भभुआ. जिले में धान का बीज डालने के लिए सर्वोत्तम नक्षत्र माने जाने वाले रोहणी नक्षत्र के समाप्त हुए एक सप्ताह बीत गये हैं. बावजूद इसके जिले में अभी मात्र 26 प्रतिशत ही धान का बीहन डाला जा सका है. वर्षा के अभाव और सिंचाई साधनों की बदहाली ने किसानों के होश को उड़ा दिया है. गौरतलब है कि खेती आरंभ करने का आषाढ़ माह भी शुरू हो चुका है. लेकिन, जिले में मॉनसूनी बादलों का कहीं अता-पता नहीं चल रहा है. ऊपर से दहक रहे सूरज की किरणों और तेज चल रही गर्म पछुआ हवा के थपेडों ने खेतों के मिट्टी के नमी को खींच कर लाल करना शुरू कर दिया है. ऐसे में धान का बीहन डालने और उसे जिंदा रखने के लिए पटवन की व्यवस्था करने को ले किसानों का हिम्मत जवाब दे रहा है. 25 मई से शुरू हुए 15 दिन के रोहणी नक्षत्र में साधन संपन्न बहुत थोड़े किसान ही धान की बीचड़ा अपने साधनों से डाल सके हैं. अधिकांश किसान माॅनसून के बौछारों और सिंचाई साधनों के इंतजार में अभी धान का बीहन नहीं डाल सके हैं. ऊपर से जिले की मुख्य सिंचाई व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाला सोन उच्च स्तरीय नहर तथा दुर्गावती जलाशय परियोजना भी उल्टी सांस ले रही है. जबकि, इन दोनों सिंचाई साधनों पर ही जिले में खरीफ और रबी फसल की खेती टिकी है. साधन संपन्न किसान अपने साधन से कहीं-कहीं बीहन डालकर बीज को किसी तरह जिंदा रखे हैं. इधर, इस संबंध में किनरचोला गांव के किसान मुनी जी मिश्र ने गुरुवार को बताया कि अभी तक दुर्गावती जलाशय परियोजना से एक बूंद पानी बायें तट नहर में नहीं आया है. अभियंता कहते हैं कि नहर की मरम्मत चल रही है. इस क्षेत्र में भू जल स्तर भागने से मोटर पंप भी कारगर नहीं हो पा रहे हैं, जिससे बीहन नहीं डाला जा सका है. जबकि, बरसात नहीं होने से पहाड़ी नदियों में भी पानी नहीं रह गया है. ऐसे में बीहन डाल कर उसे बचाने का जोखिम उठाना बड़ी परेशानी का सबब बन जायेगा. बखारबांध गांव के किसान मोहन सिंह ने बताया कि सोन उच्चस्तरीय नहर से रोहणी नक्षत्र बीतने के दो दिन पहले सोन उच्च स्तरीय नहर में पानी आया. लेकिन, पानी का बहाव इतना कमजोर था कि नहर के पेटी में ही आधा पानी सोख ले रहा था. नहर के आउट लेट पर लगाये गये बीमों से पानी नीचे तक नहीं पहुंच रहा है, जिससे रोहणी नक्षत्र में बीहन नहीं डाला जा सका. गौरतलब है कि जिले में धान की खेती लगभग एक लाख 40 हजार हेक्टेयर में की जाती है. इसके लिए 14 हजार 135 हेक्टेयर में धान के बीज का आच्छादन किया जाना है. =धूप से पानी गर्म होकर बीजों के जड़ों को पहुंचा रहा नुकसान सवाल सिर्फ धान के बिचड़ों के डालने की रफ्तार तक ही सिमिति नहीं रह गयी हैं. जिन किसानों ने धान का बीचड़ा अपने साधन या दूसरे के साधन को किराये पर लेकर डाल दिया है. अब उन बिचड़ों को बचाने में किसान दिन रात पसीना बहा रहे हैं. किसानों का कहना है कि रोहणी नक्षत्र में डाले गये बीजों की कपोलें निकलने लगी हैं. लेकिन, इतनी तेज धूप हो रही है कि कपोलों की फुनगियां लाल होकर झुलस जा रही हैं. दिन में बिचड़ों का अगर पटवन कर दिया जाये तो यह पानी भी धूप से जलकर इतना गर्म हो जा रहा है कि बीजों के जड़ों को नुकसान पहुंच रहा है, इसलिए बीहन का पटवन शाम को किया जा रहा है. लेकिन, पानी का अभाव लगातार बना हुआ है. बहरहाल, किसान अपने संसाधनों से धान का बीहन किसी तरह बचाने की जुगत में जुटे हैं. क्या कहते हैं जिला कृषि पदाधिकारी इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी अनिमेष कुमार ने बताया कि माॅनसूनी वर्षा और पानी के अभाव तथा तेज धूप के कारण जिले में बीहन डालने की रफ्तार बढ़ नहीं रही है. अब तक मात्र 25-26 प्रतिशत ही बीज डाले जा सके हैं. जैसे ही वर्षा होती है या नहरों में पानी का फ्लो बढ़ जाता है, वैसे ही बीहन डालने की रफ्तार भी तेज हो जायेगी. अब तक डाले गये बिचडों का प्रखंडवार ब्योरा प्रखंड प्रतिशत अधौरा 16 भभुआ 27 भगवानपुर 24 चैनपुर 24 चांद 27 रामपुर 27 कुदरा 35 मोहनिया 22 रामगढ़ 24 दुर्गावती 33 नुआंव 19
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