ललित शंकर पाठक, जहानाबाद : गरीब परिवार से होने के कारण शुरुआती दौर में काफी संघर्ष झेलने के बाद राजू ने पेंटिंग के क्षेत्र में खूब नाम कमाया. आज पिछले 40 सालों में चित्रकारी के दौरान भले ही उसने बहुत दर्द झेले हों, लेकिन अब शोहरत भी खूब बटोर रहे हैं. इनकी कलाकारी के कायल कद्रदान देश-विदेश में भी हैं.
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मधुबनी पेंटिंग के तर्ज पर मगध पेंटिंग को बढ़ावा दे रहे हैं जहानाबाद के राजू
ललित शंकर पाठक, जहानाबाद : गरीब परिवार से होने के कारण शुरुआती दौर में काफी संघर्ष झेलने के बाद राजू ने पेंटिंग के क्षेत्र में खूब नाम कमाया. आज पिछले 40 सालों में चित्रकारी के दौरान भले ही उसने बहुत दर्द झेले हों, लेकिन अब शोहरत भी खूब बटोर रहे हैं. इनकी कलाकारी के कायल […]
खून-पसीने की मेहनत से जब कैनवास पर राजू ने कल्पनाओं को उतारा, तो दिल को सुकून के साथ दौलत भी मिली. छोटे से इस कस्बे से उभरे कलाकार की कलाकृति का आज पूरा देश लोहा मानने लगा है.
बीते दिनों प्रयाग में हुए कुंभ मेले के दौरान दीवारों और पोस्टरों पर उकेरी गयीं कृतियों के गुरु राजू ही थे. पटना यूनिवर्सिटी से फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन करने के बाद राजू मुंबई के जेजे काॅलेज में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स में दाखिला लिया लेकिन मां की गंभीर बीमारी के कारण कोर्स अधूरा ही छोड़कर उसे घर लौटना पड़ा.
बाद के दिनों में दरभंगा यूनिवर्सिटी से मास्टर इन फाइन आर्ट्स की डिग्री ली. अब राजू के सिर पर सिर्फ एक जुनून सवार है कि मिथिला पेंटिंग्स के तर्ज पर हमें मगध पेंटिंग्स को भी देश-दुनिया में फैलाना है. बाजाप्ता राजू इसके लिए कई लोगों को कला की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.
बकौल राजू, इनके कद्रदानों में लालू प्रसाद, रामविलास पासवान, जाकिर हुसैन सरीखे कई हस्तियां हैं. रैलियों के लिए बड़े-बड़े कटआउट्स, ड्राइंग रूम के लिए पेंटिंग की डिमांड जब बढ़ने लगी, तो राजू का नाम बिहार के प्रमुख पेंटरों की लिस्ट में शामिल हो गया. बीते वर्षों में विधानसभा से प्रकाशित पत्रिका ‘साक्ष्य’ में भी इनकी जीवनी छपी है.
देश-विदेश में मशहूर है भगवान बुद्ध की पेंटिंग्स: पेंटर राजू भगवान बुद्ध की खास तरह की पेंटिंग्स बनाने के लिए मशहूर हैं.
जापान, थाईलैंड समेत कई देशों के बौद्ध मंदिरों में इनके द्वारा बनायी भगवान बुद्ध की पेंटिंग्स लगी है. अमृतसर के वार म्यूजियम में महाराजा रंजीत सिंह और बंदा वीर बैरागी पर इनके द्वारा बनायी गयी पेंटिंग्स जीवंत हैं, जिसे देखा जा सकता है.
बिहार सरकार द्वारा राजगीर में भी इनकी पेंटिंग्स कई स्थलों पर लगायी गयी है. वहीं वीर कुंवर सिंह म्यूजियम में भी कुंवर सिंह पर इनकी पेंटिंग्स को स्थान दिया गया है. राजू जहानाबाद में भले ही गुमनाम हों, लेकिन देश-विदेशों में ये काफी मशहूर हैं.
बिना ब्रश के चाकू से बनाते हैं खास पेंटिंग्स: कैनवास पर ब्रश को इस्तेमाल किये बिना चाकुओंं से रंग का इस्तेमाल कर खास तरह की पेंटिंग्स बनाने की कला के लिए राजू को जाना जाता है. आजकल मधुबनी पेंटिंग के तर्ज पर मगध पेंटिंग को विकसित करने में जुटे हुए हैं.
बराबर पहाड़ियों की गुफाओं पर इनके कई स्केच प्रसिद्ध हैं. भविष्य में इनकी योजना है कि जहानाबाद में चित्रकला के प्रशिक्षण का एक बड़ा केंद्र खोला जाये, इसकी तैयारी प्रारंभ कर दी है. इनके दर्जनों शिष्य इनसे सीखकर कई जगहों पर आजीविका कमा रहे हैं. दर्जनों महिलाएं कलाश्री से प्रशिक्षण प्राप्त कर जीविकोपार्जन कर रही हैं.
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