भभुआ शहर. शहर स्थित राजेंद्र सरोवर जो कैमूर की पहचान है, लेकिन अब इसकी स्थिति बदहाल हो गयी है. इसका मुख्य कारण दो विभागों मत्स्य विभाग और नप के बीच में पेच फंसे होने के कारण इसकी सुंदरता देखरेख के अभाव में बर्बाद हो रही है. जबकि, नगर के सैकड़ों लोग सुबह शाम टहलने के लिए पहुंचते हैं. शहर के कैमूर स्तंभ से सटे सरोवर होने व पर्याप्त जगह होने के कारण नप द्वारा इसका सौंदर्यीकरण की दिशा में कुछ कार्य भी कराया गया था और इसे पर्यटन स्थल बनाने का भी योजना बनायी गयी थी. नप द्वारा शहर के राजेंद्र सरोवर को सुंदर बनाने के लिए पेड़ पौधे, हरी घास, पक्का घाट, सुंदर फूल व तालाब के चारों तरफ स्टैंड लाइटिंग सहित बच्चों के लिये झूला, स्लाइडर, लाेगों के बैठने के लिए छतरीनुमा चबूतरा, नौका बिहार आदि संसाधनों की व्यवस्था की गयी थी, लेकिन तालाब का पानी सुख जाने से व देखरेख के अभाव में मौजूद यहां उपलब्ध सभी संसाधन खराब हो रहे है या नष्ट हो चुके हैं. वहीं, देखरेख के अभाव में तालाब अपनी सुंदरता हर बीतते दिन के साथ खोते जा रहा है. सरोवर में इस समय एक बूंद पानी भी नहीं है, जबकि इसमें पानी भरने के लिए बोरिंग भी करायी गयी है, सरोवर में पानी रहने से नौका विहार करने के लिए लाये गये वोट भी जहां तहां पड़े पड़े सड़कर खराब हो गये है. शहर के अनिल कुमार सिंह व दिनेश सिंह आदि लोगों ने बताया कि यह तालाब शहर के खूबसूरत तालाबों में से एक है, इसमें पानी रहता था तो इसमें मछलियां उछाल मारती थी, जिसे देख बच्चे व लोग झूम उठते थे. जबकि, शाम के समय लाइटिंग से तालाब की सुंदरता चकाचौंध करती रहती थी. लेकिन तालाब का पानी सुख जाने से सब अब वीरान पड़ा हुआ है, लाइटें टूटी चुकी है, बाकी सभी संसाधन भी तीतर बितर हो गये हैं. इस पर नगर पर्षद का ध्यान आकृष्ट कराना चाहिए. वहीं, सूखे हुए तालाब में खेल रहे बच्चों ने कहा कि हमलोगों के घर से स्टेडियम थोड़ा दूर पड़ता है, जब तालाब सूखा रहता है तो इसी में हमलोग खेल की प्रैक्टिस करते हैं.
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