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hajipur news. सदर सहित जिले के सभी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में निर्धारित से कम प्रकार की दवाएं उपलब्ध

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सदर अस्पताल में अभी 424 तरह की जगह 361 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध, जिला औषधि केंद्र को दवाएं पहुंचाने के लिए विभाग की ओर से तीन मुफ्त औषधि वाहन उपलब्ध कराये गये हैं

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हाजीपुर. जिले के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी पूरी तरह से दूर नहीं हुई है, लेकिन पहले के मुकाबले दवाओं की संख्या बढ़ने से मरीजों को राहत मिली है. पूरे राज्य में सरकारी अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता के मामले में वैशाली जिला अभी दूसरे स्थान पर है. वहीं, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों तक दवा पहुंचाने में प्रथम स्थान पर है. जिला औषधि केंद्र को दवाएं पहुंचाने के लिए विभाग की ओर से तीन मुफ्त औषधि वाहन उपलब्ध कराये गये हैं. इनमें एक बड़ा वाहन प्रखंडों में पीएचसी तक दवा पहुंचाने के लिए और दो छोटे वाहन पीएचसी से स्वास्थ्य उपकेंद्रों तक दवा पहुंचाने के लिए है.

किस अस्पताल में हैं कितनी दवाएंशनिवार को दी गयी जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में अभी 424 तरह की जगह 361 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध हैं. इसी तरह महुआ अनुमंडल अस्पताल में अभी 293 की जगह 255 तथा मोहनपुर रेफरल हॉस्पिटल में 283 की जगह 221 और खाजेचांद छपरा रेफरल हॉस्पिटल में 240 दवाएं ही उपलब्ध हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की बात करें तो 277 दवाओं की जगह चेहराकला पीएचसी में 232, गोरौल पीएचसी में 250, सदर प्रखंड पीएचसी में 237, जंदाहा पीएचसी में 247, राघोपुर पीएचसी में 228, सहदेई बुजुर्ग पीएचसी में 253, वैशाली पीएचसी में 236, बिदुपुर पीएचसी में 241, देसरी पीएचसी में 219, महनार में 236, महुआ पीएचसी में 231, पटेढ़ी बेलसर पीएचसी में 242 व पातेपुर में मात्र 221 दवाएं ही उपलब्ध हैं. वहीं, अर्बन पीएचसी(यूपीएचसी) के लिए निर्धारित 174 दवाओं की जगह शहर के हथसारगंज यूपीएचसी में 120 तथा मीनापुर यूपीएचसी में 153 दवाएं ही हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 290 दवाएं होनी चाहिए़ लेकिन इनकी जगह फिलहाल लालगंज सीएचसी में 243, राजापाकर सीएचसी में 252 तथा भगवानपुर सीएचसी में 259 दवाएं उपलब्ध करायी गयी हैं.

सदर अस्पताल में दो साल से अल्ट्रासाउंड जांच बंद

सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है. करीब दो साल से यहां अल्ट्रासाउंड बंद है और इसके लिए मरीजों को निजी सेंटरों में नाजायज कीमत चुकानी पड़ रही है. खासकर गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को अपना इलाज कराना मुश्किल हो रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले सीधे-सादे मरीज यहां बिचौलियों के चक्कर में फंसकर प्राइवेट जांच सेंटरों में नाजायज रकम चुकाने को विवश होते हैं. शनिवार को अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने आये लालगंज के रवींद्र सिंह, सदर प्रखंड के दिग्घी के उमेश कुमार, नयागांव के मो हसनैन आदि ने अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर की.

2023 में अल्ट्रासोनोग्राफर का हुआ तबादला

मरीजों का कहना है कि सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों का का कहना है कि अस्पताल में पैथोलॉजिकल और रेडियोलॉजिकल जांच की सुविधा रोगियों को निशुल्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था है. इसके बावजूद यहां लंबे समय से अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा है़ अस्पताल प्रशासन यह सुविधा बहाल करने को लेकर थोड़ा भी गंभीर नहीं है. सदर अस्पताल में पदस्थापित अल्ट्रासोनोग्राफी के चिकित्सक का वर्ष 2023 के अप्रैल महीने में यहां से तबादला हो गया. उनकी जगह पर नये चिकित्सक के नहीं आने से अल्ट्रासाउंड बंद हो गया. कामचलाऊ व्यवस्था के तहत सिर्फ गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है.

क्या कहते हैं अधिकारी

सदर अस्पताल में दवाओं की संख्या बढ़ने और पैथोलॉजिकल जांच की संख्या बढ़ने से मरीजों को काफी सहूलियत हुई है. अस्पताल में दवाओं की कोई समस्या नहीं है. सभी आवश्यक दवाएं उपलब्ध हैं. दवाओं की कमी नहीं होने दी जायेगी और जांच की सुविधा भी बढ़ायी जायेगी. अल्ट्रासोनोग्राफी के डॉक्टर उपलब्ध होते ही सभी मरीजों को यह सुविधा मिलने लगेगी.

तनवीर कौसर,

प्रबंधक, सदर अस्पताल

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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