Exclusive: संजय कुमार अभय/गोपालगंज. निर्माण एजेंसियों से जीएसटी लेने के बाद जमा नहीं करने वाले 88 आपूर्तिकर्ता वाणिज्यकर विभाग के रडार पर है. ऐसे कारोबारियों पर एक्शन की तैयारी में विभाग जुटा है. 31 मार्च तक टैक्स की राशि जमा नहीं करने वालों पर निलाम पत्र वाद दायर कर उनके परिसंपतियों को निलाम कर रिकवरी की जायेगी. वाणिज्य कर विभाग ने वैसे कारोबारियों को चिन्हित किया है जो जिनका जीएसटी नंबर या तो निलंबित है या रद्द हो चुका है. उनके द्वारा निर्माण कार्य के लिए सामग्री की सप्लाई 10 करोड़ का किया गया. उसपर जीएसटी तो वसूल लिये लेकिन उसे वाणिज्यकर विभाग को जमा नहीं किये है. विभाग का लगभग 1.8 करोड़ का टैक्स को डकारने की कोशिश की गयी है. उनको वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त आयुक्त प्रशांत कुमार झा की ओर से नोटिस जारी कर अल्टीमेटम देते हुए 31 मार्च तक जीएसटी की राशि को जमा करने का मौका दिया गया है. उस अवधि में जीएसटी का राशि जमा नहीं करने वाले कारोबारियों के खिलाफ विधि संवत कार्रवाई करते हुए उनके संपत्तियों को निलाम कर राशि की रिकवरी की कार्रवाई शुरू हो जायेगा. टैक्स को लेकर वाणिज्य कर विभाग कठोरता से कार्रवाई करने की चेतावनी दिया है.
सेवा प्रदाता गलत आईटीसी को भुगतान देना भी गलत
सेवा प्रदाता जो भी एजेंसी है. उनके द्वारा अगर बगैर जीएसटी रजिस्ट्रर्ड कारोबारी से सामग्री लेते है, उनके द्वारा भी गलत किया जा रहा. ऐसे लोगों से विभाग ने अपील किया है कि आप बगैर जीएसटी नंबर वाले सप्लाईकर्ता से सामग्री को नहीं ले. यह गलत है. ऐसे कारोबारी भी वाणिज्यकर विभाग के रडार पर है.
टैक्स जमा करने के बाद रि-स्टोर होगा जीएसटी नंबर
जानकार सूत्रों ने बताया कि जिस कारोबारी की जीएसटी किसी कारण से निलंबित हो चुका है. वे 31 मार्च तक बकाये जीएसटी की राशि को जमा करा देते है तो विभाग की ओर से रि- स्टोर किया जा सकता है. अगर किसी कारण से जीएसटी नंबर रद्द हो गया है तो उनको टैक्स की राशि को जमा करने के साथ कुछ औपचारिकता को पूरा कर दोबारा रि- स्टोर किया जा सकेगा.
32 ईट भट्ठा संचालक भी कार्रवाई के जद में आये
गोपालगंज जिले के लगभग 241 ईंट भट्ठों में से 209 के द्वारा जीएसटी नंबर लिया गया है. अब् भी 32 ईट भट्ठा के संचालक जीएसटी नहीं जमा करते है. ऐसे ईट भट्ठा मालिक भी विभाग के रडार पर आ गये है. ईट की सप्लाई के हिसाब से जीएसटी तो लोगों से वसूल लिया जा रहा लेकिन विभाग को नहीं दिया जा रहा. यह सीधा कर चोरी का मामला है.