दुष्कर्म के कारण पैदा संतान जैविक पिता की संपत्ति में हकदार : अदालत लखनऊ : इलाहाबाद हाइकोर्ट के लखनऊ पीठ ने कहा है कि दुष्कर्म के परिणामस्वरूप पैदा हुई संतान का अपने असल पिता की जायदाद में वारिसाना हक होगा. न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय के पीठ ने यह अहम फैसला देते हुए कहा कि दुष्कर्म के कारण जन्मी सन्तान को दुराचार के अभियुक्त की नाजायज औलाद माना जायेगा और उसका उसकी संपत्ति पर हक होगा. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर ऐसे बच्चे को किसी और व्यक्ति या दंपति द्वारा बाकायदा गोद ले लिया जाता है, तो उसका अपने असल पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रह जायेगा. अदालत ने कहा ‘‘हम यह मान सकते हैं कि जहां तक उत्तराधिकार का मामला है तो सम्बन्धित सन्तान का जन्म किन परिस्थितियों में हुआ, यह मायने नहीं रखता। उत्तराधिकार का मसला सम्बन्धित पर्सनल लॉ से तय होता है. यह बात अप्रासंगिक है कि नवजात शिशु बलात्कार का नतीजा है या फिर आपसी सहमति से बने यौन सम्बन्धों का परिणाम है.” न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर बलात्कार के कारण जन्मी औलाद को कोई व्यक्ति या दम्पति गोद नहीं लेता है तो उत्तराधिकार के लिये उसे अदालत के किसी निर्देश की जरुरत नहीं होगी और वह सम्बन्धित पर्सनल लॉ के जरिये अपने असल पिता की सम्पत्ति में हिस्सा पाने की हकदार होगी. पीठ ने कहा कि असल पिता की सम्पत्ति पर वारिसाना हक का मामला जटिल पर्सनल लॉ से जुडा है जो या तो कानून या परम्परा से संचालित होता है. न्यायपालिका के लिये बलात्कार के नतीजे में पैदा हुई औलाद के लिये वारिसाना हक से सम्बन्धित कोई सिद्धान्त या नियम तय करना सम्भव नहीं होगा. अदालत ने कहा कि न्यायालय का ऐसा कोई भी कदम कानूनी शक्ल पा जाएगा और उसे भविष्य में निर्णयों के लिये उद्धत किया जाएगा, लिहाजा ऐसा कुछ करना उचित नहीं होगा. जारी भाषा सं. सलीम गोस्वामी राम लखनऊ11 11041731 लखनउ नननन सेन अन्रप प्रादे76 11041747 दि नननन
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दुष्कर्म के कारण पैदा संतान जैविक पिता की संपत्ति में हकदार : अदालत
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