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विभिन्न मांगों को लेकर 24 व 25 को बैंक ऑफ इंडिया की हड़ताल

देशभर के राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारी आगामी दिनों में बैंक ऑफ इंडिया इंप्लाइज फेडरेशन और एआईबीईए के दिशा-निर्देशों के अनुसार दो दिवसीय हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं.

तीन लाख नयी बहालियां, पांच दिवसीय कार्य प्रणाली लागू करने सहित कई मांगें शामिल

जमुई. देशभर के राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारी आगामी दिनों में बैंक ऑफ इंडिया इंप्लाइज फेडरेशन और एआईबीईए के दिशा-निर्देशों के अनुसार दो दिवसीय हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं. इस आंदोलन की तैयारियां बिहार राज्य के बैंक ऑफ इंडिया एम्प्लाई यूनियन द्वारा लगातार की जा रही हैं. इसे लेकर रविवार को जमुई में बैठक कर आंदोलन के कार्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा की गयी. बैठक का संचालन कॉमरेड चंदन सिंह, पुनीत कुमार और ऋषिकेश ने किया. बैठक में महासचिव प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि बैंक ऑफ इंडिया और प्रबंधन के बीच 27 दिसंबर 2021 को चीफ लेबर कमिश्नर की उपस्थिति में की गयी मांगों पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिनमें नयी बहाली शीघ्र करने की बात थी. लेकिन इसे टाल दिया गया, जिससे संगठन को संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ा. प्रफुल्ल कुमार ने आगे कहा कि 23 और 26 दिसंबर को डिप्टी लेबर कमिश्नर के समक्ष प्रबंधन ने तीन हजार नयी बहाली और अन्य मुद्दों पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इसे भी टालने के कारण संगठन को संघर्ष के लिए कदम उठाना पड़ा. महासचिव ने एनपीए लोन की बढ़ोतरी और इसके रिकवरी में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की कमी पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, जनसंख्या बढ़ रही है और बेरोजगारी भी बढ़ रही है, लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाएं घट रही हैं. साथ ही कर्मचारियों की संख्या भी लगातार कम हो रही है. उन्होंने यह भी कहा कि क्लर्क और अन्य स्टाफ की संख्या में तीन लाख की कमी आई है, जिससे देश की पब्लिक को बैंकों की सेवाओं में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार से मांग की गयी है कि तीन लाख नयी बहालियां की जाएं ताकि इस कमी को पूरा किया जा सके. साथ ही, उन्होंने बैंकों में पांच दिवसीय कार्य प्रणाली लागू करने की भी मांग की. उपाध्यक्ष राधे श्याम ने बैंक ऑफ इंडिया में लिपिक और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों की भारी कमी से ग्राहक सेवा पर पड़ने वाले प्रभाव को उजागर किया. उन्होंने बैंक में होने वाली धोखाधड़ी से बचने के उपायों पर भी गहरा प्रकाश डाला. चेयरमैन वीवी ओझा ने कहा कि कर्मचारी भारी दबाव में काम कर रहे हैं और उन्हें समय पर छुट्टियां नहीं मिल पा रही हैं. उन्होंने कर्मचारियों की समुचित बहाली की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार शिक्षित बेरोजगारों को स्थायी नौकरियों की बजाय अप्रेंटिसशिप और आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम करवा रही है, जिसे तत्काल बंद किया जाना चाहिए. कोषाध्यक्ष मनीष रंजन ने बैंक के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की और बैंक ऑफ इंडिया के सभी कर्मियों से संगठन के आंदोलन व प्रदर्शनों में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने की अपील की. यह हड़ताल 24 और 25 फरवरी को आयोजित होगी, और कर्मचारियों ने सरकार से तत्काल बहाली करने, नयी बहाली प्रक्रिया को शीघ्र लागू करने और बैंकिंग सेवाओं में सुधार की उम्मीद जताई है.

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