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Gopalganj News : आज की रात इबादत करने पर गुनाहों की होती है माफी, मनायी जायेगी शब-ए-बरात

Gopalganj News : शब-ए-बरात गुरुवार की रात को मनायी जायेगी. इसके लिए कब्रिस्तानों की सफाई का काम पूरा होगया है. इस रात मुस्लिम समुदाय के लोग गुनाहों की माफी मांगने के साथ पुरखों के कब्र पर जाकर फातेहा पढ़ेंगे.

गोपालगंज. शब-ए-बरात गुरुवार की रात को मनायी जायेगी. इसके लिए कब्रिस्तानों की सफाई का काम पूरा होगया है. इस रात मुस्लिम समुदाय के लोग गुनाहों की माफी मांगने के साथ पुरखों के कब्र पर जाकर फातेहा पढ़ेंगे. शब-ए-बरात के मौके पर रोजे का भी एहतेमाम करना चाहिए. इसकी बड़ी फजीलत है.

साल भर के गुनाह हो जाते हैं माफ

अलग-अलग रिवायतों में आया है कि साल भर के गुनाह माफ हो जाते हैं. अल्लाह के अंतिम पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम शाबान के महीने में नियमित रूप (कसरत) से रोजा रखते थे. वहीं, शब-ए-बरात को लेकर रात में इबादत के लिए मस्जिदों, करबला व दरगाहों को रोशन करने का काम शुरू कर दिया गया है. जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सइदुल्लाह कादिरी ने बताया कि मुस्लिम कैलेंडर के मुताबिक शाबान माह की 14 तारीख को शब-ए-बरात का त्योहार मनाया जा रहा है. शब-ए-बरात दो शब्दों, शब और बरात से मिलकर बनी है. शब का अर्थ है रात. वहीं, बरात का अर्थ बरी होना है. मुसलमानों के लिए यह रात बहुत फजीलत की रात होती है. इस रात विश्व के सारे मुसलमान इबादत करते हैं. वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तोबा करते हैं.

इन कब्रिस्तानों में रंगाई का काम तेज

शब-ए-बरात के मद्देनजर दरगाह शरीफ कब्रिस्तान, फतहां कब्रिस्तान, तकिया, बसडीला, तिरविरवां के साथ ही अन्य कब्रिस्तानों में भी मरम्मत का काम तेज कर दिया गया है. लोग अपने पुरखों की कब्रों का रखरखाव करवाने के साथ ही पुताई करवा रहे हैं. इसके अलावा कुछ निजी कब्रिस्तान हैं, जहां पर सफाई के साथ रंगाई-पुताई का काम हो रहा है.

पुरखों के कब्र पर चिराग रोशन कर दुआ करेंगे

कब्रिस्तानों में रोशनी का प्रबंध किया जायेगा. लोग अपने पुरखों की कब्रों पर चिराग रोशन करने के साथ ही दुआ करेंगे. इस्लामी महीना शाबान की 14वीं तारीख की रात शब-ए-बरात होती है. इस रात इबादत का सवाब आम दिनों की तुलना में कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है. मुसलमान मरहूमीन (मर चुके) रिश्तेदारों और दोस्तों के कब्रों पर मगफिरत की दुआ मांगेंगे और घरों में फातेहा होगी.

चार गुनाह से करें तौबा, नहीं तो बख्शीश नहीं

बख्शीश और मगफिरत की रात में भी ऐसे बदनसीब लोग होंगे जो अगर इन चार से तोबा नहीं करेंगे तो अल्लाह के दरबार में इनकी बख्शीश नहीं होगी. पहला, मां-बाप की नाफरमानी, दूसरा शराब की आदत, तीसरा इर्ष्या, नफरत व जलन और चौथा आपस में रिश्तेदारियों व नातों को तोड़ने की आदत.

आतिशबाजी की नहीं है इजाजत

जामा मस्जिद के इमाम ने कहा कि कहा कि शब-ए-बरात की रात में नमाज, कुराने पाक की तिलावत, जिक्र इलाही, तौबा और इस्तेगफार करना चाहिए. साथ ही देश के लिए अमन-शांति की दुआ करनी चाहिए. साथ ही अपने पूर्वजों और रिश्तेदारों के कब्रों की जियारत हो और उनके लिए इसालो सवाब के साथ मगफिरत और बुलंदी-ए-दरजात के लिए दुआ करनी चाहिए. शब-ए-बरात रमजानु-उल-मुबारक जैसे अजीम और मुकद्दस महीने की आमद का संकेत भी है. शब-ए-बरात जैसे मुकद्दस रात में आतिशबाजी का कोई सबूत नहीं है. यह अमल अपने माल का जिया और नुकसान है, इससे ईमान वालों को बचना चाहिए.

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Prabhat Khabar News Desk
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