समाप्त हो जायेगा. यहां दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होना है. एनडीए प्रत्याशी दुलाल चंद्र गोस्वामी व महागठबंधन प्रत्याशी तारिक अनवर के बीच कांटे की सीधी टक्कर होती दिख रही है. दोनों उम्मीदवारों के पक्ष में बड़े-बड़े स्टार प्रचारकों ने लगातार सभा कर मतदाताओं से वोट देकर जिताने की अपील की है.

सभाओं में स्टार प्रचारकों को सुनने भीड़ भी जुटी, लेकिन मतदाता अभी तक खुल कर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. एनडीए के जदयू प्रत्याशी दुलाल चंद्र गोस्वामी के पक्ष में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करीब आधा दर्जन अलग-अलग स्थानों पर चुनावी सभा को संबोधित कर वोट मांग चुके हैं, जबकि महागठबंधन के उम्मीदवार तारिक अनवर के पक्ष में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एक सभा तथा तेजस्वी यादव आधा दर्जन स्थानों पर सभा कर वोट मांग चुके हैं. दोनों प्रत्याशियों के प्रचार वाहन पूरे जिले में घूम-घूम कर वोट मांग रहे हैं, लेकिन आम मतदाता की चुप्पी इन दोनों ही उम्मीदवारों को परेशान कर रही है.
हालांकि चाय-पान, नाश्ता की दुकानों में चुनावी चर्चा खूब हो रही है. केंद्र में किसकी सरकार बनेगी, कौन दल या गठबंधन कितनी सीटें जीतेगा. कटिहार में कौन सांसद बन सकता है. किसके सांसद बनने से स्थानीय लोगों को फायदा होगा आदि पर खूब चर्चा हो रही है.
बाढ़-कटाव व विस्थापन यहां की है बड़ी समस्या
कटिहार लोकसभा में द्वितीय चरण में 18 अप्रैल को मतदान होना है. मतदान को अब महज दो दिन दिन शेष रह गये हैं, लेकिन अब तक स्थानीय मुद्दों पर कोई भी खुल कर बात नहीं किया है. इससे ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं में निराशा है.
गौरतलब हो कि राज्य के अंतिम छोर पर बसा कटिहार पूर्वी क्षेत्र में पश्चिम बंगाल, तो दक्षिण में झारखंड की सीमा को छूता है. नदियों से घिरा यह लोकसभा क्षेत्र में बाढ़ व कटाव की विभीषका से यहां के लोग हर वर्ष त्रस्त रहते हैं. यहां कोसी व महानंदा नदी गंगा में आकर विलीन हो जाती है.
कोसी नदी कुरसेला में आकर गंगा में समा जाती है, जबकि महानंदा नदी जिले के अंतिम छोर पर पश्चिम बंगाल की सीमा पर बसे अमदाबाद में जाकर गंगा नदी में मिलती है. गंगा, कोसी व महानंदा हर वर्ष बाढ़ के समय तबाही मचाती हैं. कटाव व विस्थापित परिवारों को बसाना यहां की सबसे बड़ी जरूरत है, लेकिन इस मुद्दे पर कोई भी दल बात नहीं कर रहा है. इसके अलावा कटिहार की पहचान देश स्तर पर जूट मिल से रही है.
तीन वर्षों से यह जूट मिल बंद पड़ा है. इससे सैकड़ों कामगार बेरोजगार हो गये हैं. इस मिल को चालू करने से सैकड़ों परिवारों के चेहरे पर रौनक लौटेगी. पर, इस ज्वलंत मुद्दे को कोई भी छूने का साहस नहीं दिखा रहा है. हालत यह है कि सभी प्रत्याशी इस पर बोलने से परहेज कर रहे हैं. यही नहीं यहां की पहचान केला की खेती से भी है.
दो वर्षों से किसान केला की खेती से विमुख होते चले गये. केला की खेती में पनामा बिल्ट रोग लगने से केले की खेती पूरी तरह से बर्बाद हो जा रही है. यह खेती नगदी फसल के रूप में जानी जाती है. अब किसान मक्का की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. इसके साथ ही मखाना की खेती के लिए भी कटिहार जाना जाता है. पर, संसाधन व बाजार के अभाव में किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है. स्थिति यह है कि कोई भी उम्मीदवार किसानी व खेती के बारे में बात नहीं कर रहा है. इससे किसानों में मायूसी है.
आयरन युक्त पानी नहीं बना चुनावी मुद्दा
वैसे तो पूरे जिले में लोग आयरन व फ्लोराइड युक्त पानी पीकर बीमार हो रहे हैं, लेकिन कटिहार शहर में पानी में भारी मात्रा में आयरन लोगों को की सेहत बिगाड़ रहा है. आयरन युक्त पानी से मुक्ति कैसे लोगों को मिलेगी इस पर कोई बात नहीं हो रही है,
जबकि करोड़ों की लागत शहर में दो-दो पानी टंकियों का निर्माण कार्य तीन साल पहले पूरा हो चुका है. शहर में घर-घर शुद्ध पेयजल कैसे पहुंचेगा इस पर कोई बात नहीं हो रही है. यूं कहें तो इतनी बड़ी ज्वलंत समस्या को चुनावी मुद्दा किसी दल ने नहीं बनाया है. स्थानीय लोग इस बात से मायूस हैं.
फ्लाईओवर ब्रिज पर भी नहीं हो रही बात
कटिहार शहर चारों ओर से रलवे लाइन से घिरा हुआ है. यहां फ्लाइओवर ब्रिज का निर्माण कार्य किया जाना बहुत जरूरी है, लेकिन इस पर कोई बात नहीं हो रही है. गौशाला रेलवे फाटक पर वर्षों से फ्लाईओवर ब्रिज निर्माण की मांग हाेती रही है. पर, आज तक वहां काम शुरू नहीं हो पाया है.
इसके अलावा छिटाबाड़ी जाने के रास्ते में भी फ्लाइओवर बनने से आवागमन में असानी होगी. फ्लाइओवर ब्रिज के निर्माण से शहर में ट्रैफिक व्यवस्था भी दुरुस्त होगा. जाम से लोगों को बहुत हद तक छुटकारा मिलेगा.
कई बड़े उद्योग पहले ही हो चुके हैं बंद
कटिहार में माचिस फैक्ट्ररी, राइस मिल जैसे बड़े उद्योग हुआ करते थे. पर, सभी उद्योग एक-एक कर बंद होते चले गये. एकमात्र जूट मिल बचा था. वह भी तीन वर्षों से बंद पड़ा है. जूट मिल में सैकड़ों कामगार काम करते थे. उनका व परिवार का भरण पोषण जूट मिल के भरोसे होता था.
जूट मिल बंद होने से कामगार भुखमरी के शिकार हो गये हैं. यही वजह है कि कटिहार में बेरोजगारी विकराल रूप धारण कर चुकी है. लोग दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन करने को विवश हुए हैं. पलायन कैसे रुकेगा, बंद हुए उद्योग धंधे कैंसे शुरू होंगे, नये उद्योग व रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में क्या प्रयास किये जायेंगे, इस पर कोई भी दल या प्रत्याशी बात नहीं कर रहा है. इससे युवा बेरोजगारों में निराशा है.

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