भभुआ सदर. इस बार बरसात और उससे होनेवाली उमस के पहले गर्मी के मौसम में ही जिले में डायरिया खतरनाक हो चला है, जिसके चलते सरकारी अस्पतालों सहित निजी क्लिनिक में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है. फिलहाल सदर अस्पताल के पुरुष व महिला वार्ड में ही डायरिया, पेटदर्द आदि से संबंधित 10 से 15 मरीज भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है. सदर अस्पताल में फिजिशियन डॉ विनय कुमार तिवारी का कहना है कि इस बार उमस भरी गर्मी के शुरुआत में ही डायरिया से ग्रस्त मरीजों की संख्या ज्यादा है. शुक्रवार को 24 घंटे के अंदर डायरिया और पेटदर्द से संबंधित लगभग पचास मरीज इलाज के लिए आये हैं. अस्पताल के ओपीडी और इमरजेंसी में हर दूसरा-तीसरा मरीज डायरिया से ग्रस्त होकर आ रहा है, ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है. ऐसे में लाेगों को भी सावधान रहने की जरूरत है, अन्यथा लोग उल्टी, दस्त, बुखार, पेट में दर्द व डायरिया जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. = बच्चों के लिए डायरिया होता है खतरनाक सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार के अनुसार, बासी खाना और गंदगी सहित दूषित पेयजल से सभी आयु वर्ग के लोग बीमार हो सकते हैं व डायरिया की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन यह रोग बच्चों के लिए अधिक खतरनाक होता हैं. खासकर, अगर नवजात शिशु को डायरिया हुआ है तो डाक्टर को दिखाने में देरी नही करें, क्योंकि बड़े व्यक्ति को पानी पिलाते रहा जा सकता है, लेकिन छोटे बच्चे के लिए ऐसा करना मुश्किल होता है और डायरिया में पानी की ज्यादा कमी घातक भी हो सकती है. ऐसे में मरीज के साथ कोई अप्रिय घटना भी हो सकती है. = अपने आप दवा लेने से बचें डॉ विनोद के अनुसार मरीज को दस्त या बुखार होने पर अपने आप दवा लेकर खाने से मरीज को बचना चाहिए, क्योंकि मरीज आपने मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खाने से बीमारी बढ़ने के चांस ज्यादा रहते हैं. कई बार मरीज को लगता है कि दूसरे को भी डॉक्टर ने यही दवा थी और मुझे भी वही बीमारी है, इसे यही दवा लेनी चाहिए. बताया कि सभी को अपने घरों में ओआरएस का घोल जरूर रखना चाहिए, क्योंकि यह ऐसा संक्रमण वाला रोग है, जिसमें थोड़ी भी लापरवाही बरते जाने पर कोई भी इसकी चपेट में आ सकता है. = ऐसे मौसम में स्वस्थ खानपान जरूरत – बाजार में जलजीरा व गन्ने का रस पीने से बचें – कटे व कई दिन के बचे हुए फल आदि खाने से बचें – ताजे भोजन का सेवन जरूरी – घर से बाहर जाएं, तो पीने का पानी साथ रखें, बाहर का पानी पीने से बचें = –डायरिया के ये होते हैं लक्षण – जल्दी-जल्दी दस्त होना – पेट में तेज दर्द होना – पेट में मरोड़ पड़ना – उल्टी आना – बुखार होना – कमजोरी महसूस होना इनसेट गर्मी के दौरान बच्चों में बढ़ता है निर्जलीकरण व डायरिया का खतरा : डीआइओ – कुशल प्रबंधन नहीं होने की स्थिति में डायरिया हो सकता है जानलेवा – डायरिया के लक्षणों को जानकर व सही समय पर उचित प्रबंधन बेहद जरूरी भभुआ सदर. जिले में अब तल्ख धूप के कारण गर्मी सताने लगी है, जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे मौसम में जरा सी लापरवाही बीमारियों को न्योता दे सकती है. ऐसे में लोगों को मौसम जनित बीमारियों से और सावधान रहने की जरूरत है. खासकर शिशुओं और छोटे बच्चों को. क्योंकि बदलते मौसम और गर्मी के दौरान बच्चों में डायरिया और निर्जलीकरण की शिकायत बढ़ जाती है. डायरिया के