जहानाबाद.
जब से पटना-गया राष्ट्रीय राजमार्ग पर फोरलेन का निर्माण हुआ है तब से यह एनएच और खासकर शहरी बाइपास डेंजर जोन बन चुका है. इस एनएच और शहरी बाइपास पर लगभग प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं जिसमें हर दो-तीन दिन पर किसी ने किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है. जबकि लगभग प्रतिदिन होने वाली दुर्घटना में बड़ी संख्या में लोग जख्मी होते हैं. बीते मंगलवार की सुबह ही पटना-गया राष्ट्रीय राजमार्ग 83 पर शहरी बाइपास में स्कॉर्पियो से कुचलकर एक महिला की मौत हो गयी. इससे पहले होली के दिन सिकरिया पेट्रोल पंप के समीप कार और बाइक के बीच हुई टक्कर में कसई निवासी दो लोगों की मौत हो गयी थी. इनमें से एक की मौत उसी दिन हो गयी थी. जबकि दूसरे घायल व्यक्ति ने इलाज के दौरान पटना में दम तोड़ दिया. होली के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग और शहरी बाइपास में हुई विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ हजार लोग जख्मी हो गए थे. इनमें से कई को चिंताजनक स्थिति में पीएमसीएच पटना भेजना पड़ा था. होलिका दहन के दिन इसी राष्ट्रीय राजमार्ग परीक्षित हुआ के निकट दो बाइक के बीच टक्कर में एक की मौत हो गयी थी. जबकि दूसरा बाइक चालक गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. पिछले 11 मार्च को नरु गांव के समय कर और स्कॉर्पियो के टक्कर में कर पर सवार चार लोग घायल हो गये थे. दानापुर पटना निवासी सुभाष प्रसाद सिंह अपने परिवार के साथ कार से रांची से अपने घर लौट रहे थे, तभी स्कार्पियो ने उनकी कार में टक्कर मार दी थी. इस घटना में सभी घायल की स्थिति गंभीर थी जिसके कारण सभी चार घायलों को पीएमसीएच पटना रेफर करना पड़ा था. उसी दिन शहरी बाईपास पर कनौदी के समीप हाइवा और ऑटो के बीच टक्कर में ऑटो चालक गंभीर रूप से घायल हो गया था. नौ मार्च को एनएच 110 पर नदियावां के समीप बस नहीं एक मासूम बच्ची को कुचल डाला था जिसके कारण बच्ची की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी थी. जबकि अपनी बेटी को बचाने के लिए गए पिता स्कॉर्पियो के धक्के से गंभीर रूप से घायल हो गए थे जिन्हें पीएमसीएच पटना भेजना पड़ा था. छह मार्च को बाइपास में दो ट्रकों के बीच टक्कर में एक चालक की मौत हो गई थी. जबकि दूसरे ट्रक के चालक सहित दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे. निजामउद्दीनपुर के समीप दो मार्च को बाइक और ट्रैक्टर के बीच में एक युवक की मौत हो गयी थी. जबकि दूसरा युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था. 28 फरवरी को शहरी बाईपास में कनौदी के समीप कार और हाइवा के बीच टक्कर में कार पर सवार पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे. सभी घायलों को इलाज के लिए पीएमसीएच पटना भेजना पड़ा था. 26 फरवरी को कुछ डेरा के समीप अज्ञात वाहन से कुचलकर एक बुजुर्ग की मौत हो गयी थी. जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऐसे अनगिनत दुर्घटना के उदाहरण है जिनमें किसी दुर्घटना में किसी को अपनी जान करवानी पड़ी तो किसी को गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ा. इनमें से कई अभी भी अस्पताल में भर्ती होकर अपना इलाज कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक जिले में प्रति माह औसतन सड़क दुर्घटनाओं में 8 से 10 लोगों की मौत हो जाती है. जबकि दर्जनों लोग घायल हो जाते हैं.वाहनों की तेज रफ्तार पर नहीं लग रहा लगाम : जिले में वाहनों की तेज रफ्तार और वाहन चालकों के द्वारा ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन मासूम लोगों की जिंदगी लील रहा है. जिला और पुलिस प्रशासन के प्रयास के बावजूद वाहनों की स्पीड पर ब्रेक नहीं लग रहा है. राष्ट्रीय राजमार्ग 83 पर जब से नया फोरलेन बनाया गया है तब से इस पर सड़क दुर्घटनाएं काफी बढ़ गयी है. खासकर शहरी बाईपास पर तो लगभग प्रतिदिन कोई न कोई सड़क दुर्घटना हो रही है जिनमें कई लोगों की जान चली जाती है, तो कई लोग गंभीर रूप से जख्मी होकर जिंदगी और मौत से जंग लड़ते रहते हैं. ऐसी बात नहीं है कि केवल बाईपास पर ही तेज रफ्तार वाहन दुर्घटना को अंजाम दे रहे हैं. जिले के स्टेट हाईवे पर भी वाहन चालक रफ्तार पर लगाम नहीं लगते जिसके कारण दुर्घटनाओं में मासूमों की जान चली जाती है. राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर स्टेट हाइवे और देहाती क्षेत्र की सड़कों पर भी आये दिन दुर्घटनाएं होती है जिसमें बेकसूरों की जान जा रही हैं. ज्यादातर दुर्घटनाओं में वाहनों की तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी ही दुर्घटना का कारण बनती है.वाहन चालक नहीं रखते स्पीड पर नियंत्रण : परिवहन विभाग और एनएचआइ के द्वारा सड़क की स्थिति क्षेत्र और घनी आबादी को देखते हुए वाहनों की स्पीड की सीमा तय की जाती है. शहरी क्षेत्र में वाहनों की स्पीड की एक सीमा तय की गई होती है. अमूमन यह सीमा ऐसी आबादी वाले क्षेत्र में 20 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है. इसके लिए घनी आबादी वाले क्षेत्र में प्रवेश वाली जगह पर ही गति सीमा की बोर्ड लगायी जाती है, किंतु जहानाबाद जिले में हर ऐसी घनी आबादी वाली क्षेत्र में प्रवेश के पहले बोर्ड नहीं लगायी गयी है, जहां कहीं बोर्ड लगा हुआ भी है तो वाहन चालक उन नियमों का पालन नहीं करते हैं जिसके कारण तेज रफ्तार में चलने वाले वाहन चालक के साथ-साथ आम लोग भी दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं और अपनी जानें गंवा रहे हैं. जिले में आये दिन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिसमें अक्सर लोगों की जान चली जाती है. वाहनों की बेहिसाब रफ्तार के कारण जिले में हिट एंड रन का मामला भी बढ़ रहा है. आये दिन कोई वहां किसी सड़क पर चलते व्यक्ति को कुचलकर भाग जाता है. इसके अलावा वाहनों द्वारा एक दूसरे का ओवरटेक करने, झपकी लगने अथवा शराब पीकर गाड़ी चलाने और घनी आबादी में भी वाहनों की गति निर्धारित गति सीमा के अनुसार नहीं रखना भी दुर्घटना का कारण बनता है.
