कुदरा. प्रखंड क्षेत्र में गेहूं की कटाई संपन्न हो गयी है. अब किसान खेतों के खर पतवार के साथ पराली को जलाने में लगे हुए हैं. इससे सड़क किनारे लगे पेड़-पौधे झुलस रहे हैं. साथ ही पर्यावरण का नुकसान पहुंच रहा है. जबकि कृषि विभाग की ओर से पराली नहीं जलाने के लिए गांव-गांव में जाकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इसके बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. शनिवार की देर शाम प्रखंड क्षेत्र के जमुनीपुर व कनपुरा के बधार में पराली में आग लगा दी गयी. इससे सैकड़ों एकड़ की पराली जल गयी. इसके साथ भीषण आग के लपटों से नहर किनारे मनरेगा के द्वारा लगाये गये सैकड़ों हरे पेड़ भी झूलस गये हैं. इसके बाद पेड़ सूख रहे हैं.
दरअसल पराली जलने से एक तरफ भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है, तो दूसरे तरफ बड़े पैमाने पर हरे पेड़ों के जलने व झूलसने से पर्यावरण को भी काफी नुकसान हो रहा है. इसका परिणाम आखिरकार आम जनजीवन को ही भुगतना पड़ेगा. लेकिन कुछ किसान सब कुछ जानते व समझाते हुए भी अंजान बने हुए हैं. जिसका नतीजा हे कि कृषि विभाग की ओर से पराली जलाने से भूमि की होने वाले नुकसान के संदर्भ में जागरूकता चलाने व कार्यवाही के बाद भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं.चुपके से खेतों की पराली में आग लगा जाते हैं किसान :
गांव में कुछ ऐसे नासमझ किसान हैं, जिन पर विभाग की ओर से चलाये गये जागरूकता अभियान का कोई असर नहीं होता हैं. वे चुपके से अपने खेतों की पराली में आग लगा देते हैं. उसी आग के जद में आकर बधार में पड़े दर्जनों अन्य किसानों की भी सैकड़ों एकड़ खेत की पराली के साथ पेड़ पौधे भी आग की चपेट में आकर नष्ट हाे जा रहे हैं.दर्जनों किसानों का फार्मर आइडी लाॅक
इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी विवेकानंद झा ने बताया कि पराली जलाना एक प्रकार का अपराध है. इसे रोकने के लिए कृषि विभाग की टीम गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाती रही है. पराली जलाने वाले अब तक दर्जनों किसानों का फार्मर आइडी लाॅक कर दिया गया है. आगे भी चिह्नित कर कार्यवाही की जायेगी.
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