सोनो. एक ओर सरकार विकास के लिए तमाम प्रयास करती है. दूसरी ओर छोटे शहरों की यातायात व्यवस्था बेहद खराब होती जा रही है. सड़क पर ही वाहनों का पड़ाव होता है और दुकानें भी सजायी जाती हैं. परिणामतः सड़कें आधी रह जाती है. ऐसे में सड़कों पर वाहन गुजरे तो कैसे. प्रखंड मुख्यालय सोनो की सड़कों पर स्थिति और भी खराब होती जा रही है. प्रशासनिक उदासीनता के कारण जाम लगना यहां आम बात हो गया है. कहा जा सकता है कि जाम की समस्या सोनो वासियों के लिए नासूर बन गया है. आये दिन लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ रहा है. जिम्मेदार लापरवाह है. लोगों को हो रही भीषण परेशानी के बावजूद पदाधिकारी उदासीन है. लोग इस परेशानी के लिए पदाधिकारियों से गुहार लगाकर थक गये हैं, परंतु पदाधिकारियों को इस परेशानी को दूर करने के लिए समय नहीं है. अब तो स्थिति यह है कि सिर्फ सोनो चौंक को पार करने में वाहन चालकों को घंटों का समय बीत जाता है.
अतिक्रमण से वाहन चलने के लायक नहीं बची सड़क
सड़क पर वाहनों का पड़ाव और सड़कों पर ही अस्थायी दुकान लगाने से स्थिति बदतर हुई है. सड़क के दोनों किनारों को अस्थाई दुकानों और छोटे वाहनों द्वारा अतिक्रमित किया जाता है. सोनो चौक हों या फिर चौक से बाजार जाने वाली मुख्य सड़क, अस्थाई दुकाने लगाकर इन सड़कों के किनारे पूरी तरह अतिक्रमित कर ली जाती है. रही सही कसर सड़क पर छोटे वाहनों व मोटरसाईकिल के बेतरतीब पड़ाव पूरी कर देते है. हद तो तब हो जाती है जब ठेला पर फल व सब्जी बेचने वाले चलन्त दुकाने सड़क पर ही ठेला लगाकर अपनी दुकानदारी करने लगते है. इन सभी कारणों से खासी चौड़ी सड़क सिकुड़ कर आधी रह जाती है लिहाजा जब दोनों ओर से भारी वाहन या चार पहिया वाहन को गुजरना होता है तो जाम की स्थिति हो जाती है. चुंकि सड़क किनारे लगे छोटे दुकान या वाहन का अवैध पड़ाव के विरुद्ध प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई या भय नहीं दिखाया जाता है लिहाजा निडर हो चुके दुकानदार या वाहन चालक अब भयहीन होकर सड़कों के किनारे को और ज्यादा अतिक्रमण करते जा रहे है. सर्वाधिक जाम की समस्या ग्रामीण बैंक के समीप देखने को मिलता है जहां एक ओर बड़ी संख्या में बाइक सड़क पर खड़े किए जाते है तो वहीं दूसरी ओर ई रिक्शा और ऑटो यात्रियों के इंतजार में सड़क पर ही खड़ा किया जाता है.
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