सिमुलतला. सिमुलतला क्षेत्र के हल्दिया झरना पहाड़ से तिलौना, बघावा, लीलावरण आदि जंगलों में लगी आग भयावह होती जा रही है. दिन प्रतिदिन आग का दायरा बढ़ता जा रहा है. जहां एक ओर जंगल में लगी आग से हजारों छोटे-बड़े पेड़ जलकर नष्ट हो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर जंगली जीव जंतुओं पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है. क्षेत्र के बुद्धिजीवियों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष पतझड़ व गर्मीं का मौसम शुरू होते ही जंगलों में महुआ चुनने के लिए जंगली क्षेत्र के लोग आग लगाते हैं. इसमें कई नये व अन्य पेड़ जलकर नष्ट हो जाते हैं. सरकार जंगल में पेड़ लगाने में करोड़ों खर्च करती है, लेकिन जंगल में लगे पेड़ों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं करती है.
जंगलों की आग से पर्यावरण को नुकसान
जिले में जंगलों की अवैध कटाई और आगजनी की वजह से हरियाली में तेजी से कमी होने लगी है. इसका सीधा असर साल-दर-साल बढ़ते तापमान और मौसम चक्र में परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है. जीवों के व्यवहार में भी इसका असर पड़ रहा है. सुरक्षित आश्रय और चारा-पानी की कमी की वजह से वन जीव हिंसक हो रहे हैं. वन्यजीवों ने मानव बस्ती की ओर रुख करना शुरू कर दिया है.
कहते है वनपाल
सिमुलतला के वनपाल अजय कुमार पासवान ने बताया कि गर्मी के मौसम में जंगली इलाके से महुआ चुनने वाले लोग आग लगाते हैं. जंगल के सूखे पत्तों पर आग जलाने के बाद पेड़ से गिरने वाले महुआ को चुनने में इन्हें आसानी होती है. अभी सेक्टर 07 और 03 में आग लगी हुई है. हमलोग आग पर काबू पाने का कोशिश कर रहे हैं. कुछ हद तक आग पर काबू भी पाया गया है. सिमुलतला में वन विभाग के द्वारा दो अग्निशामक वाहन एवं कटलगार्ड व सिपाही की मदद से फायर लाइन काटकर आग बुझाने का प्रयास किया जा रहा है.
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