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बिहार में लैप्स होने के कगार पर है जेआरएफ छात्रों की छात्रवृत्ति, विवि ने की समय सीमा बढ़ाने की मांग

नेट-जेआरएफ छात्रों की छात्रवृत्ति लैप्स होने के कगार पर पहुंच गयी है. कारण, कोविड और लॉकडाउन की वजह से पिछले दो वर्षों से पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट (पैट) नहीं हो पा रहा है. पैट नहीं होने की वजह से विवि में नये छात्रों को पीएचडी के लिए नामांकन की फ्रेश प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है.

पटना. नेट-जेआरएफ छात्रों की छात्रवृत्ति लैप्स होने के कगार पर पहुंच गयी है. कारण, कोविड और लॉकडाउन की वजह से पिछले दो वर्षों से पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट (पैट) नहीं हो पा रहा है. पैट नहीं होने की वजह से विवि में नये छात्रों को पीएचडी के लिए नामांकन की फ्रेश प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है.

जब तक नयी प्रक्रिया शुरू नहीं होगी जेआरएफ छात्रों का भी साक्षात्कार व रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता. यही वजह है कि जिन छात्रों का नेट-जेआरएफ दो वर्ष पहले उत्तीर्ण हुआ था, वे अब भी पीएचडी में रजिस्ट्रेशन के इंतजार में हैं.

पीयू ने यूजीसी से समयावधि दो से चार वर्ष करने की मांग की : यूजीसी के द्वारा जेआरएफ की मान्यता सिर्फ दो वर्ष ही रहती है, ज्यादातर छात्रों की समय अवधि समाप्त होने पर है. इसके बाद उनके जेआरएफ की वैधता नहीं रह जायेगी. इसको देखते हुए पटना विश्वविद्यालय के द्वारा विशेष तौर पर इन छात्रों को राहत देने के लिए यूजीसी से जेआरएफ की मान्यता की समयावधि दो वर्ष से बढ़ाकर चार वर्ष करने की मांग की है ताकि इन छात्रों को छात्रवृत्ति से हाथ नहीं धोना पड़े.

दूसरी तरफ पीयू में इस पर भी विमर्श चल रहा है कि जेआरएफ छात्रों का प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन फिलहाल कर दिया जाये. लेकिन इसमें कुछ तकनीकी दिक्कतें हैं, इस पर मंथन चल रहा है. फिलहाल तो यूजीसी पर ही बहुत कुछ निर्भर करेगा. यूजीसी ने इससे पूर्व पहले से पीएचडी कर रहे छात्रों को राहत देते हुए छह-छह महीने का एक्सटेंशन समीशन, साक्षात्कार व अन्य प्रक्रियाओं में दिया है.

इसी विनाह पर इसमें भी वह छूट देगी यह उम्मीद की जा रही है. पीयू कुलपति प्रो गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि यूजीसी से समय सीमा बढ़ाने के लिए आग्रह किया गया है. स्थिति सामान्य होते ही पैट कराया जायेगा.

Posted by Ashish Jha

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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