जहानाबाद : किसानों द्वारा खेतों में रोपे गये धान फसल में अधिक दिनों तक पानी लगे रहने के कारण उत्पादन से लेकर उपजी फसल पर गहरा असर पड़ा है. कई किसान धान के उपजे फसल को बेचने के लिए परेशान है.
सदर प्रखंड के अमैन पंचायत के कई किसानों ने धान के फसल पर पड़े प्रकृति की मार का खामियाजा भुगता है. प्रकृति के दोहरे मार से कई किसान अपनी फसल को बेचने के लिए दर-दर भटक कर खोज रहे हैं खरीदार. बावजूद बाढ़ और कुहासा का दंश झेलने के बाद धान की फसल का रंग बदरंग हो गया था. उसे निकलने वाले चावल का रंग भी लाल है. लिहाजा व्यापारी से लेकर पैक्स एजेंसी और मिलर भी उक्त फसल की खरीदारी करने को तैयार नही हैं. अब किसानों के समक्ष अपनी पूंजी निकालने का भी रास्ता नहीं सूझ रहा.
धनकटनी के समय में अधिक दिनों तक मौसम में कुहासा छाये रहने व धूप नहीं निकलने की वजह से खेतों में काटे धान के फसल में नमी अधिक रहने से धान का रंग फीका पड़ गया है. नमी के कारण बदरंग हो चुके धान को पैक्स सीधे लेने से इनकार कर रहा. लाचार किसान अब अपने उपजे फसल को कहां और किस बाजार में बेचे इसका रास्ता भी उन्हें दिखायी नहीं पड़ रहा. गांव-देहात में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गरीब लोग भी उक्त धान और चावल को खरीद कर खाने से इनकार कर रहे. हालांकि चिंतित किसान किसी तरह अपना कुछ पूंजी औने-पौने भाव में धान बेच कर भी निकालने को तैयार हैं.
पैक्स मलीन रंग हुए धान को मिलर द्वारा नहीं लिये जाने की बात किसानों को कही जा रही है. वही मिलर वास्तविक रंग खो चुके धान को चावल कूटने पर लाल रंग के चावल निकलने की बात बता अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं. किसानों सैकड़ों मन धान ट्रैक्टर पर लोड कर पैक्स से लेकर मिलर के यहां चक्कर लगा उपजे फसल को लौटा कर लाने को मजबूर हैं.