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2009 में बना इंडोर स्टेडियम पर अब तक उद्घाटन नहीं

इंडोर खेलकूद काे बेहतर बनाने के उद्देश्य पर फिर रहा पानी इंडोर खेलकूद के को बेहतर बनाने के उद्देश्य से बना शहर का इंडोर स्टेडियम अपने उद्घाटन की बाट जोह रहा है. स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि इंडोर स्टेडियम का उद्घाटन तो हुआ नहीं, पर इसकी मरम्मत की जरूरत आ पड़ी. भभुआ (ग्रामीण) […]

इंडोर खेलकूद काे बेहतर बनाने के उद्देश्य पर फिर रहा पानी
इंडोर खेलकूद के को बेहतर बनाने के उद्देश्य से बना शहर का इंडोर स्टेडियम अपने उद्घाटन की बाट जोह रहा है. स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि इंडोर स्टेडियम का उद्घाटन तो हुआ नहीं, पर इसकी मरम्मत की जरूरत आ पड़ी.
भभुआ (ग्रामीण) : 2009-10 में वार्ड नं सात में बन कर तैयार हुआ इंडोर स्टेडियम अपने उद्घाटन कीबाट जोह रहा है. भवन निर्माण विभाग द्वारा सम विकास योजना के तहत 60 लाख रुपये की लागत से बनाया गया भभुआ का एक मात्र इंडोर स्टेडियम एक पहेली बन गया है. आज के इस परिवेश में जहां बच्चे व युवा खेल में नया-नया कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं, वहीं भभुआ शहर में बना इंडोर स्टेडियम प्रशासन की उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. इस इंडोर स्टेडियम के बने कई वर्ष हो चुके हैं.
स्थिति यहां तक आ गयी कि अब इसका भवन जीर्ण- शीर्ण अवस्था में दिखने लगा है. लेकिन, आज भी यह उद्घाटन व खिलाडियों के इंतजार में है. इस इंडोर स्टेडियम का उद्घाटन तो नहीं हो सका, पर कुछ खास लोगों का बसेरा जरूर बना हुआ है. इसके मुख्य गेट पर हमेशा ताला लगा रहता है, पर साइड से एक दरवाजा है. सूत्रों के अनुसार, स्टेडियम के अंदर कुछ लोग भी रहते हैं.
रखे जाते हैं धान व मतपेटियां : स्टेडियम का उद्घाटन तो नहीं हुआ, लेकिन वर्षों से एसएफसी के धान व मतपेटियां जरूर रखी गयी हैं. यानी स्टेडियम गोदाम के काम में आ रहा है. अंदर की स्थिति देख ऐसा लगता है कि इस इंडोर स्टेडियम को सिर्फ गोदाम के उपयोग के लिए बनाया गया है. भभुआ के जिस वार्ड नं सात में इंडोर स्टेडियम स्थित है, वह इलाका शहर के बीचो-बीच बसा है. अधिकतर अधिकारियों व कर्मचारियों के सरकारी आवास भी आसपास ही है, फिर भी स्टेडियम की स्थिति खराब है.
अब जीर्णोद्धार की जरूरत
इंडोर स्टेडियम 60 लाख रुपये की लागत से काफी भव्य बना था. लेकिन, स्थिति अब इस कदर हो गयी है कि इसे जीर्णोद्धार की जरूरत आ पड़ी है. इस इंडोर स्टेडियम के दरवाजों के कांच टूट गये हैं. टेबुल टेनिस के लिए बना कोर्ट भी जगह-जगह से टूट गया है. आसपास झाड़ियां उग गयी हैं. रंग पूरी तरह मटमैला हो चुका है. उसमें लगे मोटर खराब हो चुके हैं. चापाकल भी बंद पड़े हैं.बिजली के तार व बल्ब भी खराब पड़े हुए हैं.
क्या कहते हैं जिलाधिकारी
जिलाधिकारी राजेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि तीन दिनों के अंदर इस स्टेडियम को चालू कराने की दिशा मे काम शुरू कर दिया जायेगा. इस महीने के अंत तक इंडोर स्टेडियम में गतिविधियां शुरू करा दी जायेगी.
प्रशासनिक उपेक्षा पड़ी भारी
इंडोर स्टेडियम को बने कई वर्ष बीत गये, लेकिन प्रशासन के किसी भी अधिकारी की निगाह इस पर नहीं पड़ी. आज की युवा पीढ़ी जहां खेल को अपना भविष्य मान इसमें कैरियर बनाने में दिलचस्पी ले रही, वहीं यहां के अधिकारी बच्चों व युवाओं का भविष्य बिगाड़ रहे.

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