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राष्ट्रीय लोक अदालत का फैसला होता है चुनौती रहित

राष्ट्रीय लोक अदालत में 46 साल पुराने मुकदमा का हुआ निबटारा

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जमुई. जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से व्यवहार न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन जिला जज धर्मेंद्र कुमार सिंह, एसपी एमके आनंद व अन्य न्यायिक पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर किया. लोक अदालत में करीब 46 साल पुराने एक आपराधिक वाद का मेल-मिलाप के आधार पर समाधान किया गया. जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 1979 में झाझा थाना में एक व्यक्ति पर धारदार हथियार से हमला कर उसे घायल करने का मुकदमा दर्ज हुआ था. यह मामला लंबे समय से एसडीजेएम सत्यम की अदालत में लंबित था. मामले में शुरुआत में अर्जुन यादव बनाम धोबी यादव, गंगा यादव और कन्हाई यादव पक्षकार थे. धोबी यादव के निधन के बाद मामला शेष दो प्रतिवादियों के साथ जारी रहा. इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय कर्मी मनोज डे और शंभू शर्मा ने लगातार प्रयास किये. उन्होंने झाझा से जमुई तक दौड़-भाग कर दोनों पक्षों को आपसी सुलह के लिए राजी किया. न्यायिक पदाधिकारी के मार्गदर्शन और कर्मियों के अथक प्रयास से अंततः दोनों पक्ष राजीनामा के लिए तैयार हो गये. शनिवार को दोनों पक्षकार राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान कोर्ट पहुंचे और जिला जज के समक्ष सुलह कर मामले का निबटारा किया. उन्होंने कहा कि लोक अदालत के जरिये न्याय अब निर्धन के द्वार तक पहुंच रहा है, इसका फैसला चुनौती रहित है. यहां सुगम, सुलभ और सस्ता न्याय उपलब्ध है. जिला जज ने विभाग और पक्षकारों को मेल-मिलाप से ज्यादा से ज्यादा प्रकरणों का निस्तारण किए जाने का संदेश दिया. एसपी मदन कुमार आनंद ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में मेल-मिलाप से वादों का निबटारा किया जाता है. उन्होंने पक्षकारों से आग्रह करते हुए कहा कि बिना व्यय , समय की बचत और शारीरिक एवं मानसिक परेशानी से बचने के लिए इस अदालत की शरण में आएं और अंतिम न्याय हासिल करें. डीएएसजे प्रथम सत्यनारायण शिवहरे ने कहा कि गुजरात में 1982 में राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ किया गया. चेन्नई में 1986 में इसकी स्थापना की गयी. विधिक सेवा प्राधिकरण सार्वजनिक सेवाओं के संबंध में अधिकार क्षेत्र का प्रबंध करने के लिए लोक अदालतों की स्थापना का प्रावधान करती है.

मिलता है शीघ्र व सुलभ न्याय

डीडीसी सुभाष चंद्रमंडल ने कहा कि इस कोर्ट में शीघ्र व सुलभ न्याय मिलता है, जिसकी कोई अपील नहीं होती. अंतिम रूप से निबटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं. राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक लोन से संबंधित मामले, मोटर एक्सीडेंट, एनआईएक्ट, फौजदारी, रेवेन्यू , वैवाहिक विवाद, बीमा, बिजली, उत्पाद , वन , श्रम , नीलाम पत्र वाद, दूरभाष, माप-तौल, खनन आदि वादों का आपसी राजीनामा से निबटारा किया जाता है. सचिव राकेश रंजन ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में सुनाये गये फैसले की भी उतनी ही अहमियत है जितनी सामान्य अदालत में सुनाये गये फैसले की होती है. यहां लोगों को बिना समय व पैसा गंवाये फैसला मिल जाता है. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा वादों के निस्तारण के लिए विभागीय अधिकारियों से लचीला रुख अपनाये जाने की अपील की.

राष्ट्रीय लोक अदालत में 704 मामलों का हुआ निष्पादन,

2 करोड़ 24 लाख 10250 रुपये की राशि का हुआ समझौता

व्यवहार न्यायालय परिसर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में मामलों के निष्पादन के लिए आठ बेंचों का गठन किया गया था. इस दौरान कुल 704 मामलों का निष्पादन किया गया जबकि दो करोड़ 24 लाख 10250 रुपये की राशि का समझौता हुआ. कोर्ट केस में 383 मामलों का निष्पादन किया गया और एक करोड़ 34 लाख 7170 की वसूली की गयी. बैंक ऋण तथा दूरसंचार के लगभग 321 मामलों का निष्पादन किया गया. इसमें 82 लाख रुपये की नकद राशि वसूल की गयी और एक करोड़ 20 लाख 63 हजार 80 रुपयक की समझौता राशि प्राप्त हुई. इस दौरान काफी संख्या में लोग व सभी न्यायिक पदाधिकारी, अधिवक्ता गण उपस्थित थे.

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