ऋताम्बर कुमार सिंह, झाझा
रामसर साइट नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी आज भी साइबेरियन पक्षियों से गुलजार है. जहां दर्जनों की संख्या में साइबेरियन पक्षी नागी व नकटी में प्रत्येक दिन कलरव करते नजर आ रहे हैं. वहीं आसपास के क्षेत्र में भी साइबेरियन पक्षी मौजूद हैं. इसका खुलासा बिहार में एशियाई जल पक्षियों की गणना कार्यक्रम के दौरान हुआ है. डीएफओ तेजस जायसवाल ने बताया कि वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार द्वारा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी का तकनीक के सहयोग से जिले के जलाशयों में रह रहे पक्षियों की गणना शुरू है. राज्य के चुनिंदा 14 जलाशयों में मध्य शीतकाल के अलावा शीतकाल की शुरुआत जब प्रवासी पक्षी हमारे यहां आना शुरू करते हैं और शीतकाल के बाद जब प्रवासी पक्षी अपने वतन वापस लौटने लगते हैं. उस समय भी जल पक्षियों की गणना बीते 28 मार्च से आगामी छह अप्रैल के बीच की जा रही है. इसी क्रम में 30 और 31 मार्च को जमुई जिले के रामसर साइट नागी और नकटी पक्षी आश्रयणियों में यह गणना की गयी. पक्षियों की गणना कार्यक्रम बीएनएचएस कोऑर्डिनेटर अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गयी. इसमें नागी के कुशल बर्ड गाइड संदीप कुमार और मनीष कुमार यादव के अलावा खगड़िया के पक्षी प्रेमी प्रशांत कुमार भी शामिल थे. वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री जायसवाल ने बताया कि वन क्षेत्र पदाधिकारी सुजीत कुमार, वनपाल अनुपम कुमार, वनरक्षी मनोरंजन कुमार और सुधीर चौधरी के सहयोग से किया गया.तापमान में बढ़ोतरी के बाद टिके हैं प्रवासी पक्षी
बीएनएचएस विशेषज्ञ डॉ अरविंद मिश्रा ने बताया कि अभी जबकि तापमान तीव्र होता जा रहा है. तब भी नागी और नकटी में बहुतेरे प्रवासी पक्षी नजर आ रहे हैं. जिनमें मुख्य रूप से यूरेशियन वीजन यानि छोटा लालसर, नोर्दर्न शोवलर यानि तिदारी, गार्गेनी यानि चैता, यूरेशियन कूट यानि सरार के कई झुंड देखे गये. चार राजहंस यानि बार हेडेड गूज नागी में तथा नकटी में चार रूडी शेलडक यानि चकवा भी नजर आये. इनके अलावा रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानि लालसर, ऑस्प्रे यानि मछलीमार, कॉमन केस्ट्रेल यानि खेरमुतिया, कॉमन सैंडपाइपर यानि चौबाहा, वुड सैंडपाइपर यानि भूरा चौबाहा, ग्रीनशैंक यानि टिमटिमा, टेमिंक स्टिंट छोटा पनलव्वा, केंटिश प्लोवर यानि मेरवा, लिटिल रिंग्ड प्लोवर यानि जिर्रिया और यलो वैगटेल यानि पिलकिया खंजन आदि शामिल है. ज्यादातर प्रवासी पक्षियों में प्रजनन काल का रंग आने लगा है. कुछ थोड़े-बहुत प्रवासी पक्षी जो पूर्ण प्रजनन की अवस्था में नहीं आते या अस्वस्थ रह जाते हैं या अपने समूह से बिछुड़ जाते हैं, गर्मी भी अपने देश में बिता देते हैं. झाड़ियों में रहने वाले प्रवासी पक्षी ब्लैक रेडस्टार्ट यानि थिरथिरा भी इस क्षेत्र में देखे गए. स्थानीय पक्षियों में लेसर व्हिसलिंग डक यानि छोटी सिल्ली, कॉटन पिग्मी गूज यानि गिर्री, लिटिल ग्रीब यानि पनडुब्बी, ग्रेटर पेंटेड स्नाइप यानि राज चाहा और स्मॉल प्रेटिन्कोल यानि छोटा धोबैचा भी अच्छी संख्या में दिखा.लिटिल टर्न दिखा नागी में
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविंद मिश्रा ने बताया कि लिटिल टर्न नागी में पहली बार देखा गया. यह पक्षी भागलपुर में गंगा की रेत में ये सैकड़ों की संख्या में प्रजनन करते देखे जाते हैं. नागी में पक्षियों की 50 से ज्यादा प्रजातियां देखी गयी. मगर संख्या मात्र एक हजार के करीब थी. जबकि नकटी में पक्षियों की प्रजातियां तो 31 ही थी, परंतु पक्षियों की संख्या एक हजार 6 सौ 50 थी. इस क्षेत्र में कठबजरा और नागी के पठारी भाग के क्षेत्र में चेस्टनट बेलीड सैंडग्राउज यानि कुहार भटतीतर और इण्डियन कोर्सर यानि नुकरी भी दिखे, जिन्हें देखने को यहां लोग दूर-दराज से आते हैं. उन्होंने अंदेशा जताया कि ऐसे अनोखे पक्षियों यह अनूठा अधिवासीय क्षेत्र कहीं विकास कार्यों की भेंट न चढ़ जाय. उन्होंने सरकार से ऐसे पक्षियों को संरक्षित करने की मांग भी की है.
पक्षियों का संरक्षण करने में इनका विशेष है सहयोग
नागी व नकटी में पक्षियों के संरक्षण में जमुई प्रमंडल पदाधिकारी तेजस जायसवाल, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी संजीत कुमार, वनपाल अनुपम कुमार, वनरक्षी मनोरंजन कुमार, सुधीर चौधरी के अलावा नागी- नकटी के नाविक सहदेव यादव, शेषन यादव, मनोज यादव, अर्जुन यादव, योगेंद्र यादव के अलावा पक्षी विशेषज्ञ संदीप कुमार, अवधेश कुमार, मनीष कुमार यादव समेत अन्य लोगों का अहम योगदान है.
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