अरवल. एक तरफ बिहार स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिशन 60 क्वालिटी के तहत बेहतर चिकित्सा की बात करती है, ताकि सदर अस्पताल में ही मरीजों का इलाज हो पाये और मरीज को इलाज के लिए दूसरे शहर और निजी क्लिनिक में नहीं जाना पड़े. वहीं जिले के सबसे बड़ा अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है. सदर अस्पताल में एक भी सर्जन नहीं है. जिसके चलते सदर अस्पताल में ऑपरेशन बंद है. जबकि सदर अस्पताल में अत्याधुनिक ऑपरेशन थिएटर बनकर तैयार है. एक मात्र सर्जन उच्च स्तरीय पढ़ाई के लिए बाहर चले गए. जिसके कारण ऑपरेशन बंद हो गया. जिला के सदर अस्पताल चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है. सदर अस्पताल मात्र 11 चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है. पर्याप्त चिकित्सकों उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है. सदर अस्पताल में सर्जन नहीं है. जिसके कारण मरीजों को निजी अस्पताल में या पटना जाकर ऑपरेशन करना पड़ता है. सर्जन के अभाव में प्रति महीने 100 से अधिक मरीजों को रेफर करना पड़ता है. इसके अलावे स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक एकमात्र है. सदर अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट नहीं रहने के कारण अल्ट्रासाउंड शोभा कि वस्तु बना हुआ हैं. बुनियादी सुविधाओं का अभाव : जिले का सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है. अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सक का आभाव है. जिसके कारण सदर अस्पताल रेफरल अस्पताल बनकर रह गया. काफी मशक्कत के बाद सर्जन आया भी लेकिन जबतक रहा अस्पताल में कोई ऑपरेशन तक नहीं किया. और पांच महीने पहले उची पढ़ाई के लिए चले गए. जिसके बाद से अस्पताल में सर्जन का पद रिक्त है. ऐसे में जब जिले का सबसे बड़ा अस्पताल का यह हाल है तो अन्य प्राथमिक और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का क्या हाल होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.
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