सतर्कता से कम हो सकती हैं दुर्घटनाएं : अगर घनी आबादी वाली जगहों पर प्रवेश के समय अगर सतर्कता बरती जाए और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में प्रवेश के पहले गति सीमा और सतर्कता का बोर्ड, सड़क पर स्पीड ब्रेकर लगाई जाए और सड़क किनारे उगे जंगलों को साफ कर विजिबिलिटी बढ़ाई जाये तो दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है, किंतु अभी तक एनएचआइ और आरसीडी के द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. दुर्घटना में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और शराब पीकर गाड़ी चलाना भी प्रमुख वजह बनती हैं.बाइपास में बेतहाशा दौड़ते हैं वाहन : शहर में सुबह 8 से रात 9 तक बड़े वाहनों के लिए नो एंट्री लगायी गयी है. नो एंट्री के बाद बड़े वाहन खासकर बालू और गिट्टी लादने वाले डंपर और ट्रक ट्रैफिक नियमों को ताक पर रखकर तेज रफ्तार से वाहन हांकते थे किंतु जब से बाईपास चालू हुआ है तब से बाईपास में ऐसे वाहन बेतहाशा दौड़ लगाते हैं. खासकर बालू और गिट्टी लदे ट्रक चालक पुलिस, परिवहन और खनन विभाग से बचने के लिए तो जल्दी-जल्दी ट्रिप लगाने के लिए लापरवाही और हाई स्पीड में वाहन चलाकर भागते नजर आते हैं. यही कारण है कि इन दोनों बाइपास में सड़क दुर्घटनाएं काफी बढ़ गयी हैं.शहर में दिन में लगती है नो एंट्री : कुछ वर्ष पहले तक जहानाबाद शहर दुर्घटना का हॉटस्पॉट बना था. शहर के समाहरणालय के निकट बने कारगिल चौक से लेकर काको मोड़ तक के बीच आए दिन दुर्घटनाएं होती थीं. इसमें काको मोड़ ऊंटा सब्जी मंडी, अरवल मोड़, फिदाहुसैन मोड़, बत्तीस भंवड़िया दुर्घटना के लिए ब्लैक स्पोर्ट बना था जिनमें होने वाली दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की जान जा चुकी है जिसके बाद जिला प्रशासन ने शहर में सुबह 8 बजे से लेकर रात 9 बजे तक बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी जिसके बाद शहरी क्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आयी है, किंतु जब से बाईपास चालू हुआ है तब से दुर्घटनाएं बाईपास में काफी बढ़ गयी हैं. बाइपास चालू होने के पहले रात में नौ बजे के बाद जब नो एंट्री खत्म होती है तो बड़े वाहन खासकर बालू और गिट्टी ढोने वाले हाइवा और बड़े ट्रक चेकिंग से बचने के लिए हाइ स्पीड में वाहन चलाकर भागते नजर आते थे. सुबह में भी यही हाल होता था जिसके कारण इन्हीं समय में शहरी क्षेत्र में दुर्घटनाएं ज्यादा होती थीं. अभी भी नो एंट्री के बाद शहरी क्षेत्र से बड़े वाहन गुजरते हैं लेकिन बाईपास चालू होने के बाद अब इनकी संख्या पहले के बनिस्पत कम हो गयी है.क्या कहते हैं अधिकारीजिले में अक्सर वाहन चेकिंग का अभियान चलाया जाता है. चेकिंग के दौरान हाइ स्पीड में चलने वाले वाहन चालकों को पकड़ कर उनसे जुर्माना वसूला किया जाता है. ड्राइविंग लाइसेंस चेक करने की भी कार्रवाई होती है. राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की स्पीड पर निगरानी रखने के लिए ट्रैफिक पुलिस के द्वारा स्पीड गन के साथ गश्ती प्रारंभ की गयी है.राहुल कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी, जहानाबाद
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