कारण बच्चों में अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं. यहां तक कि इस दौरान कुशल प्रबंधन नहीं होने से यह जानलेवा भी हो जाता है. स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण आंकड़े भी इसे शिशु मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक मानते हैं. सही समय पर डायरिया के लक्षणों को जानकर व सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को इस गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है. डीआइओ डॉ रविंद्र कुमार चौधरी ने बताया, डायरिया के शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख माताएं इसकी आसानी से पहचान कर सकती हैं. इससे केवल नवजातों को ही नहीं, बल्कि बड़े बच्चों को भी डायरिया से बचाया जा सकता है. लगातार पतले दस्त आना, बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना, प्यास बढ़ जाना, भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना, दस्त के साथ हल्के बुखार का आना और कभी-कभी स्थिति गंभीर हो जाने पर दस्त में खून भी आने लगता है. यहां तक की गंभीर डायरिया से बच्चों या वयस्क को भी जान का खतरा होने की संभावना बनी रहती है. = परेशानी पर सेविका या आशा दीदी से करें संपर्क डॉ. चौधरी ने बताया कि बार- बार डायरिया या दस्त होने से शरीर में डिहाइड्रेशन हो जाता है. जिसको दूर करने के लिए शिशुओं और बड़े बच्चों को ओरल रिहाइड्रेशन सोल्यूशन (ओआरएस) का घोल पिलायें. इससे दस्त के कारण पानी के साथ शरीर से निकले जरूरी एल्क्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट) की कमी को दूर किया जा सकता है. माताएं अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका या अपने इलाके की आशा दीदी से संपर्क कर इस बात की जानकारी ले सकती हैं. साथ ही, उनसे ओआरएस का घोल बनाने की विधि और किस उम्र के बच्चे को इसकी कितनी मात्रा व कितने बार दिया जाना है ये भी जान सकती हैं. इनसेट अधिक समय तक धूप में रहने से रहता है सन स्ट्रोक का खतरा भभुआ सदर. गर्मी के मौसम में कई समस्याएं लोगों को होती है. इसमें हीट या सन स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है, जिसे लू भी कहा जाता है. इससे बचाव आवश्यक है. सदर अस्पताल के डाॅ विनय तिवारी ने बताया कि केवल हीट वेव के कारण ही नहीं, बल्कि अधिक देर तक धूप में रहने अथवा शरीर में सोडियम व पानी की कमी के कारण भी लोग हीट स्ट्रोक के शिकार हो जाते हैं. शरीर में सोडियम व पानी की कमी के कारण रक्त संचार सही ढंग से नहीं हो पाता है. ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. लोग हीट स्ट्रोक के शिकार हो जाते हैं. हीट स्ट्रोक होने पर अचानक शरीर का तापमान बढ़ जाता है. सिर दर्द व भारीपन होता है. दस्त के साथ घबराहट आदि की समस्या होने लगती है. कई लोगों के त्वचा पर लाल दाने उभरने लगते हैं. शरीर में जकड़न, बार बार पेशाब आना आदि लक्षण है. इसलिए लक्षण समझ आने पर फौरन चिकित्सक से संपर्क करें. इससे बचाव के लिए अधिक देर तक धूप में न रहें. शरीर में पानी और नमक की मात्रा कम न होने दें. शरीर का तापमान समान बना रहे, इसे लेकर ठंड से गर्म में अथवा गर्म से ठंड में अचानक न जाएं. शरीर में मिनरल व आवश्यक तत्वों की कमी न हो, इसे लेकर तरबूज, खीरा आदि पानी वाले फल, हरी सब्जी के साथ, चीनी नमक का घोल लेते रहे. इन उपायों से हीट स्ट्रोक के खतरे को टालने के साथ अन्य समस्याओं से भी बचाव होगा.
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