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महंगी दर पर यूरिया खरीदने की विवशता

महंगी दर पर यूरिया खरीदने की विवशताढूंढ़ने से भी नहीं मिल रहा सरकारी दर पर यूरिया375 से 450 रुपये तक कालाबाजारी में बिक रहा यूरिया20.5 एमटी के एवज में अब तक नौ हजार एमटी आवंटितजिले के किसान उर्वरक के लिए परेशान हैं. सिंचाई का मौसम आते ही शहर से यूरिया गायब हो जाता है तथा […]

महंगी दर पर यूरिया खरीदने की विवशताढूंढ़ने से भी नहीं मिल रहा सरकारी दर पर यूरिया375 से 450 रुपये तक कालाबाजारी में बिक रहा यूरिया20.5 एमटी के एवज में अब तक नौ हजार एमटी आवंटितजिले के किसान उर्वरक के लिए परेशान हैं. सिंचाई का मौसम आते ही शहर से यूरिया गायब हो जाता है तथा कालाबाजारी का खेल शुरू हो जाता है. कभी प्रकृति का दंश तो कभी कुव्यवस्था से किसान जूझते रहे हैं. ऐसे में खेतों में उत्पादन एक अनसुलझा सवाल बन गया है.नेट से यूरिया का फोटो ले सकते हैंसंवाददाता, गोपालगंजरबी सिंचाई का मौसम चल रहा है. सिंचाई के बाद किसान यूरिया के लिए परेशान हैं. जिले में सरकारी दर पर मिलनेवाला यूरिया ढूंढ़ने से भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में कालाबाजारी के कारण किसान महंगाई की दोहरी मार झेलने को विवश हैं. जिले में रबी सत्र के लिए 20 हजार पांच सौ मीटरिक टन (एमटी) यूरिया की आवश्यकता है. इसके एवज में अब तक 9 हजार 21 मीटरिक टन यूरिया जिले को उपलब्ध हुआ है. उपलब्ध यूरिया में 85 सौ 21 मीटरिक टन बांट देने का दावा कृषि विभाग कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि यह किसे दिया गया, किसी को पता नहीं है. किसानों की मानी जाये, तो सरकारी दर पर मिलनेवाला यूरिया दुकानों तक सिमट कर रह जाता है. वितरण किये गये नामों की जांच करायी जाये, तो चल रहे काले धंधे की पोल खुल जायेगी. सरकारी नियमानुसार 325 से 330 रुपये प्रति बोरे की दर से यूरिया बेचना है, जबकि बाजार में 375 से 450 रुपये प्रति बोरा बेचा जा रहा है. कालाबाजारी का यह खेल सरेआम जारी है, लेकिन कृषि विभाग चुप्पी साधे हुए है.एक नजर में आवंटन और वर्तमान दरकुल आवश्यकता – 20500 एमटीउपलब्धता – 9021 एमटीवितरण – 8521 एमटीविभाग के पास स्टॉक – 500 एमटीनिर्धारित दर – 325 से 330 रुपये प्रति बोराबाजार दर – शक्तिमान नीम कोटेड: 450 प्रति बोराशक्तिमान – 400 प्रति बोरानागार्जुन – 375 प्रति बोराखुदरा दर – 10 रुपये प्रति किलोक्या कहता है कृषि विभागअब तक जो यूरिया मिला है उसकी बिक्री निर्धारित दर पर करायी गयी है. यूरिया की कमी और कालाबाजारी की जानकारी नहीं है. अगर ऐसा है, तो जांच करा कर कार्रवाई की जायेगी. किसान स्वयं भी इस तरह के काले धंधे की शिकायत मुझसे कर सकते हैं.डॉ वेदनारायण सिंह, डीएओ

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