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बथना संस्कृत हाइस्कूल की बदहाली को ले आज ग्रामीणों की आमसभा

गोपालगंज : तमसो मां ज्योतिर्गमय. अर्थात, मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो. शिष्य को प्रकाश दिखाने संस्कृत के विद्यालय गुरुओं की कमी व मनमानी से जूझ रहा हैं. संस्कृत स्कूल फार्म भरने और परीक्षा दिलाने तक ही सिमट गया है. यूपी के सीमा पर स्थित कुचायकोट प्रखंड के बथना कुट्टी में स्थित संस्कृत […]

गोपालगंज : तमसो मां ज्योतिर्गमय. अर्थात, मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो. शिष्य को प्रकाश दिखाने संस्कृत के विद्यालय गुरुओं की कमी व मनमानी से जूझ रहा हैं. संस्कृत स्कूल फार्म भरने और परीक्षा दिलाने तक ही सिमट गया है.

यूपी के सीमा पर स्थित कुचायकोट प्रखंड के बथना कुट्टी में स्थित संस्कृत हाइस्कूल की बदहाली को लेकर गुरूवार को इलाके के लोगों की बैठक बुलायी गयी है. यह बैठक बथना कुटी राधा-कृष्ण मंदिर के तरफ से बुलायी गयी है.
लोगों को स्कूल की बदहाली को दुरूस्त करने के लिए निर्णय लिया जायेगा. आजादी के साथ ही लोगों में वेद, ऋचाओं, धर्म, संस्कृति से समाज को दिशा देने वाला यह स्कूल आज खुद दिशाहीन बनकर रह गया है. संस्कृत स्कूल में पिछले ही माह ग्रामीणों के शिकायत पर अनंत श्री से विभूषित संत शिरोमणी विशंभर दास की ओर से तालाबंदी कर दिया गया था.
आठ दिनों तक ताला बंद रहने के बाद शिक्षा विभाग की नींद खुली. विभाग ने कुचायकोट के बीइओ ललन सिंह चौहान ने .जाकर स्कूल का ताला खुलवा दिया. उसके बाद भी स्कूल में गुरूजी लोगों के नहीं आने से छात्र भी पढ़ने नहीं आ रहे. सकूल की स्थिति भयावह होते देख इसमें सुधार कैसे होगा इसके लिए बैठक बुलायी गयी है.
स्कूल के हेडमास्टर पं योगेंद्र तिवारी अपने साथ शिक्षकों को लेकर बुधवार को एसपी मनोज कुमार तिवारी के पास पहुंचे. एसपी से उनलोगों ने कहा कि संत विशंभर दास अपने शिष्यों के साथ स्कूल पहुंचकर शिक्षक पुरूषोतम पांडेय के साथ गाली-गलौज कर मार-पीट किये. सोने की चेन आदि छिन लिये. एसपी ने पूरे मामले में जांच का आदेश दिया है.
मामले की जांच कर होगी कार्रवाई: डीइओ : स्कूल में ताला बंद था तो बीइओ को भेजकर खुलवाया गया. अब नया बात सामने आ रहा है तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जायेगी. दोषी जो भी होंगे उन पर कार्रवाई की जायेगी.
संघमित्रा वर्मा, डीइओ, गोपालगंज
स्कूल में शिक्षकों के नहीं आने व पढ़ाई नहीं होने पर जतायी गयी आपत्ति
गुरु जी की कृति को बर्बाद होते देख संत का हस्तक्षेप
बथना हाइस्कूल के हेडमास्टर रहे रामाशंकर दास मंदिर के संत भी थे, उन्हीं के शिष्य है बाबा विशंभर दास. गुरू जी ने स्कूल को काफी परिश्रम से जिले में बेहतर मुकाम बनाया था. अब उनके कृतित्व को बर्बाद होते देख विशंभर दास काफी आहत है.
यहां से सात किलोमीटर के क्षेत्र में हाइस्कूल नहीं होने के कारण छात्र तो दूर जाकर पढ़ लेते है, लेकिन बेटियां इसी विद्यालय में पढ़ती रही है. शिक्षकों की मनमानी को रोकने के लिए जब बाबा ने स्कूल का हिसाब- किताब रखने लगे तो उनकी मुश्किलें बढ़ी हुई है.

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