कुर्था. नये साल 2026 के आगमन के साथ ही विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त शुरू होंगे. हिंदू धर्म में विवाह को सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है, और इसे हमेशा शुभ मुहूर्त में ही संपन्न किया जाना चाहिए. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शुभ मुहूर्त में किये गये कार्यों में सफलता और समृद्धि की संभावना अधिक रहती है, जबकि मुहूर्त की अनदेखी करने से कार्यों में विघ्न और रुकावटें आ सकती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं, जो जनवरी से लेकर दिसंबर तक उपलब्ध होंगे. लेकिन दिसंबर के अंत तक विवाह के मुहूर्त समाप्त हो जायेंगे. 16 दिसंबर से खरमास का दौर शुरू हो जायेगा और 12 दिसंबर को शुक्र अस्त हो जायेंगे, जिसके कारण विवाह जैसे मांगलिक कार्यों को वर्जित माना जायेगा. विवाह के लिए सही तिथि और समय का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, और दोनों पक्ष विवाह की तारीख और समय को लेकर सही मुहूर्त की तलाश में रहते हैं. इस दौरान, विशेष ध्यान रखा जाता है कि मुहूर्त के दौरान विवाह की सभी रस्में सही समय पर और पूरी श्रद्धा से पूरी हों, ताकि भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी न आये. शादी के लिए मुहूर्त का महत्व इस बात को दर्शाता है कि एक शुभ और सही समय पर किया गया विवाह जीवनभर सुख और समृद्धि का कारण बनता है. इसलिए, आगामी वर्ष के शुभ मुहूर्त का चुनाव सावधानी से करें.
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