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पुनर्वास के लिए आज से खुलेगा अलग दफ्तर

अाक्रोश. पांच घंटे तक अफसरों को कार्यालय में घुसने नहीं दिया, डीएम भी रहे बाहर डीएम के आश्वासन पर पुनर्वास संघर्ष समिति ने आंदोलन स्थगित किया कटिहार : विस्थापितों के पुनर्वास की मांग को लेकर गुरुवार को शहर का माहौल गर्म रहा. इसकी वजह से समाहरणालय सहित अन्य सरकारी दफ्तरों के मुख्य द्वार पर पांच […]

अाक्रोश. पांच घंटे तक अफसरों को कार्यालय में घुसने नहीं दिया, डीएम भी रहे बाहर

डीएम के आश्वासन पर पुनर्वास संघर्ष समिति ने आंदोलन स्थगित किया
कटिहार : विस्थापितों के पुनर्वास की मांग को लेकर गुरुवार को शहर का माहौल गर्म रहा. इसकी वजह से समाहरणालय सहित अन्य सरकारी दफ्तरों के मुख्य द्वार पर पांच घंटे तक ताला लटका रहा. यहां तक कि जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र समाहरणालय के मुख्य गेट के बाहर ही घंटों मोबाइल के जरिये विभिन्न कार्यों का निष्पादन करते दिखे.
दरअसल पुनर्वास की मांग को लेकर पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत जिले भर से हजारों की तादाद में विस्थापित लोग बुधवार की शाम तक शहर के राजेंद्र स्टेडियम में घेरा डालो डेरा डालो अभियान शुरू कर दिये. गुरुवार को नाकेबंदी कार्यक्रम के तहत राजेंद्र स्टेडियम से विस्थापितों का काफिला समाहरणालय की ओर कूच कर गया.
इसके पहले ही जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर समाहरणालय सहित विकास भवन, जिला परिषद कार्यालय, अनुमंडल कार्यालय, निबंधन कार्यालय सहित आसपास के विभिन्न विभागों के सरकारी दफ्तर के मुख्य द्वार पर ताला लटका दिया. सुबह आठ-नौ बजे तक कुछ अधिकारी-कर्मचारी ही अपने अपने दफ्तर पहुंच सके थे. तालाबंदी के बाद अधिकांश अधिकारी कर्मचारियों को मुख्य द्वार के बाहर ही रहना पड़ा.
बात करने के लिए ही बाहर खड़े हैं : डीएम
हालांकि डीएम मिथिलेश मिश्र ने यह स्वीकार किया कि आंदोलनकारी विस्थापितों से बात करने के लिए ही वह समाहरणालय के मुख्य द्वार के बाहर अधिकारियों के साथ खड़े हैं. यहीं से अपने कार्यालय के कार्यों का निष्पादन मोबाइल द्वारा कर रहे हैं. करीब 8 बजे के आसपास विस्थापितों का काफिला हजारों की तादाद में समाहरणालय पहुंच गया.
पुनर्वास संघर्ष समिति के संस्थापक विक्टर झा के नेतृत्व में गांधीवादी तरीके से यह पूरा काफिला जब समाहरणालय पहुंचा, तो हर तबका चकित था. इतनी बड़ी तादाद में भी शांतिपूर्ण तरीके से समाहरणालय पहुंचे हर लोग पुनर्वास की मांग को लेकर नारेबाजी भी कर रहे थे. कई बार आश्वासन व घोषणा के बाद भी अब तक पुनर्वास नहीं होने का मलाल विस्थापितों के चेहरे पर साफ दिख रहा था. करीब पांच घंटे तक विस्थापितों ने समाहरणालय व आसपास के इलाके को न केवल घेरे रखा, बल्कि विभिन्न सरकारी दफ्तरों के मुख्य द्वार पर धरना दिया.
पुनर्वास को लेकर हर सप्ताह होगी समीक्षा
इस बीच डीएम श्री मिश्र अन्य अधिकारियों के साथ पुनर्वास संघर्ष समिति के प्रमुख विक्टर झा के साथ वार्ता शुरू किये. वार्ता के दौरान डीएम ने आश्वस्त किया कि शनिवार से समाहरणालय परिसर में एक दफ्तर खुलेगा, जिसमें पुनर्वास को लेकर काम को आगे बढ़ाया जायेगा. हर सप्ताह के गुरुवार को अंचल पदाधिकारी के साथ विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर समीक्षा बैठक होगी. महीने में एक बार इसकी समीक्षा होगी. डीएम ने प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता के दौरान कहा कि 26 जनवरी से विस्थापितों को चार डिसमिल जमीन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. पूरी संजीदगी के साथ विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर वह प्रतिबद्ध हैं. किसी भी तरह की कोताही नहीं होगी.
डीएम के आश्वासन पर समिति के प्रमुख श्री झा व प्रतिनिधि मंडल में शामिल सदस्यों ने अपना अनिश्चितकालीन आंदोलन को स्थगित कर दिया. डीएम से वार्ता के बाद समिति के प्रमुख श्री झा ने कहा कि अगर इस बार विस्थापितों के साथ किसी तरह का धोखा हुआ, तो अगला कार्यक्रम निर्णायक होगा. पर, उन्हें उम्मीद है कि डीएम इस मामले को गंभीरता व प्राथमिकता से लेते हुए पुनर्वास की दिशा में ठोस पहल करेंगे.
पांच घंटे तक रही अफरातफरी
डीएम, मेयर विजय सिंह व अन्य अधिकारियों के साथ पुनर्वास संघर्ष समिति के प्रमुख विक्टर झा व प्रतिनिधिमंडल में शामिल अन्य सदस्यों को लेकर वार्ता शुरू हुई. समाहरणालय गेट बाहर वार्ता के दौरान सहमति बनने के बाद पुनर्वास संघर्ष समिति की ओर से तत्काल आंदोलन को स्थगित कर दिया गया. इस दौरान करीब 5 घंटे तक समाहरणालय परिसर तथा उसके आसपास का इलाका विस्थापितों के धरना एवं उसके आवाजाही से गर्म रहा. एहतियात तौर पर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम प्रशासन की ओर से किया गया था.
पूर्व में भी हो चुका है सत्याग्रह
पुनर्वास संघर्ष समिति की ओर से विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर इसके पूर्व दो बार आंदोलन किया जा चुका है. इसी साल जून में भी करो या मरो के साथ सत्याग्रह शुरू किया गया था. करो या मरो सत्याग्रह 19 से 24 जून तक चला था. समिति के प्रमुख विक्टर झा के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन अनशन किया गया था.
डीएम मिथिलेश मिश्र के आश्वासन पर 24 जून को करो या मरो सत्याग्रह समाप्त हुआ था. उस समय वार्ता के दौरान जो बातें जिला प्रशासन की ओर से डीएम द्वारा कही गयी थीं, वह अब तक पूरी नहीं हुई हैं. यही वजह है कि पुनर्वास संघर्ष समिति की ओर से फिर से आंदोलन शुरू किया गया. इस बार भी डीएम की ओर से आश्वासन दिया गया है.

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